MP Job Reservation: अन्य पिछड़ा वर्ग के चयनित शिक्षकों के आरक्षण पर दोहरा मापदंड, साजिश के खिलाफ दो हजार से अधिक शिक्षक 70 दिनों से लोक शिक्षण संचालनालय के बाहर दे रहे धरना
भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Job Reservation) में अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर भाजपा—कांग्रेस के बीच जमकर राजनीति चल रही है। पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में इस वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के नाम पर जमकर दोनों ही दल श्रेय लेने के होड़ में राजनीतिक बयान दे रहे हैं। लेकिन, दोनों ही दलों की नीयत और योजना का खुलासा लोक शिक्षण संचालनालय (MP DPI News) के गेट के बाहर 70 दिनों से प्रदर्शन कर रहे चयनित शिक्षक कर रहे हैं। यह कार्यालय भोपाल शहर के चेतक ब्रिज के नजदीक ही है। जिनकी आवाजें यहां से करीब तीन किलो मीटर दूर म़ंत्रालय के नीतियां बनाने वाले अफसरों को सुनाई नहीं दे रही। इन शिक्षकों की संख्या लगभग दो हजार है।
पंद्रह मिनट बोलकर पुलिस बुला ली
सरकारी रोस्टर के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के चयनित शिक्षक 70 दिनों से धरना दे रहे हैं। इन कर्मचारियों से मुलाकात का वादा आयुक्त अभय वर्मा (Commissioner Abhay Verma) ने किया था। दिन सोमवार तय हुआ था। इसलिए लगभग दो दर्जन कर्मचारी बातचीत के लिए भीतर बुलाने का इंतजार करते रहे। इसी बीच आयुक्त कार्यालय ने गोविंदपुरा थाने से पुलिस बुला ली। थाना प्रभारी अशोक कुमार परिहार (TI Ashok Kumar Ahirwar) आधा दर्जन महिला कर्मचारी समेत कार्यालय पहुंच गए। यहां एक—एक करके लंच समय से ज्यादा बीत गया। इस दौरान चयनित शिक्षक नारेबाजी करते रहे। चयनित शिक्षकों का आरोप है कि इससे पहले आयुक्त जयश्री कियावत (Former Commissioner Jaishree Kiyawat) थी। वे भी बातचीत और समाधान के लिए कभी सामने नहीं आई। ऐसे ही अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों को पिछले चार साल से टाला जा रहा है। इस विषय पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) से चर्चा के लिए समय मांगा गया। लेकिन, उन्हें मुख्यमंत्री निवास में नहीं बुलाया गया। शिक्षकों का आरोप था कि मुख्यमंत्री पिछले दिनों अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण 27 फीसदी दिलाने के नाम पर वे अपना सम्मान करा रहे थे। जबकि हमें उन्हें मुलाकात करके समस्या बताने की अनुमति ही नहीं मिल रही।
यहां से शुरू हुआ पूरा मामला
स्कूल शिक्षा और जनजातीय विभाग ने 30594 पदों की भर्ती (MP Teacher Recruitment) निकाली थी। यह भर्ती 2018 में निकली थी जिसकी परीक्षा व्यापमं ने ली। सरकार ने उच्चतर माध्यमिक के 16 और माध्यमिक विद्यालय के 7 विषयों पर भर्ती निकाली थी। जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण के साथ भर्ती का करने का आदेश सरकार ने किया था। उच्चतर माध्यमिक के 11 विषयों पर पूरी भर्ती कर ली गई। इसी तरह पांच विषयों की प्राविधिक सूची में ओबीसी को छोड़कर नियुक्ति दे दी। जबकि माध्यमिक में दो विषयों संस्कृत और सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई। इसी तरह उच्चतर माध्यमिक के पांच विषय संस्कृत, इतिहास, राजनीति, भूगोल और कृषि के शिक्षकों की भर्ती नहीं निकाली गई। प्रदर्शन पर बैठे शिक्षकों का आरोप है कि यह सरकार की सुनियोजित साजिश थी। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट ने भी सरकार को आदेश जारी किए हैं।
शिक्षकों का आरोप, सरकार ने ऐसे किया खेल
प्रदर्शन कार्यक्रम में माया पांचाल, मिथुन धाकड़ (Mithun Dhakad), सोनम साहू, राम सोनवाने समेत सैंकड़ों शिक्षक शामिल थे। जिन्होंने बताया कि सरकार को 27 फीसदी का आरक्षण देना था। लेकिन, उसमें सरकार ने साजिश रची। इसके लिए उसने अन्य पिछड़ा वर्ग में ही फूट डाली। दोनों विभाग स्कूल शिक्षा और जनजातीय ने 11 विषय के अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों को ही चयनित किया। बाकी को अधर में लटका दिया। इस कारण पांच विषय के छात्र ही यह आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि ऐसा करके सरकार जरुर बेनकाब हो गई है। शिक्षकों ने बताया सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण का वादा किया। लेकिन, दिया केवल 14 फीसदी ही। यही फॉर्मूला सरकार ने हाल ही में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में निकाला है। सरकार ने खुश करने के लिए यह घोषणा की है। शिक्षकों का आरोप है कि जनता सबकुछ जानती है वह अपने अधिकारों को लेकर जल्द बड़ा आंदोलन करेंगे।
संघर्ष की कहानी का नित्या पर जरूर होगा असर
प्रदर्शन (MP Job Reservation) में महिला—पुरुष का बराबर प्रतिनिधित्व है। ऐसे ही सोनम साहू (Sonam Sahu) सागर से यहां प्रदर्शन करने आई है। उनका भी चयन हुआ था। वे भोपाल में 45 डिग्री के तापमान में छह महीने की बेटी नित्या साहू के साथ धरना दे रही है। एक पंडाल के नीचे मां की गोद में बैठी नित्या साहू की तस्वीर कई मीडिया ने खींची है। भविष्य में बड़ी होकर जब उसकी मां अपने संघर्ष को याद दिलाएगी तो उसका बुरा प्रभाव सिस्टम के साथ—साथ सरकार पर भी होगा। नित्या के पिता सोनू साहू भी पत्नी के आंदोलन में साथ देने भोपाल आए हुए हैं। यह सभी लोग भीमराव अंबेडकर और आदिवासी समाज के नेताओं की तस्वीर के आगे बैठे हैं। इन्हीं तस्वीरों को लगाकर जंबूरी मैदान में सरकार ने एक बड़ा आयोजन किया था। उस वक्त भी जनता ने कहा था कि यह राजनीतिक एजेंडा हैं।
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