Bhopal News: एफआईआर दर्ज कराने विहिप, बजरंग दल, हिंदू वाहिनी, भगवा पार्टी समेत कई अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की, डीसीपी बोले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के एक्सपर्ट जो रिपोर्ट देंगे वैसी होगी कार्रवाई
भोपाल। हिंदू संगठनों के एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने थाने के सामने जमकर नारेबाजी की। यह घटना भोपाल (Bhopal News) शहर के बागसेवनिया थाना क्षेत्र की है। हिंदू संगठन के कार्यकर्ता ही उक्त प्रकरण को लेकर थाने पहुंचे थे। हिंदू संगठन के नेताओं ने बताया है कि साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ दरिंदगी की गई है। ऐसा करने वाला मुस्लिम समाज का युवक है। जिसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि प्रदर्शन कर रहे नेताओं से अलग डीसीपी जोन—2 डॉक्टर संजय कुमार अग्रवाल ने मीडिया को अपना आधिकारिक बयान दिया है।
कोचिंग टीचर के बेटे को हिरासत में लिया
डीसीपी ने बताया कि सुबह लगभग 11 बजे एक परिवार थाने पहुंचा था। उनके साथ साढ़े तीन साल की बेटी थी। उनका कहना था कि उन्हें शंका है कि मासूम बेटी के साथ गलत काम किया गया है। आरोप एक निजी स्कूल की टीचर के बेटे पर लगा है। पुलिस टीम मासूम बच्ची और उनके साथ आई प्रायवेट काउंसलर के साथ सीडब्ल्यूसी के समक्ष भेजी गई हैं। हमारे पास अभी कोई लिखित आवेदन या फिर पुख्ता सबूत ज्यादती को लेकर नहीं है। इसलिए सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट मिलने का इंतजार किया जा रहा है। डॉक्टर संजय कुमार अग्रवाल (DCP Dr Sanjay Kumar Agrawal) ने कहा कि मीडिया के जरिए सभी को मैं आश्वस्त कराना चाहता हूं कि इसमें पूरी तरह से निष्पक्षता के साथ कार्रवाई की जाएगी। इधर, थाने में विहिप नेता जितेंद्र चौहान (Jitendra Chauhan) ने बताया कि आरोपी परिवार मुस्लिम समाज का है। उसके पिता ड्रायवरी का काम करते हैं। बच्ची वहां कोचिंग पढ़ने जाती थी। परिजन सदमे में था इसलिए बजरंग दल (Bajrang Dal) परिवार को लेकर थाने पहुंचा। थाने में नारेबाजी को देखते हुए एसीपी गोविंदपुरा संभाग दीपक नायक, मिसरोद थाना प्रभारी मनीष राज सिंह भदौरिया समेत कई अन्य थानों का बल पहुंच गया था।
हैरानी इस बात की है कि साढ़े तीन साल की बच्ची बताएगी क्या
इससे पहले ऐशबाग (Aishbag) थाना क्षेत्र में भी चार साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न का मामला (Bhopal News) सामने आया था। यह घटना 21 सितंबर को हुई थी। इस मामले को भी पुलिस ने संदिग्ध देखते हुए प्रकरण को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया था। जिसके बाद से लेकर अब तक कोई निर्णय सीडब्ल्यूसी की तरफ से सार्वजनिक नहीं किया गया है। अब यह दूसरा प्रकरण हो गया है। सबसे अहम सवाल यह बनता है कि सीडब्ल्यूसी में बाल हितों के जानकार बैठते हैं जो तीन से चार साल की बच्चियों से यौन उत्पीड़न को लेकर सच है या झूठ यह पता लगाने का प्रयास करते हैं। हालांकि यह काफी जटिल प्रक्रिया होती है। लेकिन, सीडब्ल्यूसी के सदस्य और उनके नाम दोनों ही घटनाओं में अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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