MP Poor Health System: वैक्सीन लगने के एक सप्ताह बाद बिगड़ी तबीयत, पांच अस्पताल यहां—वहां ले जाने के लिए बोलते रहे

भोपाल। मध्य प्रदेश (MP Poor Health System) की राजधानी भोपाल में एक तरफ सिस्टम कोरोना संक्रमण को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। वहीं कोरोना मरीजों को भर्ती करने को लेकर भी जद्दोजेहद चल रही है। सरकारी आंकड़ों में पलंग खाली बताए जा रहे हैं। जबकि हालात यह है कि कोरोना तो छोड़िए नॉन कोविड पेशेन्ट को भी अस्पताल डील नहीं कर रहे है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक व्यक्ति जिसको एक सप्ताह पहले वैक्सीन लगी थी, उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिवार डेढ़ घंटे तक पांच अस्पतालों में इलाज के लिए भटकता रहा। लेकिन, सिस्टम में किसी ने भी उस व्यक्ति की सुध नहीं ली। ऐसा आरोप परिजनों से द क्राइम इंफो के साथ हुई बातचीत से निकलकर सामने आया है। हमारे पास बातचीत की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
एक ही दिन पति—पत्नी ने लगाई थी वैक्सीन
यह पूरा मामला पुलिस रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। कमला नगर थाना पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम किया है। पुलिस का कहना है कि मृतक सुरेश बड़ोलिया पिता बाबूलाल बड़ोलिया उम्र 56 साल निवासी अंबेडकर नगर की मौत की सूचना मिली थी। यह सूचना जेपी अस्पताल से 14 अप्रैल की रात लगभग सवा ग्यारह बजे मिली थी। जांच अधिकारी एएसआई मोहन लाल (ASI Mohan Lal) ने बताया कि सुरेश बड़ोलिया के शव को पीएम के लिए भेज दिया गया है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि सुरेश बड़ोलिया और उसकी पत्नी साधना बड़ोलिया (Sadhana Badoliya) ने 7 अप्रैल को सरकारी क्लीनिक में वैक्सीनेशन कराया था। पीएम के बाद मौत की वास्तविक वजह सामने आ सकेगी।
पत्नी ने यह दी जानकारी

सुरेश बड़ोलिया (Suesh Badoliya) की पत्नी साधना बड़ोलिया का आरोप है कि उसके पति को सही समय पर इलाज मिलता तो वह बच जाते। उन्हें परिवार हजेला, शारदा, सिद्धांता, रेडक्रास के बाद जेपी अस्पताल ले जाया गया था। करीब डेढ़ घंटे तक परिजन इलाज के लिए भटकते रहे। उनकी सांसे चल रही थी। जेपी अस्पताल में मौत होने की खबर दी गई। पत्नी ने बताया कि वह वेयर हाउसिंग में डाक बांटने का काम करते थे। परिवार में दो बच्चे भी है।