Bhopal Private Hospital Mafia: कोरोना की दहशत के बीच ऐसा चल रहा निजी अस्पतालों में
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal Private Hospital Mafia) में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने सबकुछ हिलाकर रख दिया है। सरकार स्थितियों को संभाल नहीं पा रही है। आम आदमी को कोई राहत नहीं है। हर व्यक्ति इस वक्त काला बाजारी और मुनाफाखोरी करने में जुटा हुआ है। इन्हीं बातों को लेकर द क्राइम इंफो को प्रायवेट अस्पतालों में चल रही दादागिरी की सूचनाएं मिल रही थी। यह खबरें लगातार एक सप्ताह से सामने आ रही थी। इन बातों की सच्चाई पता लगाई गई तो तीन निजी अस्पताल बेनकाब हो गया। अमूमन यह हालात सभी निजी अस्पतालों में चल रहे है। सरकारी सिस्टम में इन अस्पतालों की निगरानी के लिए कोई मैकेनिज्म ही तैयार नहीं किया गया है। खुलेआम आम नागरिकों से दादागिरी की जा रही है।
सरकार के यह थे आदेश
पिछले दिनों ही राज्य सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए टेस्ट के दाम तय किए थे। इसमें रैपिड एंटीजन टेस्ट की दर 300 रुपए तो आरटीपीसीआ टेस्ट की दर 700 रुपए तय की गई थी। इसके अलावा एचआरसीटी जांच के लिए तीन हजार रुपए सरकार ने लेने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के उलट निजी अस्पतालों में भर्राशाही चल रही है। जिसकी सुध लेने के लिए जिम्मेदार कोई मैकेनिज्म ही तय नहीं कर पाए हैं। प्रशासन कीमतों का परीक्षण करने और उसकी निगरानी करने का भी काम नहीं कर रहा है। यह हम नहीं कह रहे आगे आपको बहुत सी बातें सुनाई देगी।
ऐसे होते हैं टेस्ट
रैपिड एंटीजन टेस्ट नाक के रास्ते स्लाइड डालकर होता है। इसमें पॉजिटिव होने पर तुरंत पता चलता है। इसके अलावा आरटीपीसीआर गले के रास्ते स्लाइड लेकर किया जाता है। एचआरसीटी टेस्ट में फैफड़ो का सीटी स्कैन किया जाता है। तीनों रिपोर्ट समय पर न मिलने और उसको कराने के लिए मनमानी फीस वसूलने (Bhopal Private Hospital Mafia) की शिकायतें द क्राइम इंफो को मिल रही थी। इसलिए हमारी टीम ने अस्पताल के नंबरों पर संपर्क करके पता लगाया। फोन पर ही खुलेआम सरकार को धमकाने से लेकर मनमाना रेट वसूलने की बात की जाने लगी। इस सबंध में हमारी तरफ से एडीएम से भी प्रतिक्रिया ली गई है।
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फोन पर तो कोई भी कुछ भी बोल देता है
एडीएम दिलीप यादव (ADM Dilip Yadav) को सारे अस्पतालों से जुड़ी जानकारी के बारे में बताया गया। उन्हें यह भी कहा गया कि हमारी तरफ से कैमरे का इस्तेमाल नहीं किया गया। सीधे फोन पर संपर्क करके टेस्ट कराने और उसकी कीमतों को लेकर रिसेप्शन के नंबर पर कॉल लगाया गया। यह सारे नंबर निजी अस्पतालों की वेबसाइट से ही लिए गए थे। एडीएम ने द क्राइम इंफो से बिल मांगा तो उन्हें रिकॉर्डिंग बताई गई। फिर उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्डिंग उन्हें दी जाए ताकि वे जांच करा सके। खबर के माध्यम से यह संदेश एडीएम तक भी पहुंचाने का पूरा प्रयास हमारी तरफ से किया जाएगा।
मंत्री के रिश्तेदार है भर्ती
हमने भोपाल शहर के तीन निजी अस्पतालों में रेंडमली फोन लगाया था। हमारा उद्देश्य इन अस्पतालों की सेवाओं पर प्रश्न उठाना नहीं है। हमारा प्रयास है कि आपदा के इस अवसर पर सामाजिक सरोकार को प्राथमिकता में रखकर दूसरे राज्यों के मुकाबले हेल्थ सेक्टर में मील बना जाए। हालांकि मैदानी हकीकत शर्मसार करने वाली है। जिन तीन अस्पतालों में बातचीत हुई उसमें चूना भट्टी स्थित गट, सिद्दांता और श्यामला हिल्स स्थित स्मार्ट सिटी अस्पताल है। स्मार्ट सिटी अस्पताल में मध्य प्रदेश के एक मंत्री की बहन भी पिछले एक पखवाड़े से कोरोना पॉजिटिव होने के चलते भर्ती हैं। उस अस्पताल में खुलेआम दादागिरी करते हुए 1100 रुपए मांगे गए थे। अब सवाल यह उठता है कि सिस्टम इस अस्पताल को सरकार होने के महत्व को बता सकेगा।
प्रायवेट अस्पतालों में चल रही टेस्ट के नाम पर मुनाफाखोरी की यह तीन शर्मसार कर देने वाली आवाजें। हमें अफसोस है कि मानवता के लिए संकट बने वायरस से निपटने की बजाय पैसा कमा रहे निजी अस्पताल यह सुनने के बाद शर्मिंदा होंगे और हमारे भोपाल शहर की जनता से माफी मांगेगे।
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चौका देने वाली यह भी जानकारी
रेडक्रास सिद्धांता अस्पताल के संचालक डॉक्टर सुबोध वार्ष्णेय ने बताया कि पहले टेस्ट होते थे। लेकिन, जो दाम सरकार ने तय किए हैं वह अपर्याप्त है। इसमें सैम्पल लाने और ले जाने में ही पेट्रोल पर खर्च होता है। हमने टेस्ट करने के लिए फाइल प्रशासन को भेजी है। अनुमति नहीं मिली है इसलिए टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं। इधर, गट अस्पताल के संचालक डॉक्टर डॉक्टर वीरेन्द्र सिंह चौधरी ने फोन पर बातचीत नहीं की। रिसेप्शन ने फोन उनके कैबिन में ट्रांसफर किया था। इसी तरह स्मार्ट सिटी अस्पताल में प्रबंधन का काम देखने वाले भूपेन्द्र अम्बुलकर का दावा था कि उनके यहां सरकारी गाइड लाइन के अनुसार टेस्ट की फीस ली जा रही है।
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