27 साल पहले मुठभेड़ में शहीद हुए थे मोहन लाल सुनेर, लोगों ने चंदा करके शहीदों के परिवार को मकान बनाकर सौंपा
इंदौर। देश के लिए जिसने (Indore Martyr) शहादत दी। उसको सेना और प्रदेश का सिस्टम भूल गया। गरीबी होने के बावजूद कभी यह जताया नहीं। बात एक—एक करके मोहल्ला, कस्बा, गांव से शहर में फैल गई। नतीजतन, सिस्टम को आईना दिखाने के लिए लोगों ने शहीद परिवार के लिए बीड़ा उठाया। बात हो रही प्रदेश के इंदौर शहर के बेटमा इलाके की। यहां सेना के एक शहीद परिवार की माली हालात देखकर लोगों ने 11 लाख रुपए का चंदा जुटा लिया। इसी चंदे से शहीद के परिवार के लिए पक्का मकान बनाकर सौंप दिया।
#WATCH Indore: Youth in Betma village presented new house y'day to wife of soldier Mohan Singh(who lost his life in 1992 in Assam).She had been living in 'kuccha' house till now. They also placed their hands on the ground in respect to help her enter the house for the first time pic.twitter.com/wp3mSM3lWZ
— ANI (@ANI) August 16, 2019
जानकारी के अनुसार यह समाचार जब वायरल हुआ उस वक्त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Madhya Pradesh Chief Minister Kamalnath) भोपाल के पुलिस नियंत्रण कक्ष का उदघाटन कर रहे थे। तभी उस वक्त इंदौर के बेटमा इलाके में देपालपुर के नजदीक पीरपीपलिया गांव के लोग अपनी दोनों हथेली पर शहीद के परिवार के आगे बिछाकर गृह प्रवेश करा रहे थे। यह दृश्य बहुत तेजी से सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ। जिसके बाद मीडिया एक्टिव हुई और वह शहीद के परिवार की सुध लेने पहुंच गई। परिवार से कहीं ज्यादा शर्मनाक यह बात सिस्टम की है जिसमें आजादी के 73 साल बाद भी एक शहीद का परिवार गरीबी में जीने को विवश था। कमजोर सिस्टम जिसको मजबूत होेन का दावा सारे दलों के नेता करते हैं। यह नेता उस झोपड़ी के सामने से वोट मांगने के लिए कई बार गुजरे भी होंगे। लेकिन, (Indore Martyr) शहीद और उसके परिवार की एक बार भी किसी ने सुध नहीं ली।
नतीजतन बात लोगों तक पहुंची और उन्होंने यह एक बीड़ा उठाया। उन्होंने शहीद (Indore Martyr) मोहनलाल सुनेर के परिवार को रक्षाबंधन के दिन तोहफे में मकान बनाकर सौंपा। मोहनलाल दिसंबर, 1992 में त्रिपुरा में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। मोहनलाल का जज्बा यहां खत्म नहीं हुआ है। उनका बेटा राजेश सेना में हैं और देश सेवा का काम कर रहा है। वह बॉर्डर सिक्यूरिटी फोर्स में तैनात हैं। इस परिवार के लिए देपालपुर के युवाओं ने चेक फॉर शहीद नाम से अभियान चलाया था। इस अभियान की बदौलत युवाओं ने 11 लाख रुपए जुटा लिए। इसमें से 10 लाख रुपए मकान में तो एक लाख रुपए की रकम से मोहनलाल की प्रतिमा बनाने का निर्णय लिया गया। अब गांव में मौजूद स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर रखने पर सहमति बनी है।