SBI Loan Scam: बुधनी में स्थित धागा बनाने वाली कंपनी ट्राइडेंट के एक दर्जन से अधिक कर्मचारी फंसे, शक्ति नगर ब्रांच के तत्कालीन बैंक मैनेजर ने चार महीने में बांट दिए लोन, ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया दो दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा
भोपाल। बुधनी में धागा बनाने वाली कंपनी ट्राइडेंट के एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों के खिलाफ फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज हुई है। मामला भारतीय स्टेट बैंक (SBI Loan Scam) में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 69 लाख रूपए से अधिक की लोन राशि लेने का यह मामला है। इसकी प्राथमिक जांच भारतीय स्टेट बैंक के रीजनल कार्यालय ने की थी। जिसमें तत्कालीन बैंक मैनेजर की मदद से इस पूरे घोटाले की स्क्रीप्ट रची गई थी। भोपाल ईओडब्ल्यू ने अब तक 21 आरोपियों को चिन्हित कर लिया है। जिसमें से 14 आरोपियों ने लोन लिया था। जांच एजेंसी को शक है कि यह घोटाला आगे बढ़ने की पूरी संभावना है। अभी तक प्राथमिक जांच में जो रकम सामने आई है वह बैंक की तरफ से बताई गई है।
इन धाराओं में दर्ज किया गया है मुकदमा
ईओडब्ल्यू (EOW) के अनुसार इस संबंध में प्राथमिकी जनवरी, 2022 में दर्ज की गई थी। जांच प्रतिवेदन के साथ रिपोर्ट ईओडब्ल्यू में रीजनल मैनेजर माधव नंद परेडा (Madhav Nand Pareda) ने दर्ज कराई थी। उन्होंने लोन लेने वाले चौदह लोगों की सूची सौंपी थी। इसमें अधिकांश भोपाल में रहते हैं। यह सारे लोन शक्ति नगर (Shakti Nagar) स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI Bank) से जारी किए गए थे। सर्वाधिक लोन की रकम 7 लाख रूपए हैं और न्यूनतम लोन की रकम करीब साढ़े तीन लाख रूपए हैं। अधिकांश लोगों को पांच—पांच लाख रूपए का लोन बांटा गया। यह रकम जून, 2020 से अक्टूबर, 2020 के बीच महज चार महीने में बांट दी गई। इस कारण भारतीय स्टेट बैंक के रीजनल कार्यालय को शंका हुई थी। यहां बैंक में तब सुनील चौरे (Sunil Chaure) पिता जगन्नाथ चौरे मैनेजर हुआ करते थे। ईओडब्ल्यू ने सुनील चौरे को प्रमुख आरोपी बनाया है। ईओडब्ल्यू ने प्रतिवेदन के आधार पर 18 अगस्त को 38/23 धारा 420/467/468/471/120—बी/13—2—/13—1—ए (जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल, साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण) दर्ज किया गया है।
पकड़ाए तो फर्जी रिपोर्ट बनाकर सर्टिफिकेट जारी करने लगे
ईओडब्ल्यू ने बताया कि पर्सनल लोन लेने के लिए बैंक की तरफ से आउट सोर्स कंपनी की सेवा ली जाती है। जिसके लिए शक्ति नगर ब्रांच के लिए अहमदाबाद (Ahmadabad) में स्थित रिद्धी कार्पोरेट्स सर्विस (Riddhi Carporates Service) को ठेका मिला था। लेकिन, पहले इस कंपनी को अंधेरे में रखकर बैंक मैनेजर (SBI Loan Scam) सुनील चौरे ने लोन बांट दिए। फिर जब राज उजागर होने और जांच खुलने की भनक लगी तो इसी कंपनी की मदद से फर्जी लोन सर्टिफिकेट बनाए गए। इस कारण ईओडब्ल्यू ने कंपनी के तत्कालीन डायरेक्टर को भी आरोपी बनाया है। इसी कंपनी के लिए दीपक शर्मा (Deepak Sharma) फील्ड वैरीफिकेशन का काम करता था। ईओडब्ल्यू ने उसको भी आरोपी बनाया है। दीपक शर्मा पिता राजीव लोचन शर्मा भोपाल शहर के अशोका गार्डन स्थित कैलाश नगर (Kailash Nagar) इलाके में रहता है। ईओडब्ल्यू ने कंपनियों के अलावा चार दलाल दीपक कुमार जैन, अशोक शुक्ला, गोविंद लववंशी और देवेद्र कुमार रजक को भी आरोपी बनाया है। दीपक कुमार (Deepak Kumar Jain) जैन पिता प्रकाश चंद्र जैन होशंगाबाद स्थित कोठी बाजार इलाके में रहता है। इसी तरह रायसेन रोड स्थित कंफर्ट क्लासिक में रहने वाले अशोक शुक्ला (Ashok Shukla) पिता आदित्य शुक्ला बैंक के लिए दलाली का काम करता था।
इन्हें बांटे गए थे लोन
गोविंद लववंशी (Govindlavvanshi) नरसिंहगढ़ का रहने वाला है। वहीं देवेंद्र कुमार रजक (Devendra Kumar Rajak) भोपाल शहर के रातीबड़ स्थित बेरखेड़ी गांव में रहता है। इन दलालों की मदद से बैंक मैनेजर ने राजेंद्र कुमार लोन पिता मेहतराम निवासी करोद स्थित पूजा कॉलोनी, शैलेष गजम पिता कुमोद सिंह, करोद स्थित कृष्णा कॉलोनी निवासी सुनील वर्मा पिता राजेंद्र प्रसाद वर्मा, शैलेंद्र राठौर पिता भगवती प्रसाद राठौर, करोद स्थित बृज कॉलोनी निवासी प्रशांत कुमार पिता रविंद्र सिंह, गोविंदपुरा स्थित बीमा अस्पताल के पास रहने वाले राकेश कुमार मौर्या पिता रामकेश सिंह मौर्या, अशोका गार्डन निवासी मनीष कुमार मानिक पिता तुलसीराम मानिक, कोटरा सुल्तानाबाद स्थित बिजासन कॉलोनी निवासी राजीव कुमार गौर पिता नारायण सिंह गौर, अशोका गार्डन सेमरा स्थित सुभाष कॉलोनी निवासी सतवीर सिंह पिता हुकुम सिंह, मार्क सिटी निवासी कमलेश कुमार कसारे पिता रामदयाल कसारे, वर्धमान कॉलोनी निवासी रविन्द्र प्रसाद पिता चंद्रेश्वर प्रसाद, पुष्पा नगर निवासी सुनील पाठक पिता रामाशीष पाठक, मंडीदीप के राम नगर निवासी विनोद कुमार विश्वकर्मा पिता रामस्वरूप विश्वकर्मा, भोपाल के साउथ टीटी नगर स्थित बाणगंगा निवासी जितेंद्र सिंह राजपूत पिता रघुवीर सिंह राजपूत को लोन दिए गए थे।
जांच में पता चला कि जिन चौदह लोगों को लोन मंजूर हुए वे सभी बुधनी (Budhni) स्थित ट्राइडेंट कंपनी (Tritend Company) में जॉब करते थे। इन सभी कर्मचारियों की सिविल रिपोर्ट खराब थी। इस बात की जानकारी शक्ति नगर बैंक मैनेजर को थी। यह जानते हुए भी चार दलाल आरोपियों की मदद से इनकी नौकरी होशंगाबाद रोड स्थित हाई सिक्योरिटी पेपर मील में दर्शाई गई। यहां बनने वाले कागज से ही भारत में नोट छापे जाते हैं। बारह लोन लेने वालों को पेपर मिल का कर्मचारी बताया गया। जबकि दो लोगों को भोपाल में स्थित इंदिरा गांधी संग्रहालय का कर्मचारी बनाया गया। जब फर्जीवाड़े की जांच खुली तो आरोपी बैंक मैनेजर ने सर्टिफिकेट जारी करने वाले आउट सोर्स कंपनी के तत्कालीन डायरेक्टर और उसके कर्मचारी की मदद से जिनके लोन मंजूर हुए उनके सर्टिफिकेट जारी कराए थे।
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