MP Cyber Crime: मोबाइल वैरीफिकेशन के नाम पर बैंक खाते से निकाल लिए थे 10 लाख रुपए
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज सायबर क्राइम (MP Cyber Crime) से संबंधित है। घटना करीब 10 लाख रुपए के फर्जीवाड़े की थी। जिसकी एफआईआर तो हुई थी लेकिन, तफ्तीश के नाम पर उसको दबाकर रखा गया था। पुलिस ने शातिर जालसाज को दबोचने के लिए जाल भी बिछा रखा था। जिसमें पुलिस को एक कामयाबी मिली है। एमपी स्टेट सायबर पुलिस की टीम ने इस मामले में पटना से एक युवक को गिरफ्तार किया है। हालांकि रकम बरामदगी को लेकर अभी कोई जानकारी पुलिस ने सार्वजनिक नहीं की है।
कर लिए थे मोबाइल बंद
राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार घटना फरवरी, 2020 में हुई थी। आरोपियों ने हैदराबाद की कंपनी (Hyderabad Fake Company) का फर्जी वॉलेट बनाकर 10 लाख रुपए की जालसाजी की थी। फर्जी वॉलेट को लखनऊ (Lucknow) में रहने वाले व्यक्ति के नाम पर बनाया गया था। आरोपियों ने यह रकम 5000—5000 रुपए की किस्त में करीब 300 बार ट्रांजेक्शन करके पैसे खाते से निकाल लिए थे। इसके लिए पेटीएम और आईसीआईसीआई बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था। यह रकम पटना, धनबाद और कोलकाता (Kolkata) के एटीएम से निकाले गए थे। आरोपियों ने पैसे निकालने के बाद सारे मोबाइल नंबर बंद कर दिए थे। पड़ताल में यह भी सामने आया है कि मोबाइल की सिम पश्चिम बंगाल से खरीदी गई थी। वहीं बैंक खाते बिहार (Bihar) के लोगों के नाम पर थे।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
एमपी स्टेट सायबर पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में पटना से अनुप कुमार चौबे पिता नागेंद्र नाथ चौबे उम्र 26 साल को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी मूलत: झारखंड (Jharkhand) के पलामू जिले का रहने वाला है। वह राहुल (Rahul) नाम बताकर लोगों से बातचीत करता था। आरोपी के कब्जे से 7 मोबाइल, एक लैपटॉप, आठ सिम, एक चैक बुक, लैटरहेड, पैन कार्ड ओर आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज मिले हैं। आरोपी बीएसएनएल के कस्टमर केयर अफसर बनकर लोगों को फोन करते थे। फिर मोबाइल में एनी डेस्क और क्विक सपोर्ट जैसे एप डाउनलोड कराने के बाद 10 रुपए का रिचार्ज करते थे। ऐसा करने पर आरोपी को संबंधित व्यक्ति के सारी गोपनीय जानकारी मिल जाती थी।
यहां से लेते थे डाटा
पुलिस को इस मामले में अनूप कुमार चौबे (Anoop Kumar Choubey) के अलावा कई अन्य व्यक्तियों की तलाश है। फिलहाल उनकी जानकारी पुलिस को नहीं मिली है। आरोपी ने पूछताछ में बताया है कि वह शिवम ट्रांसपोर्ट में नौकरी लगाने का झांसा देकर बेरोजगारों को पहले टारगेट करता था। उनके नंबर उसको क्विकर जॉब्स जैसी कई अन्य वेबसाइट से मिल जाती थी। इन बेरोजगारों को नौकरी से पहले बैंक में खाता खोलने के लिए मजबूर किया जाता था। जिसके बाद उनके एटीएम और बैंक खातों में अपना नंबर जुड़वाते थे। इन्हीं बैंक खातों से आरोपी रकम निकालने का काम करते थे। हालांकि बेरोजगार इस फर्जीवाड़े से बेखबर रहते थे। इस खुलासे में इंस्पेक्टर चंद्रकांत पाटीदार (Inspector Chandrakant Patidar), एसआई एसएस सोलंकी, एएसआई सुधीर, सिपाही महाराम दांगी और मंजीत सिंह ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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