MP Cop Gossip: पिछली तारीख में हुए निलंबन की थाने में जेल से छूटने के बाद डाली गई रिपोर्ट
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज हमारे हर गुरुवार की सुबह सात बजे आने वाले गॉसिप (MP Cop Gossip) की है। इसमें पुलिस विभाग की वे खबरें होती है जो समाचार नहीं बन पाती। इस विषय के जरिए हमारा उद्देश्य किसी भी व्यक्ति को छोटा—बड़ा अथवा महान बनाने का नहीं होता है। बस कोशिश यह होती है कि हमारी चुटीली तरीके से पेश की गई बातों से अफसर सतर्क रहे। ताकि गलत परंपराओं को महकमे में प्रतिस्पर्धा न बना दे।
डाकिया डाक लाया
पिछले दिनों लोकायुक्त पुलिस में दर्ज एक मामले में तीन मैदानी कर्मचारियों को सजा हुई थी। जिन्हें जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि हाईकोर्ट ने तीनों को जमानत दे दी। लेकिन, एक मैदानी कर्मचारी थाने में तैनात था। उसे न लाइन हाजिर किया और उसका सस्पेंशन हुआ। इस दरियादिली की वजह अफसर ज्यादा बेहतर जानते हैं। अब जमानत मिलने के बाद उस कर्मचारी को लाइन हाजिर किया गया है। जिसका पत्र एसपी ऑफिस से 3 सितंबर को चला था। उस पत्र को थाने पहुंचने में पूरे पांच दिन लग गए। एक जानकारी यह भी दे दे कर्मचारी जब जेल में थे तब एक साहब उनसे व्यक्तिगत जेल में मुलाकात करने भी गए थे।
आधी रात लड़की को लगा दिया फोन
भोपाल के एक थाने में बड़ा ही रोचक मामला पहुंचा। पुलिस को इस मामले को सुलझाने में भी बड़ा मजा आ रहा है। थाने के एक अधिकारी ने आव देखा न ताव रात साढ़े दस बजे लड़की को फोन लगा दिया। उससे पुलिसिया अंदाज में कहा वह तत्काल थाने आए। जब उसने समय बताया तो कानून की धाराएं बता दी। अब मामला समझाते हैं। दरअसल, साहब ने जिस लड़की को फोन लगाया था। उसके यहां स्पेशल प्रजाति के मादा कुत्ते ने दो बच्चों को जन्म दिया है। जिस कुत्ते की मदद से यह हुआ उसके मालिक एक बच्चा चाहते थे। लेकिन, उन्होंने कुत्ते का करार किया था। जबकि दोनों ही कुत्ते नहीं हुए। कहानी का पटाक्षेप अभी नहीं हुआ है।
साहब जाते—जाते कीला ठोंक गए
पिछले दिनों सरकार ने 11 जिलों के एसपी को सरकारी डोज देकर रवाना किया। दो जिलों के एसपी को यहां—वहां किया। जबकि माफिया प्रभावित दो जिलों के एसपी को सीधे हाशिए में डाल दिया। दोनों अफसरों ने कई सत्ता से जुड़े माफियाओं के आगे कीलें जो बिखेर रखी थी। जहां से गुजरे वहां डंपर और वाहनों के टायर पंक्चर होते थे। इसलिए लॉबी ने लॉबिंग की और विकेट गिरा दिए। इन्हीं में से एक जिले के तत्कालीन एसपी जाते—जाते ट्रांसफर पर रोक लगा गए। जिसके लिए मुख्यालय से अनुमति लेना अनिवार्य होगी।
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