प्रदेश की एक दर्जन जेलों से रिहा होंगे 186 बंदी, रिहा होने वाले बंदियों में चार महिलाएं भी शामिल, सबसे ज्यादा 30 बंदी ग्वालियर से होंगे रिहा
भोपाल। देश में हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर जेलों के सजायाफ्ता बंदियों को रिहा करने की परंपरा है। यह रिहाई राज्य सरकार के आदेशों पर की जाती है। इसके लिए बकायदा गाइड लाइन बनी हुई है। जिसका पालन किया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि वह कौन से नियम हैं तो वही बताने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार देशभर के राज्यों में कानून भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार चलता है। इसमें अलग—अलग राज्य अपने क्षेत्र के अनुसार उसमें संशोधन करके उसे चलाते हैं। लेकिन, अधिकांशत: यही कानून पूरे हिंदुस्तान में लागू होते हैं। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के ही अनुसार पुलिस, प्रशासन और राज्य सरकारें अपना निर्णय लेती हैं। इसी संहिता में एक धारा में पदेन सरकार को यह अधिकार दिलाती है। इसके बारे में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 432 और 433 में दिया गया है। इसी धारा में से धारा 433 का उपयोग राज्य सरकार बंदियों को रिहा करने के लिए करती है। इसके तहत संभाग के कमिश्नर के माध्यम से संबंधित जिले के कलेक्टर की मदद से जेल अधीक्षक रिहा किए जाने वाले बंदियों के प्रस्ताव को भेजता है। प्रस्ताव भेजने के लिए भी गाइड लाइन बनाई गई है। इसी गाइड लाइन के अनुसार जेल अधीक्षक प्रस्ताव बनाकर सरकार तक रिहा किए जाने योग्य बंदियों की जानकारी पहुंचाने का काम करते हैं।
क्या है गाइड लाइन
गाइड लाइन के अनुसार वह बंदी जिन्होंने अधिकतम 14 साल की सजा पूरी कर ली हो। वे ही इस धारा (CRPC) के तहत नाम भेजे जाने के लिए पात्र होते हैं। इस धारा में आंशिक संशोधन निर्भया कांड के बाद हुआ है। जिसमें वह बंदी जो ज्यादती के मामले में सजा पाया हो उसे इस धारा का लाभ अब नहीं दिया जाता है। इसी तरह से वह बंदी जिसे किसी भी ऐसे जुर्म में जिसमें उसको फांसी की सजा दी हो। जिसे राष्ट्रपति अथवा सुप्रीम कोर्ट से राहत दी गई हो उसे भी इस धारा के तहत रियायत नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा देशद्रोह, एनडीपीएस के मामलों में सजा पाने वाले बंदियों को भी सीआरपीसी की धारा 433 के तहत लाभ प्राप्त नहीं हो सकता है।
इस साल कितने बंदी होंगे रिहा
राज्य सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर बंदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पूरी कवायद पूरी कर ली गई है। डीआईजी जेल संजय पांडे के अनुसार इस साल 186 बंदियों को प्रदेश की 12 जेलों से रिहा किया जाएगा। यह सभी बंदी हत्या के मामले में सजा काट रहे थे। जेल प्रबंधन ने इन बंदियों के आचरण में सुधार पाया है। जिसके चलते इनके नामों का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। जानकारी के अनुसार जेल मुख्यालय की तरफ से 190 बंदियों का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। जिसमें से चार बंदियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। सर्वाधिक 30 बंदी ग्वालियर जेल से रिहा होंगे। दूसरे नंबर पर इंदौर जेल का नंबर है। यहां से 28 बंदी रिहा किए जाएंगे। इसी तरह तीसरे नंबर पर उज्जैन की जेल का आया है। यहां से 24 बंदी रिहा होंगे। सतना जेल से 20 तो सागर जेल से 17 बंदी इस साल रिहा होंगे। इसी तरह रीवा जेल से 16, जबलपुर जेल से 15 और बड़वानी जेल से 11 बंदियों को रिहा किया जा रहा है। भोपाल केन्द्रीय जेल से इस साल 12 बंदियों को रिहाई मिलेगी। होशंगाबाद की खुली जेल से पांच तो केन्द्रीय जेल से पांच बंदियों को रिहा किया जा रहा है। धार जेल से एक बंदी को तो नरसिंहपुर की जेल से दो बंदियों को रिहाई मिलेगी। हालांकि यहां से चार लोगों के नाम सरकार को भेेजे गए थे।