MP Cop Gossip: राजधानी में फिर कार्रवाई के बाद अत्याचार का आरोप लगाकर वीडियो हो गया वायरल, तीन कुर्सी के लिए दो मंत्री आमने—सामने, इस सप्ताह कई चेहरे होंगे यहां—वहां
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस (MP Cop Gossip) महकमा काफी बड़ा होता है। इसके भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया में आती है तो बहुत कुछ दबी रह जाती है। दबी हुई बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप है। हमारा मकसद किसी संस्था, पद या व्यक्ति को लेकर टिप्पणी करना नहीं होता है। प्रयास यह है कि बातें संबंधित व्यक्ति को पता चल जाए और इस बात का अहसास हो कि वे जो कर रहे हैं वह उन तक सीमित नहीं हैं।
भूमाफिया के लिए मंत्री की दरियादिली
पिछले दिनों एक थाने में बलवा का काउंटर केस दर्ज किया गया। मामला जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर है। इसमें एक भूमाफिया मुख्य किरदार में हैं। उनके खिलाफ हाईकोर्ट, तहसीलदार से लेकर कई नोटिस जारी हैं। इतना ही नहीं भूमाफिया पर जालसाजी का भी मुकदमा दर्ज है। लेकिन, पिछले दिनों एक विवादित जमीन को लेकर फिर बवाल हुआ। जिसमें दोनों पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसमें चौका देने वाला एक तथ्य यह है कि एक टीवी चैनल के पत्रकार को भी उसकी जद में ले लिया गया। बात यहां भी नहीं रूकी, खबर है कि मीडिया के मालिक तक एक मंत्री ने पत्रकार को चलता करने के लिए एफआईआर की जानकारी भी दे दी। फिर क्या था पत्रकार की नौकरी गई और भूमाफिया ने मौज काट ली।
अपने—अपने पते लेकर मौन बैठे अफसर
इस सप्ताह राजधानी समेत प्रदेश के कई जिलों में आमूलचूल परिवर्तन होने जा रहा है। कई नए चेहरे भोपाल में होंगे तो कई कुछ महीनों के लिए अज्ञातवास में दिन बिताने के मकसद से बाहर होंगे। इतना ही नहीं यह असर थाने में भी देखने को मिलेगा। दरअसल, इस साल विधानसभा चुनाव होना है। जिसमें भोपाल—इंदौर को छोड़कर पूर्व की तरह गणित चल रहा है। लेकिन, भोपाल—इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के चलते जोन के अनुसार समय—सीमा की अवधि तय होगी। यह सारे गणित बनकर तैयार भी हो गए हैं। नस्तियां यहां—वहां करने वाले सूत्रों की माने तो इस सप्ताह सूची सार्वजनिक होना शुरू हो जाएगी।
मंत्री की ताकत को देख रहा महकमा
पिछले दिनों शहर के तीन निरीक्षक पदोन्नत हुए। इस पदोन्नति के साथ ही थाने की कुर्सी भी खाली हो गई। यह कुर्सी लगभग दो सप्ताह से खाली है। इसमें बैठने के लिए चेहरे कई है। लेकिन, दो मंत्रियों के यहां इनकी फाइलें इधर—उधर हो रही है। दरअसल, इस साल चुनाव होना है इसलिए क्षेत्र में किलाबंदी एक मंत्री अपने हिसाब से चाहते हैं। जबकि दूसरे मंत्री के विभाग से जुड़ा यह मामला होने के चलते वह भी अपना भविष्य देख रहे हैं। क्योंकि सबकुछ एक ही मंत्री के कहने पर हुआ तो प्रदेश की राजनीति में उनकी बादशाहत पर असर पड़ने की संभावना है। यह खींचतान भी मैदान के बाहर मूकदर्शक बनकर बैठे दर्शक दीर्घा के अफसर भी जान रहे हैं।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम के दौरान यह बात की थी। वीडियो के आखिर में सुनिए, सिस्टम की संवेदनशीलता उजागर हो जाएगी।
तीन हजार दबोचकर प्रेस नोट जारी करने वाली पुलिस चुप
पिछले दिनों एक थाने के प्रभारी ने तीन जालसाजों को दबोचा। यह जालसाज एक भर्ती परीक्षा के मामले में आरोपी है। हालांकि इस कार्रवाई की भनक मीडिया को भी लगने नहीं दी गई। क्योंकि अगर यह राज उजागर होता तो फिर व्यापमं, ई—टेंडर, कंप्यूटर खरीदी समेत कई अन्य घोटालों के विषय उल्लेखनीय है बोलकर समाचारों के साथ प्रकाशित हो जाते। इसलिए सिस्टम ऐसी कार्रवाई पर पूरी पर्देदारी करने में जुटा रहता है। इसी कारण इन तीन गिरफ्तारियों को छुपा लिया गया। जबकि तीन हजार रूपए का सट्टा पकड़कर उसका प्रेस नोट जारी करने वाली पुलिस इतनी बड़ी कामयाबी पर चुप क्यों रह गई।
वीडियो बनता देखकर तीन—चार पुलिस वाले हुए यहां—वहां
राजधानी पुलिस विभाग के लिए पिछले एक महीने से पंचक लगे हुए हैं। कहने का मतलब यह है कि जनाब पिछले दिनों तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी। जिसमें एक युवती की मौत हो गई थी। इस कार के मालिक राजनीतिक सत्ता में एक जमाने में दखल रखते थे। उनकी कुंडली तब बिगड़ी जब भर्तियों से जुड़ा एक घोटाला सामने आया। इस कार के मालिक को पर्दे के पीछे रखने के लिए काफी प्रयास किए गए। क्योंकि पीड़ित परिवार ने सोशल मीडिया (MP Cop Gossip) पर जंग छेड़ दी थी। यह मामला शांत होता तो ट्रैफिक के एक एसीपी ने किरकिरी करा दी। हालांकि उन्हें सीसीटीवी फुटेज में मुख्य पात्र बनने की कीमत भी चुकानी पड़ी। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ कि तीसरा वीडियो फिर सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इसमें मारपीट के एक प्रकरण में आरोपी को गिरफ्तार करने की पुलिस पार्टी की तरफ से किए गए हरकत से जुड़ा है। वीडियो महिला और उसकी बेटी ने बनाया है। घर में सामान यहां—वहां बिखरा भी दिख रहा है।
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