Political Joke: जिन-जिन कांग्रेसी नेताओं या आलोचकों ने कूनो अभ्यारण्य में लाए गए चीतों को लेकर बयान दिया है वे भविष्य में पलटी न मारे तो कहिएगा, तत्कालीन प्रधानमंत्री के विजन को भूल गए नेता
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भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 17 सितंबर को जन्मदिन था। यह दिन भारतीय जनता पार्टी के लिए खास था। इसलिए संगठन स्तर से लेकर मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक सांसद लेख लिखकर समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने के लिए अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके अलावा पूरे देश में अलग-अलग क्षेत्रों की शख्सियत भी अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इनमें सभी तरह के खिलाड़ी, अभिनेता, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट भी शामिल थे। विचार सभी क्षेत्रों की शख्सियतों के उज्जवल भविष्य से भी जुड़े थे। यह आरोप विपक्ष के नेताओं के थे। इनमें कांग्रेस, सपा, बसपा, आप समेत कई अन्य पार्टियां (Political Joke) प्रधानमंत्री के जन्मदिन को लेकर अलग-अलग अंदाज में विरोध कर रही थी। कहीं पकोड़े तले जा रहे थे तो कहीं काले कपड़े पहनकर महंगाई का विरोध हो रहा था। बेरोजगारी दिवस में रूप में इस दिन को मनाया गया। यकीन मानिए भविष्य में विपक्षी नेताओं को यह विरोध काफी महंगा साबित होने वाला है। यह राजनीतिक चुटकुला न बने तो कहिएगा। हम यह बातें इसलिए दावेदारी से कर रहे हैं क्योंकि विपक्ष ने बिना जाने आक्रामकता के साथ हीरो बनने के लिए अर्नगल बयान जारी कर दिए। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरे आयोजन को अपनी उपलब्धि में शामिल कर लिया।
इन कारणों से महंगा पड़ेगा बयान
कारोबार के लिए बाजार बना रहा भारत
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तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (EX PM Manmohan Singh) सरकार ने अफ्रीकी देशों से संपर्क जोड़ने का फैसला लिया था। लेकिन, वह किस स्तर पर था उसकी बानगी इस बात से पता चलेगी। मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में अफ्रीकी देशों के राष्ट्र समूहों के साथ केवल दो बार ही बैठक हुई। जबकि मोदी सरकार (Political Joke) ने उसको युद्ध स्तर पर पहुंचा दिया। जिसका नतीजा चीते के रूप में दिखाई देने लगा है। पहली बैठक 8 और 9 अप्रैल, 2008 को नई दिल्ली में हुई थी। दूसरी बैठक तीन साल बाद अफ्रीकी देश के अदिस अबाबा में 24-25 मई, 2011 को हुई थी। इसके बाद तीसरी बैठक 2015 में मोदी कार्यकाल में हुई। इस बैठक के बाद भारत की रणनीति अफ्रीकी देशों का दिल जीतने की थी। जिसमें भारतीय सेना का बहुत बड़ा योगदान रहा। दरअसल, भारत की रक्षा अकादमियां भारत की सेना की मदद से ही चल रही है। इतना ही नहीं मोजांबिक में 2019 में इडाई तूफान आया था। उस वक्त भारत की सेना ने अफ्रीकी देश के नागरिकों की मदद करने के अलावा मानवीय सहायता जैसे अनाज, तंबू, दवा से लेकर कई अन्य सामग्री पहुंचाई थी। अफ्रीकी देश ने इस बात को लेकर भारत की फरवरी, 2020 में काफी तारीफ भी की थी।
यह है भारत का मकसद
विपक्ष को पटखनी मिलना तय
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चीता के जरिए मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार (Political Joke) ने अपनी भी ब्रांडिंग कर ली। प्रदेश का नाम विश्व पटल पर देखा जाने लगा। इस इवेंट ने एक तरफ मोदी के जन्मदिन पर होने वाले विरोध को काट बनाया। वहीं भविष्य के लिए विरोध के जरिए दिए गए बयानों को रिकाॅर्ड में लेकर उसकी ट्रोल आर्मी के जरिए वार करने के लिए साजो सामान जुटा लिया। चीता तो केवल अफ्रीकी देशों के साथ बन रही मित्रता का बहुत बड़ा सर्टिफिकेट हैं। इसलिए राजनीति में कहा जाता है कि राजनीतिक चुटकुला बनने से ज्यादा है पहले उस विषय पर अध्ययन किया जाए। फिर बयान देकर अपनी गंभीरता बताई जाए। हालांकि जिस अंदाज में चीते को बाड़े में छोड़ने का इवेंट किया गया। उसके लिए दिल्ली और प्रदेश स्तर से विज्ञापन मैन स्ट्रीम मीडिया को बांटे गए उससे अतिश्योक्ति भी इस गंभीर विषय की बनी। जबकि विदेशी नीति पर केंद्र सरकार की चुप्पी और केवल ब्रांडिंग पर फोकस की नीति उसके लिए जरूर फिलहाल महंगी साबित हो गई है।