PM Modi Speech: IPS Probationers से कहा रूल और रोल में अंतर को जानिए

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PM Modi Speech: महामारी के दौरान जितने भी थानों में अच्छे काम हुए उनको लिपिबद्ध करके डिजीटल स्वरुप में लाने प्रधानमंत्री की अपील

PM Modi Speech
नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत फाइल फोटो पीआईबी से साभार

भोपाल। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi Speech) ने देश के सभी थानों से अपील की है कि अच्छे कामों से जुड़े पलों को संजोकर रखने के लिए उसको लिखा जाए। फिर उन्हें डिजीटल माध्यम के जरिए सार्वजनिक भी किया जाए। यह बात उन्होंने शुक्रवार को आयोजित वेबिनार के माध्यम से कही। प्रधानमंत्री वेबिनार के जरिए हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल पुलिस अकादमी (Sardar Vallabhbhai Patel Police Academy Hyderabad) में प्रशिक्षण ले रहे 131 आईपीएस अफसरों से संवाद कर रहे थे। इस दौरान कुछ आईपीएस अफसरों ने अपने अनुभव भी प्रधानमंत्री से साझा किए। प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi Speech) ने भी पुलिस और भारतीय पुलिस सेवा के अफसरों के साथ हुए कुछ रोचक किस्से सुनाए। लगभग एक घंटे हुए इस कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के दिवंगत पुलिस अफसर का नाम और उनकी कविता भी गूंजी।

पुलिस मतलब डंडा और तू—तू मैं—मैं

प्रधानमंत्री ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रोबेशनर अफसरों से अपने किस्से साझा करने के लिए कहा। सबसे पहले तमिलनाडू कैडर की महिला आईपीएस किरण श्रुति (IPS Kiran Shruti) ने माइक थामा। उन्होंने थाने में प्रशिक्षण की बात बताई। प्रधानमंत्री ने पूछा आप आईपीएस क्यों बनना चाहती हो। इस पर श्रुति ने कहा उसके माता—पिता महिला आईपीएस किरण बेदी (Former IPS Kiran Bedi) से प्रभावित है। प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा पुलिस का मतलब डंडा और तू—तू, मैं—मैं समझा जाता है। जबकि हर थाने में रोज पुलिस पांच से दस काम मानवता के रोज करती है। लेकिन, महामारी के दौरान मानवता के अंश जो टुकड़ों में थे वह संगठित नजर आए।

तिरंगा जैसा यूनिफॉर्म के लिए भाव

प्रधानमंत्री ने कहा (Probationers IPS Speech) देश के हर थाने में मानवता के काम हुए। कोरोना मरीजों को ले जाते, फुटपाथ के गरीब और असहाय लोगों को भोजन कराने की तस्वीरें भी सामने आई। इन सबको संग्रह करके बताना चाहिए। ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी उससे प्रभावित हो। प्रधानमंत्री का इशारा पुलिस की समाज में बुरी छवि को मिटाने की तरफ था। उन्होंने कहा कि खाकी से रौब नहीं गर्व होना चाहिए। उसका तिरंगे के जैसे ही सम्मान भाव होना चाहिए।

आपदा से सीखने को मिला

MP Basmati Rice
नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत File Photo

भारतीय पुलिस सेवा के अफसर पाटना प्रीतम दास (IPS Patna Pritam Das) ने कहा कि वह असम—मेघालय कैडर के अफसर है। सूरत में चार साल इंजीनियरिंग का कोर्स किया। फील्ड पोस्टिंग के दौरान वह भी जब कोरोना महामारी चल रही हो उसमें बड़े अच्छे काम भी किए गए। दास ने प्रधानमंत्री को यकीन दिलाया कि 2017 बैच से आपको बहुत गर्व महसूस होगा। असम के रहने वाले दास से प्रधानमंत्री ने कहा कि सूरत और असम में एक चीज सामान्य है। दोनों जगह “स” शब्द की जगह “ह” का उच्चारण किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामान्य दिनों में जो प्रशिक्षण मिलता उसमें आप केवल कानूनी और व्यवस्थाओं से संबंधित तकनीकी जानकारियों से वाकिफ होते है। लेकिन, आपकी तैनाती उस वक्त हुई जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था। इसलिए यह अनुभव आपकी सेवा में बहुत मायने रखेंगे।

टेक्सटाइल और टेरर, हंस पड़े सभी

जम्मू—कश्मीर बैच की महिला अफसर तनुश्री (Tanushri) ने आतंकी जुनैद के एनकाउंटर के वक्त हुई घटना का चित्रण किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से एक टीम आतंकियों से लौहा ले रही थी। जबकि दूसरी टीम महिलाओं और बच्चों को रेस्क्यू कर रही थी। वहीं तीसरी टीम पत्थरबाजों से भी मुकाबला कर रही थी। परिचय के दौरान तनुश्री ने बताया कि उसने गांधी नगर से टेक्सटाइल का कोर्स किया है। यह जानकार प्रधानमंत्री अपने आपको रोक नहीं सके। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल और टेरर यह दोनों ही अलग—अलग विधा है। टेक्सटाइल में धागों को जोड़ा जाता है जबकि टेरर में धागों को उधेड़ा जाता है। यह सुनकर वेबिनार में हंसी गूंज उठी।

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भारत में सिविल सोसायटी का अपना महत्व

भारतीय पुलिस सेवा के अफसर ओम प्रकाश जाट (Om Prakash Jat) जो कि मूलत: राजस्थान के हैं और गुजरात में तैनाती उन्हें मिली है। जाट ने वलसाड में तैनाती के दौरान किए गए सामाजिक कार्य की जानकारी प्रधानमंत्री को बताई। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं गुजरात में था और सामान्य कार्यकर्ता हुआ करता था। उस वक्त कच्छ में भूकंप आया था। वहां देश—विदेश से कई लोग सेवा भाव में लगे थे। तब एक विदेशी से चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि आपदा के वक्त डब्ल्यूएचओ, रेडक्रास की टीम सक्रिय होती है। लेकिन, भारत में समाज और सिविल सोसायटी काफी सक्रिय है। सिविल सोसायटी का अपना महत्व है। इसलिए इसको और अधिक मजबूत बनाने की उन्होंने अपील की।

कान में ताला नहीं फिल्टर लगाए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने संबोधन में कहा कि प्रशिक्षण के बाद आप फील्ड में होंगे। आपके अनुभव अभी उतने नहीं होंगे जितने होने चाहिए। लेकिन, जनता इन सभी बातों को नहीं समझती है। वह यह जानती है कि आप वर्दी पहने हैं और आप उसका निदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने अफसरों से कहा कि आप छवि का विशेष ध्यान रखे। ऐसा न सोचे कि आपकी छवि दूसरी जगह जाएंगे तो वहां नहीं पहुंचेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे सेवादार जो बिना मतलब आपके ईद—गिर्द होते हैं उन्हें पहचाने। शुरुआत के दौरान कान में फिल्टर लगाए न कि कान में ताला। ऐसा करने से आपके काम में आपको मदद मिलेगी।

जनप्रतिनिधि का सम्मान करें

PM Modi ka Sambodhan
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री- File Photo

प्रधानमंत्री ने सिंघम फिल्म (Film Singham) का भी नाम लेते हुए कहा कि रौब से ज्यादा प्रेम का सेतु पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप जहां भी जाए वहां के स्टाफ और थानों में बदलाव लाने की कोशिश कीजिए। थाना साफ रखें और व्यवस्थित कराएं। इससे भी एक छवि समाज में बनेगी। स्वच्छ वातावरण और अनुशासन के साथ—साथ जनता के प्रति आदरभाव पैदा करें। उन्होंने कहा वर्दी के प्रभाव की उम्र कम होती है। जबकि प्रेम का सेतु आपको बदल सकता है। पुलिस और राजनीति के बीच अक्सर मुकाबला होता है। लोकतत्र में दल कोई भी हो उसके जनप्रतिनिधि का सम्मान करना चाहिए।

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निकम्मा अफसर ट्रेनिंग में नहीं लगता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रोबेशनर्स अफसरों (IPS Probationers Interacts) से चर्चा करते हुए कहा कि आपके डायरेक्टर अतुल करवाल (Atul Karwal) ने मुझे भी ट्रेनिंग दी है। करवाल सीएम सिक्यूरिटी में थे तब उन्होंने मुझे जनता के बीच जाने पर रोक—टोक लगाई थी। उन्हें यह सब कहते हुए जरा भी डर नहीं लगा। उन्होंने बताया करवाल मेरे पास ट्रेनिंग में जाने के लिए आए थे। जबकि लोग इसको निकम्मा अफसर को जिम्मेदारी सौंपे जाने का समझते हैं। लेकिन, ट्रेनिंग का विशेष महत्व होता है। इसको आगे बढ़ाने और सुधार के लिए सरकार मिशन कर्म योगी लांच कर चुकी है। प्रधानमंत्री ने रुल और रोल की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।

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सिपाही की सूचना बढ़ाने पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना क्रांति ने जांच को आसान बना दिया है। मोबाइल ट्रेकिंग, सीसीटीवी फुटेज समेत कई आधुनिक तकनीक विकसित हो चुकी है। उन्होंने सलाह दी कि इन तकनीक की मदद ली जाए पर निर्भर न रहा जाए। प्रधानमंत्री ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रोबेशनर्स अफसरों (IPS Probationers News In Hindi) से कहा कि सिपाही की सूचना के काम को बढ़ावा दिया जाए। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के कामों की भी चर्चा की। उनका इशारा यह था कि इन यूनिट के आने से सेना के काम का बोझ थोड़ा बहुत कम हुआ है।

मध्य प्रदेश के इंस्पेक्टर की कविता गूंजी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आईपीएस प्रोबेशनर्स अफसरों से चर्चा कर रहे थे तब मध्य प्रदेश का नाम भी गूंजा। मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस आदित्य मिश्र (IPS Aditya Mishra) ने कहा उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी के वक्त इंस्पेक्टर देवेन्द्र चंद्रवंशी (Devendra Chandravanshi) के निधन को करीब से देखा। चंद्रवंशी का निधन कोरोना की वजह से हुआ था। मिश्र ने चंद्रवंशी की कविता का भी पाठ किया। चंद्रवंशी 2007 बैच के एसआई थे जो मूलत: शाजापुर जिले के रहने वाले थे। उनका निधन अरविंदो अस्पताल में अप्रैल, 2020 में हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल के दौरान इंदौर को लेकर वे भी काफी तनाव में थे। वहां की रिपोर्ट मिल रही थी। इसलिए इंदौर के लिए बहुत अलग कोशिश की थी।

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वह पल जिसमें पीएम असहज हुए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ—साथ वेबिनार में गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी जुड़े थे। संवाद कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसे भी पल आए जिसमें प्रधानमंत्री थोड़ा असहज हुए। दरअसल, बातचीत के दौरान वह बातें भी आई जिसको लेकर विपक्ष के नेता सरकार पर तंज कसते हैं। ओमप्रकाश जाट जिन्होंने वलसाड में 61 हजार प्रवासी मजदूरों की कहानी बताई। उनके भोजन से लेकर रोजगार के इंतजाम करने की जानकारी दी। जाट ने बेरोजगार, प्रवासी मजदूरों की भूख, कारखाना मालिकों के रवैये के बारे में बताया तब यह स्थिति बनी थी। इसी तरह किरण श्रुति की जानकारी जिसमें मैदानी कर्मचारियों की तकलीफ को बयां करते वक्त हिचक देखी गई। एक बार तो ऐसा हुआ जब शब्द ज्यादा हुए तो पीएम ने आवाज सुनाई नहीं देने का इशारा भी किया।

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