TCI Exclusive: हेल्थ सिस्टम की कलई खोलती दो कहानियां

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आयुष्मान योजना में इलाज के नाम पर धांधली का आरोप तो दूसरी घटना में प्रसूता को इलाज करने से मना किया

अस्पताल में भर्ती भाई के साथ सुनीता ठाकुर

भोपाल। (Bhopal Health Department Hindi News) देश में 52 दिन से लॉक डाउन है। यह लॉक डाउन कोरोनावायरस के चलते लागू किया गया है। इस वायरस से निपटने के लिए मध्य प्रदेश (MP Health Department Mews) का स्वास्थ्य महकमा शुरु से विवादों में रहा है। सर्वाधिक प्रभावित जिलों में मध्य प्रदेश (MP Hindi News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Health Department News) भी शामिल है। यहां कोरोना संक्रमितों की मरीजों की संख्या लगभग एक हजार पर पहुंच गई है। इनमें से 35 लोगों की मौत (Bhopal Corona Death Report) भी हो चुकी है। राज्य सरकार दावा कर रही है कि कोरोना को रोकने और मौत को थामने के लिए स्वास्थ्य महकमा पैनी नजर रखे हुए हैं। लेकिन, सरकार और स्वास्थ्य महकमे के दावों की पोल ताजा दो घटनाओं (Bhopal Health Ground Report) ने उजागर कर दी। यह दोनों मामले मध्य प्रदेश (MP Doctor Report) की राजधानी भोपाल (Bhopal Doctor Report) की है। हालांकि दोनों मामले कोरोना से संबंधित नहीं है। यह दोनों मामले दूसरी बीमारियों से संबंध रखते हैं। जिसमें एक निजी अस्पताल है तो दूसरा सरकारी अस्पताल। दोनों अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने (Bhopal Doctor Negligence Story) के आरोप लगे हैं। हालांकि अफसर बिना जांच इन आरोपों को सिरे से नकार रहे हैं।

कोरोना की तैयारियां शुरु से विवादों में
ऐसा नहीं है कि कोरोना को लेकर सिस्टम कारगर तरीके से काम कर रहा है। बीडीए कॉलोनी में रहने वाले पृथ्वी नंदमेहर (Prithvi Nandmeher) दिल्ली से लौटकर आए थे। उन्हें शक के आधार पर कोरोना की तैयारियों को लेकर जारी डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन (WHO Guideline) के अनुसार होम क्वारेंटाइन किया गया। प्रशासन की तरफ से एक नोटिस चिपकाने के बाद कभी प्रशासन सुध लेने नहीं आया। नोटिस भी पृथ्वी ने अपने हाथ से निकाला था। सिर्फ फोन पर बीमारी से संबंधित लक्षण प्रशासन मालूम करता रहा। इसी तरह प्रशासन ने बीएमएचआरसी को कोविड—19 अस्पताल बना दिया गया। जबकि यह अस्पताल गैस पीड़ितों के लिए आरक्षित था। यहां के मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था। जिसके कारण उनमें ने तीन मरीजों की मौत हो गई थी। मामले ने तूल पकड़ा तो सरकार ने उसको कोविड—19 अस्पताल की सूची से बाहर किया। इससे पहले एक—एक करके लगभग तीन दर्जन स्वास्थ्य विभाग के अफसर और कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इन्हीं लापरवाही के चलते सरकार को प्रशासनिक सर्जरी भी करनी पड़ी थी।

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यह है ताजा हालात
गांधी नगर नई बस्ती निवासी सनव्वर हुसैन (Sanvvar Husain) की पत्नी रेशमा गर्भवती थी। उसका गांधी नगर स्थित सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा था। रेशमा को शुक्रवार को प्रसव की पीड़ा (Bhopal Gynec Doctor Report) हुई। वह सिविल अस्पताल पहुंची तो वहां चिकित्सकों ने उसको देखने से मना कर दिया। नतीजन रेशमा की घर में डिलीवरी (Bhopal Delivery Negligence story) की गई। अस्पताल की इस लापरवाही पर डॉक्टर ललिता परमार (Dr Lalita Permar) का कहना था कि जिस महिला ने यह आरोप लगाए हैं उसको बताया गया था कि बच्चे के गले में नाल फंस गई है। उसको सुल्तानिया अस्पताल जाने के लिए कहा गया था।

आयुष्मान कार्ड में धांधली
इधर, राजधानी के एलबीएस अस्पताल (LBS Hospital) पर एक परिवार ने गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। परिवार का दावा है कि अस्पताल आयुष्मान स्कीम (Ayushman Scheme) के तहत किए जाने वाले इलाज में लापरवाही बरत रहा है। यह आरोप बकायदा टिकटॉक वीडियो से बताया गया था। वीडियो बनाने वाली सुनीता ठाकुर है जो ऐशबाग इलाके में रहती है। सुनीता ठाकुर ने द क्राइम इंफो डॉट कॉम को बताया कि उसका भाई सत्येन्द्र तोमर को दिल का दौरा पड़ा था। उसको 30 अप्रैल को भर्ती किया गया था। एलबीएस अस्पताल में उसको स्टैंट डाला गया था। यह सारा इलाज आयुष्मान स्कीम के तहत हुआ था। अस्पताल ने डिस्चार्ज कर दिया जबकि उसका भाई सही नहीं हुआ था।

अपील

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