MP Woman Domestic Violence: दो नंबर में चल रहा था परिवार परामर्श केंद्र 

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MP Woman Domestic Violence: हाईकोर्ट से फटकार पड़ती इसलिए आनन—फानन में जागा महिला एवं स्वास्थ्य विभाग, पुलिस मुख्यालय ने रातोंरात मैदानी कर्मचारियों को ताले लगाने के आदेश जारी किए, पुलिस के पास यह अधिकार नहीं है फिर भी चल रहा यह काम

MP Woman Domestic Violence
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में घरेलू हिंसा को लेकर पुलिस मुख्यालय की एक बेहतर योजना पूरी तरह से बंद हो गई। यह योजना महिला परामर्श केंद्र (MP Woman Domestic Violence) से जुड़ी है। जिसमें एमएसडब्ल्यू के कार्यकर्ता बैठकर पति—पत्नी के मामलों में सुलह कराते थे। यह योजना एमपी के सभी थानों में दूसरे दरवाजे से चल रही थी। जब इस संबंध में हाईकोर्ट में अवमानना का प्रकरण दाखिल हुआ तो महिला एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव ने इसे तुरंत बंद करने के आदेश दे दिए।

इस जिले से लगी थी हाईकोर्ट में याचिका

यह स्थिति तब है जब भाजपा—कांग्रेस महिलाओं को लेकर कई योजनाएं लॉच कर रही है। ऐसे में घरेलू हिंसा की शिकार पीड़ितों की होने वाली सुनवाई बंद हो गई। यह योजना पहले केंद्र सरकार स्वाधार योजना के तहत चला रही थी। जिसमें बजट के अभाव में उसे 2015 में बंद कर दिया था। इससे पहले यह योजना आरसीएच और महिला बाल विकास विभाग के अधीन चल रही थी। जब सभी तरफ से बजट मिलना बंद हो गया तो केंद्र सरकार ने इसको जीवित रखने के लिए योगदान दिया था। लेकिन, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दो साल बाद इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। हालांकि एमपी में यह गुपचुप तरीके से चलती रही। नतीजतन, पिछले दिनों रीवा जिले से मानदेय को लेकर एमएसडब्ल्यू (MSW) कार्यकर्ता ने याचिका लगाई थी। जिसमें सरकार के खिलाफ अवमानना का प्रकरण बनने वाला था। यह पता चलने पर प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने उसे रातोंरात बंद करने का आदेश गृह विभाग के जरिए पुलिस मुख्यालय को भेज दिया।

कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में नाकाम

दिल्ली में भाजपा (BJP) तो एमपी में भी उसी पार्टी की सरकार है। यानि डबल इंजन सरकार होने के बावजूद एक बेहतर योजना पर ताला लग गया। ऐसा करने से प्रदेश में महिला संबंधित आंकड़े अब सरकार के लिए समस्या खड़े करेंगे। वहीं पुलिस विभाग को काउंसलिंग के अधिकार नहीं हैं। जिसके चलते प्रदेश के सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क खोलकर परामर्श का काम किया जा रहा है। यदि इसको किसी ने चुनौती दी तो पुलिस के लिए फिर संकट पैदा होने वाला है। वहीं विपक्ष में कांग्रेस (Congress) इस गंभीर विषय को मुद्दा बनाने में नाकाम साबित हुई। महिला परामर्श केंद्र को बंद करने के फैसले पर भोपाल एडीसीपी महिला सेल नीतू सिंह ठाकुर (ADCP Neetu Singh Thakur) ने बताया कि यह फैसला महिला एवं बाल विकास विभाग (Woman And Child Development ) की तरफ से इस महीने मिले पत्र को देखते हुए लिया गया है। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के कोई भी अफसर इस गंभीर विषय पर बातचीत करने के लिए राजी नहीं हुए। जबकि यह विभाग प्रदेश में लाड़ली बहना योजना चला रहा है।

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