पिपरिया में पेड़ छूने को लेकर मची होड़ को रोकने के दौरान मचा बड़ा बवाल, संघर्ष में कई जख्मी
होशंगाबाद। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के होशंगाबाद (Hoshangabad) शहर के नजदीक पिपरिया (Pipriya) इलाके में बुधवार सुबह कानून—व्यवस्था (Law & Order) की स्थिति बिगड़ गई। यहां अधविश्वास (Blind Faith) को लेकर जमा सैंकड़ों की संख्या में आई भीड़ (Mob Lynching) ने थाना प्रभारी समेत पुलिसकर्मियों पर हमला (Attack On Police) बोल दिया। हमले में एक थाना प्रभारी का सिर फट गया है। पूरा विवाद एक पेड़ को छूने के लिए जमा हुई भीड़ को रोकने से शुरू हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए आस—पास थानों से बल बुला लिया गया है।
उग्र भीड़ ने पिपरिया के नया गांव इलाके में घंटों गदर मचाया था। भीड़ ने पुलिस वाहनों के अलावा वहां पहुंचे नागरिकों के वाहनों को भी निशाना (Police Vehicle Target) बनाया। कुछ मोटर साइकिल पर आग भी लगाई गई। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास भी किया। लेकिन, बेकाबू भीड़ उग्र हो चुकी थी। वह जम्मू—कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बरसाए जाने वाले पत्थर (Stone Pelting) की तरह पुलिस पर बरसाने लगी। भीड़ के इस एक्शन से मैदानी पुलिस बेखबर थी। इसलिए हेलमेट और बॉडी सुरक्षा गार्ड न होने पर पुलिस अपना बचाव नहीं कर पाई। हमले में वनखेड़ी थाना प्रभारी शंकर लाल झारिया (Shankar Lal Jhariya) बुरी तरह से जख्मी है। उनका सिर पत्थर लगने से बुरी तरह से फट गया था। भीड़ उन्हें सबक सिखाना चाहती थी। यह देखकर उन्हें पुलिस पहरे में वहां से हटाया गया।
यह थी हमले की वजह
बताया जाता है कि होशंगाबाद (Hoshangabad) जिले के पिपरिया (Pipriya) इलाके में नया गांव पड़ता है। इस गांव के एक व्यक्ति को लकवा (Paralyses) मार गया था। इसलिए वह गांव के ही एक महुए के पेड़ (Mahua Tree) में जाकर लिपट जाता था। वह प्रतिदिन ऐसा करता था। यह बात एक व्यक्ति के माध्यम से गांवों के घर फिर आस—पास के बाद पूरे होशंगाबाद जिले में फैल गई। आलम यह हुआ कि यह खबर पूरे प्रदेश (Madhya Pradesh) समेत कई अन्य राज्यों में फैल गई। इसलिए गांव में वह महुए का पेड़ आस्था का केन्द्र बन गया। यहां प्रदेश भर से लकवे के मरीज पहुंचने लगे। सभी उस पेड़ को छूने की होड़ करते थे। धीरे—धीरे यह बात थाना पुलिस को भी मिली। पुलिस ने इस अंधविश्वास (Blind Faith) को मिटाने की बजाय पेड़ के आस—पास सुरक्षा इंतजाम करना शुरू कर दिए।
अब उस व्यक्ति की तलाश
आलम यह था कि आस—पास थानों से अतिरिक्त बल निकालकर यहां तैनात किया जाने लगा। बात अफसरों तक पहुंची तो उन्होंने पेड़ को छूने पर प्रतिबंध लगा दिया। इलाके की बैरीकेडिंग कर दी गई। यहां लगातार भीड़ बढ़ती चली गई और बुधवार को पुलिस के खिलाफ हो गई। भीड़ का कहना था कि पुलिस लोगों की आस्था के मामले में हस्तक्षेप कर रही है और वह उसके धार्मिक अधिकार को छीन रही है। उग्र भीड़ पथराव, आगजनी समेत सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने लगी। इधर, पुलिस को उस व्यक्ति की तलाश है जिसने इस अंधविश्वास को हवा दी थी। वही व्यक्ति उस पेड़ के आस—पास रहकर अपनी कहानी लोगों को बताता था। अब वह भूमिगत हो गया है। इधर, खबर है कि वनखेड़ी टीआई सतीश अंधवान ने सूझबूझ का परिचय देते हुए भीड़ को नियंत्रण किया। फिलहाल गांव वालों और पुलिस अफसरों के बीच बातचीत जारी है।