Bhopal School Ground Report: निजी स्कूलों में पूरी तरह से रही तालाबंदी, इन कारणों से नहीं खोलना चाहते स्कूल
भोपाल। केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 21 सितंबर से कक्षा नौवीं से लेकर बारहवीं तक के स्कूल आंशिक रुप से खोले जाने थे। इसके लिए स्कूल कितने तैयार थे और वहां क्या स्थिति यह पता लगाने (Bhopal School Ground Report) के लिए द क्राइम इंफो (The Crime Info) ने दो सरकारी तो दो प्रायवेट स्कूलों में जाकर दौरा किया। कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार इंतजाम के नाम पर सारे स्कूलों में बुरे इंतजाम नजर आए। आलम यह था कि स्कूल में आवारा कुत्ते घुम रहे थे। जिन्हें रोकने—टोकने वाला कोई नहीं था। इधर, निजी स्कूल के संचालकों ने दबी जुबान से बताया है कि वह स्कूल खोलने के लिए अभी राजी नहीं हैं।
यह थे सरकारी स्कूल के इंतजाम
मध्य प्रदेश (MP School Education Status) की राजधानी भोपाल (Bhopal School Report) के सरकारी स्कूल खुलने के इंतजाम में नजर ही नहीं आए। शिवाजी नगर सात नंबर बस स्टाप के नजदीक एक्सीलेंस स्कूल (Excellence School) में द क्राइम इंफो रिपोर्टर (TCI Reporter) वहां पहुंची तो चौकीदार मेन गेट बंद करके बाहर बैठे हुए थे। उनसे प्रिंसीपल से मुलाकात कराने के लिए कहा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया। पूछने पर बताया गया कि भीतर पूरक परीक्षा चल रही है। जिसमें स्कूल टीचर और प्रिंसीपल की ड्यूटी लगी है। इसलिए मुलाकात अभी संभव नहीं हैं। पूरक परीक्षा समाप्त होने के बाद स्कूल को सैनेटाइज किया जाएगा। फिर मुलाकात संभव हो पाएगी। चौकीदार ने स्कूल लगने से इंकार कर दिया था।
सरोजनी नायडू में चल रही थी परीक्षा
एक्सीलेंस स्कूल की ही तरह सरोजनी नायडू कन्या विद्यालय (Sarojani Naidu Girls School) में भी पूरक परीक्षाएं चल रही थी। वहां स्कूल में दूसरे जिलों से अभिभावक आकर बैठे हुए थे। परिजनों ने बताया कि वे फिलहाल भोपाल में नहीं रहते हैं। बच्चों की पूरक परीक्षा होने के चलते उन्हें आना पड़ा। यहां भी स्कूल प्रबंधन बातचीत के लिए राजी नहीं हुआ। स्कूल में किसी तरह की हलचल दिखाई नहीं दी।
जवाहर लाल नेहरु स्कूल में घुम रहे थे कुत्ते
इधर, द क्राइम इंफो की दूसरी टीम एक ही समय में निजी स्कूल में पहुंची। यहां अवधपुरी स्थित एमजीएम स्कूल (MGM School) के गेट पर ताला लगा था। वहां तैनात गार्ड ने कहा कि प्रबंधन से बातचीत के लिए दूसरे गेट से आना होगा। स्कूल में बच्चे दिखाई नहीं दे रहे थे। इसके अलावा कस्तूरबा अस्पताल के नजदीक जवाहर लाल नेहरु स्कूल सीनियर विंग में द क्राइम इंफो की टीम पहुंची तो वह देखकर हैरान रह गई। गेट पर एक व्यक्ति थर्मल स्कैनर लेकर बैठा था। वह किसी तरह के आने—जाने वाले लोगों का किसी तरह का रिकॉर्ड दर्ज नहीं कर रहा था। भीतर पहुंचने पर वाइस प्रिंसीपल सुनील कुमार पाठक से बातचीत करने की कोशिश की। वे कैबिन में तो नहीं थे लेकिन उसके नजदीक आवारा कुत्ते वहां घुम रहे थे।
अभी नहीं खुलेंगे स्कूल
आवारा कुत्ते कैमरे में भी कैद हुए। सुनील कुमार पाठक (Sunil Kumar Pathak) से मोबाइल पर बातचीत की गई। उन्होंने इस बात को तो नहीं स्वीकारा लेकिन, यह जरुर बताया कि इस महीने कक्षा नौवी से लेकर बारहवीं तक कोई क्लास नहीं लगेगी। जो भी कक्षाएं चल रही है वह आन लाइन चलाई जा रही है। स्कूल में टीचर और कर्मचारी थे। यह सारे लोग वहां चल रही सीबीएसई की दूसरी परीक्षाओं में व्यस्त थे।
स्कूल खोलने में इसलिए घाटा
इधर, एक निजी स्कूल के कर्मचारी ने बातचीत में बताया कि खोलने से प्रबंधन को काफी नुकसान है। दरअसल, स्कूल में एक हजार से अधिक बच्चे आना—जाना करेंगे। जिन्हें सैनेटाइज करना होगा। इसमें भारी बजट सैनिटाइज का स्कूल पर आएगा। वहीं स्कूल फीस को लेकर पहले से ही विवाद अभिभावकों से कई स्कूलों में चल रहा है। यदि यह बढ़ाया गया तो बवाल हो सकता है। इसलिए निजी स्कूल खोलने का खतरा मोल लेना नहीं चाहते।
संपादक का मत
द क्राइम इंफो भोपाल के हालातों को देखते हुए सलाह देता है कि जिला प्रशासन स्कूल खोलने के फैसले को कम से कम एक पखवाड़े टाले। जब बाजार का समय कम किया जा रहा हो। मूर्ति की उंचाई घटाई जा रही हो वहां स्कूल खोला जाना ठीक नहीं होगा। दरअसल, भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दो से कम नहीं हो रही है। जबकि प्रदेश में जब पहला लॉक डाउन लगा था तब मरीज 50 से ज्यादा मिलने पर तनाव होता था। राजधानी में निजी स्कूलों में भी मानक है। मानक का तात्पर्य यह है कि शहर में कुछ रसूखदार स्कूल है जहां कोविड के सारे प्रोटोकॉल का पालन करना संभव है। लेकिन, कुछ दूसरे ऐसे भी निजी स्कूल है जहां यह कर पाना संभव नहीं है। स्कूल खोले जाने के फैसले से सामान्य—मध्यम या फिर कहे गरीब वर्ग के बच्चे पीस जाएंगे। मोटी—मोटी फीस वसूलने वाले स्कूल माफिया कारोबारी फैसले के नजरिए से देख रहे हैं।
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