MP Cop Gossip: सीपी कार्यालय का वर्क डिस्ट्रीब्यूशन बना मजाक

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MP Cop Gossip: मंत्री के च​हेते थानेदार की कुर्सी संभालते ही विपक्ष के सामने अग्नि परीक्षा, बलात्कार की एफआईआर में कर दिया पुलिस ने ‘खेला’, पुलिस लाइन की एक शाखा इसलिए सुर्खियों में

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ खबरें आ जाती है बहुत सी बातें दबी रह जाती हैं। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। जिसमें वह बातें बताने का प्रयास किया जाता है जो पर्दे के पीछे से चल रहा होता है। हमारी हरसंभव कोशिश होती है कि किसी का नाम उजागर न किया जाए। हमारा मकसद किसी व्यवस्था, व्यक्ति या पद को छोटा—बड़ा आंकना नहीं है। ऐसे ही रोचक बातों का इस सप्ताह गुदगुदाने वाली कहानियां सिर्फ आपके लिए।

कॉल डिटेल की जांच हुई तो कई बेनकाब हो सकते हैं

राजधानी में कुछ महीने पहले बलात्कार का एक मामला दर्ज हुआ है। इस मामले का आरोपी अभी पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रहा है। आरोपी ने जहर पीकर जान देने का प्रयास किया है। जिसने यह कदम उठाया उसकी कुछ महीने पहले शादी भी हुई है। यह तरीका नया नहीं है, क्योंकि जिसने जहर गटका उसके पिता भी एक बार बलात्कार के ही मामले में फंसे थे। कुछ इसी तरह मामले को ठंडे बस्ते में दबाकर पूरे प्रकरण में खात्मा लगा लिया था। कुछ ऐसा ही बेटे के प्रकरण में वह अपना रहे हैंं। यह जिस परिवार से जुड़ा यह मामला है वह राजनीतिक रसूख रखता है। आरोपी के पिता के एक विधायक के साथ सीधे कनेक्शन हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने समाज की एक पंचायत बुलाकर प्रदेश के एक मंत्री के सारे रिश्तेदारों को बुलाकर खाकी पर बहुत पहले प्रभाव डाल दिया था। यदि इस मामले की बारीकी से जांच हो गई तो चिकित्सक से लेकर कई अफसर जांच की जद में सीधे आ जाएंगे। इसके बावजूद अफसरों के गले नहीं ‘सुख’ रहे। इस षडयंत्र के पीछे किसी तरह का कोई खौफ भी नहीं हैं। उन्हें पता है सबको ‘सुखी’ रहना है तो ऐसा करना पड़ेगा।

जुलूस के पहले की कहानी

पिछले दिनों भोपाल में गोकशी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया। यह घटना लगभग हर खबरनवीस के पास थी। शहर से काफी दूर घटनास्थल और थाना होने के कारण कोई साहस नहीं कर सका। इस मामले के चार आरोपी भी दबोच लिए गए। उनकी सड़क पर बकायदा परेड भी निकाली गई। लेकिन, उसका वीडियो सोशल मीडिया में बहुत कम जगह वायरल हुआ। उसकी वजह उसके अगले दिन निकलने वाला जुलूस था। इसलिए वह परेड का सजीव प्रसारण भीतर ही भीतर रोका गया। इतना ही नहीं पूरा मामला थाने से उठकर एक अफसर के दरबार में पहुंच गया। वहां से मीडिया को नियंत्रित किया गया। उसमें हर जानकारी फूंक—फूंककर मीडिया से साझा की गई।

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गैंगरेप की कहानी पर लगा दिया महिला एसआई ने पेंच

यह घटना इंदौर शहर की है। जिसमें बकायदा एफआईआर दर्ज की गई है। लेकिन, उसमें से एक आरोपी गायब है। पीड़िता के साथ ज्यादती हुई थी। जिसमें उसके ब्यॉय फ्रेंड ने उसके साथ बलात्कार किया था। उसके पास पीड़िता का वीडियो भी है। यह ज्यादती केवल पीड़िता के ब्यॉय फ्रेंड ने नहीं की थी। उसके साथ मकान मालिक ने भी दुराचार किया था। जिसका नाम और वीडियो वाली बात एफआईआर से गायब कर दी गई। पीड़िता ने पूरा सच न्यायाधीश के समक्ष उजागर किया तो महिला एसआई को जमकर फटकार भी लगी। ऐसा नहीं है कि यह पूरा घटनाक्रम थाने को ही पता है। इस जानकारी से इंदौर शहर के अफसर भी वाकिफ है। अब पीड़िता भोपाल शहर में पुलिस मुख्यालय के आस—पास आवेदन बनाने के लिए अच्छे विधि क्षेत्र के जानकार के संपर्क में आने का प्रयास कर रही है।

सिंगल आदेश को लेकर चर्चा

भोपाल शहर में थाने में तैनाती सभी लोगों की होती है। लेकिन, पिछले दिनों एक सिंगल आदेश जारी हुआ। यह एक थाने के प्रभारी के लिए था। यह थाना एक हवाला मामले के चलते काफी सुर्खियों में भी आया था। ऐसा नहीं है कि प्रभारी महोदय वहां पहली बार कुर्सी संभाल रहे हो। वह विधानसभा चुनाव से पहले भी वहां के थाना प्रभारी रह चुके हैं। यानि उसी थाने में दूसरी बार उनकी तैनाती हो रही है। यह भी संयोग है कि उनकी कुर्सी संभालते ही उनके ही खास आका को लेकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए विपक्ष के नेता पैदल मार्च निकालने जा रहे हैं।

कुर्सी पर नहीं बैठतीं अधिकारी

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सीपी कार्यालय में दो एडिशनल सीपी है। जिनके अलग—अलग काम है। उनके बीच काम का बंटवारा काफी विधिवत तरीके से हुआ है। इसके अलावा सीपी के भी क्षेत्राधिकार और उनके काम को लेकर परिभाषा तय है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से यहां का समीकरण बिगड़ गया है। इसकी वजह एक खाली कुर्सी है। यह नियमानुसार खाली नहीं है बस उसमें बैठने वाले अफसर दूसरे अफसर के कैबिन में बैठकर सारी कमांड हाथ में लिए हुए हैंं। आलम यह है कि सीपी के कोर्ट से जुड़े समंस,  नोटिस भी एडिशनल सीपी के आदेश पर जारी किए जा रहे हैं। जिस दिन न्यायालय की चौखट में बड़ी गहरी खाई बनेगी उस दिन ढ़ांचे की कलई उजागर हो जाएगी। बहरहाल, खाली रहने वाली कुर्सी के पॉवरफूल नेटवर्क के चलते अभी सबकुछ ढ़ंका हुआ है।

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यह तो हद ही है, थाने में महिला अफसर नहीं और यहां दो घंटे की ड्यूटी

राजधानी के कई थानों में महिला स्टाफ की कमी है। जिसकी पूर्ति के प्रयास करने के लिए अफसर युद्धस्तर पर मेहनत कर रहे हैं। इसके बावजूद भोपाल पुलिस लाइन में महिला कर्मचारियों की मौज चल रही है। यहां ड्यूटी पर तैनात महिला कर्मचारी सिर्फ एक—दो घंटा ड्यूटी करके अफसर को सैल्यूट मारकर निकल जाती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्या, यह अब बताते हैं यह जिस शाखा की हालत है वहां पुलिस वाहनों का रिकॉर्ड देखा जाता है। जिनकी जानकारी किसी भी महिला अधिकारी को नहीं हैं। इतना ही नहीं वहां जितना काम है उसके लिए कर्मचारी पहले ही पर्याप्त थे। अब महकमे के लोग इस शाखा को मैटरनिटी टास्क पु​ल कहकर पुकारने लगे हैंं।

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