Nepali Community News: होटल गोल्डन पैलेस के कर्मचारी को हमीदिया अस्पताल में मृत घोषित किया, होटल मालिक ने नेपाल में कॉल करके भोपाल में ऐसे की परिवार की मदद
भोपाल। गोल्डन पैलेस होटल के एक कर्मचारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यह घटना भोपाल सिटी के मंगलवारा थाना क्षेत्र की है। लाश दो दिनों से हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी में रखी थी। जिसकी जानकारी डॉक्टरों ने पुलिस को देरी से दी। इस पूरे मामले में नेपाली समाज (Nepali Community News) आगे आया और उसने अंत्येष्टि की। जब हकीकत पता लगाने के लिए होटल मालिक पंकज माखीजा (Pankaj Makhija) से संपर्क किया गया तो उन्होंने परिवार तक संदेश पहुंचाने से लेकर भोपाल में अंत्येष्टि इंतजाम के लिए कुछ इस तरह से पहल के बारे में बताया। पुलिस का कहना है कि पीएम रिपोर्ट मिलने के बाद वह जांच के बिंदु तय करेगी।
अस्पताल ने भी जानकारी नहीं दी
मंगलवारा थाना पुलिस के अनुसार 14 जनवरी को हमीदिया अस्पताल से डॉक्टर चौकसे (Dr Choukse) ने एक व्यक्ति के मृत होने की सूचना दी थी। मृतक की पहचान मोती भंडारी पिता टीकाराम उम्र 38 साल के रुप में हुई। मंगलवारा पुलिस मर्ग 03/22 दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। मामले की जांच एएसआई जगदीश रघुवंशी (ASI Jagdish Raghuvanshi) कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोती भंडारी की पत्नी सीता भंडारी (Sita Bhandari) दुबई में जॉब करती है। बेटा गुजरात के बड़ौदा में स्थित होटल में नौकरी करता है। दोनों भोपाल आने में असमर्थ थे। उसका शव दो दिनों से मर्चुरी रुम में रखा था। शव पीएम के बाद नेपाली समाज के पदाधिकारियों को सौंप दिया गया है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि वह होटल के कर्मचारियों के साथ बातचीत भी कर रहा था।
ऐसे की गई अंत्येष्टि
मोती भंडारी (Moti Bhandari) नेपाल के प्यूठान इलाके का रहने वाला था। वह गोल्डन पैलेस होटल में चार महीने पहले ही नौकरी करने आया था। पुलिस का कहना है कि अभी विस्तृत बयान दर्ज किया जाना बाकी है। इधर, श्रीपशुपतिनाथ नेपाली समाज के अध्यक्ष विष्णु शर्मा (Vishnu Sharma) ने बताया कि मोती भंडारी को जब हमीदिया अस्पताल लाया गया तब वह मृत हालत में था। यह बात हमें अस्पताल से पता चली है। इससे पहले होटल के मैनेजर ने मोती भंडारी के नेपाल (Nepali Community News) में स्थित परिजनों को फोन लगाया था। जिनके रिश्तेदार नील बहादुर ने शिवाजी नगर में रहने वाले नारायण को फोन किया। नारायण ने नेपाली समाज के सक्रिय सदस्य पीताम्बर पुलामी से मदद ली। जिसके बाद नेपाली समाज की पहल पर भदभदा विश्राम घाट में अंत्येष्टि की गई।
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