Fish Fortune Scam: गुपचुप तरीके से तीसरे आरोपी ने अग्रिम जमानत लेकर कराई थाने में अपनी गिरफ्तारी, मुख्य आरोपियों को भी मिल सकता है इसका फायदा, मछली पालन में निवेश के नाम पर किया था 240 करोड़ रुपए का घोटाला
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भोपाल। मध्यप्रदेश का जब भी कोई विवादों में नाम आता है तो यहां एक—एक करके कई घोटाले सामने आने लगते हैं। जैसे व्यापमं, ई—टेंडर, कंप्यूटर खरीदी घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला वगैरह—वगैरह। पिछले साल ही मछली पालन (Fish Fortune Scam) के नाम पर हुए घोटाले का मामला सामने आया था। यह मामला उठाने के लिए कई किसानों को ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। अब यह मामला पुलिस के रास्ते ठंडे बस्ते में जाने की तरफ है। इसकी अलग—अलग एफआईआर भोपाल के तीन थानों क्राइम ब्रांच, कोहेफिजा और निशातपुरा में दर्ज हैं। सभी थानों ने अपने—अपने मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली है।
पहले कराई किरकिरी फिर एफआईआर
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फिश फॉरच्यून की पहली एफआईआर भोपाल क्राइम ब्रांच ने अक्टूबर, 2021 में दर्ज की थी। उसके बाद कोहेफिजा थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि कोहेफिजा पुलिस आरोपियों को दबोचने में कामयाब हुई थी। इस मामले में 24 वर्षीय विनय शर्मा और बृजेन्द्र कुमार कश्यप को लगभग आस—पास गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही आरोपी रिमांड पर चल रहे हैं। दोनों आरोपियों को राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस अपने यहां दर्ज मुकदमों में पूछताछ के लिए ले गई है। विनय शर्मा और बृजेन्द्र कुमार कश्यप से हुई पूछताछ के बाद कोई ठोस सबूत घोटालों को साबित करने की तफर पुलिस को नहीं मिल पा रहे हैं। आरोपियों का खाता खाली है। संपत्तियां बेची जा चुकी है। दोनों आरोपी सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच यात्रा कर रहे हैं। इस मामले में किरकिरी तब हुई थी जब मत्स्य पालन मंत्री ने डीजीपी से जांच की मांग कर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। जबकि पहले इस मामले में क्लीनचिट दे दी गई थी। फिर किरकिरी होने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।
पुलिस स्तर का नहीं है मामला
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इसी मामले में तीसरे आरोपी राजेन्द्र सिंह राजपूत की गुपचुप तरीके से जमानत हो गई है। वह हाईकोर्ट से जमानत लेकर 17 जनवरी को थाने पहुंचा था। इसी मामले का चौथा आरोपी प्रहलाद शर्मा है जो अभी भी भी फरार चल रहा है। जांच अधिकारी एसआई आरपी सिंह का कहना है कि फिश फॉरच्यून कंपनी के सीएमडी और सीईओ के आधा दर्जन बैंक खातों से 240 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन मिला है। आरोपियों ने कुछ रकम शेयर बाजार में भी निवेश की थी। जिसमें उन्हें घाटा हो गया। इसके अलावा कुछ रकम कंपनी के एजेंट हड़प गए थे। मतलब साफ है कि यह मामला पुलिस के जांच योग्य नहीं है। इस घोटाले (Fish Fortune Scam) के तार कई राज्यों में फैले हुए हैं। वहीं शेयर बाजार में पैसा लगने की बात भी सामने आ रही है। जिस कंपनी ने डेढ़ साल में 240 करोड़ रुपए का लेन—देन किया वह कैसे आयकर, ईडी समेत अन्य जांच एजेंसियों की निगाह में नहीं आई।
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