Indo-Nepal Border Dispute: देश में विपक्षी नेताओं के बाद नेपाली नागरिकों की तरफ से सोशल मीडिया में जताई जा रही नाराजगी, नेपाली पीएम की यात्रा से पहले तूल पकड़ सकता है नई संसद भवन का यह चित्र का मुद्दा
नई दिल्ली/भोपाल। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले रविवार को नई संसद भवन का उदघाटन किया है। इस उदघाटन को लेकर 20 विपक्षी पार्टियों ने विरोध करते हुए कार्यक्रम से किनारा किया था। अब नए संसद भवन उदघाटन के बाद उसकी तस्वीर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की काफी आलोचना की जा रही है। खासतौर पर यह विवाद नेपाल (Indo-Nepal Border Dispute) में चल रहा है। वहां के हजारों नागरिक सोशल मीडिया के जरिए भारत के खिलाफ जमकर आलोचना कर रहे हैं। यह विषय तब सामने आ रहा है जब नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भारत की राजनयिक यात्रा पर आ रहे हैं।
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नेपाली पीएम की यात्रा से पूर्व बॉर्डर विवाद फिर गहराया
भारत—नेपाल (Bharat-Nepal) के बीच 2014 से रिश्ते सामान्य नहीं हैं। नेपाल (Indo-Nepal Border Dispute) में भेजा जाने वाला सामान भी भारत ने रोक दिया था। नेपाली संविधान को लेकर भी भारत ने आपत्ति जताई थी। इधर, नेपाल में चीन बहुत तेजी से निवेश कर रहा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी ओली (KP Oli) ने उसको बहुत ज्यादा रफ्तार दी थी। भारत नेपाल के बीच सीमा विवाद नया नहीं है। दोनों देशों के बीच लिपुलेक, कालापानी क्षेत्र को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा है। अब नई संसद भवन में रखे गए अखंड भारत के नक्शे से नेपाल में कई राजनीतिक पार्टियां नाराज हो गई है। उनका आरोप है कि यह छोटे देश के प्रति भारत की तरफ से की गई यह ज्यादती है। दरअसल, नई संसद भवन में कपिलवस्तु और लुम्बिनी को लेकर विवाद गहराया है। लुम्बिनी (Lumbini) में चीन (China) ने भारी निवेश करके एयरपोर्ट भी बनाया है। यह पूरा विवाद मैन स्ट्रीम मीडिया से ज्यादा सोशल मीडिया में चल रहा है। इधर, भोपाल में 27 मई को नेपाल से आए राष्ट्रीय जनमोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जनकराज शर्मा (Janakraj Sharma) ने भी सीमा विवाद को लेकर बयान नेपाली नागरिकों के सामने दिया था।
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