सीएम कमलनाथ ने सीएस एसआर मोहंती, डीजीपी वीके सिंह और एटीएस एडीजी संजीव शमी को बंगले किया तलब, केस में आया नया मोड़, जवाब नहीं दे सके अफसर
भोपाल/इंदौर। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (MP Honey Trap Case) में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीधे दखल दिया है। उन्होंने मध्य प्रदेश के सीएस एसआर मोहंती, डीजीपी वीके सिंह और एटीएस चीफ संजीव शमी को सोमवार रात 9 बजे बंगले तलब कर लिया। इससे पहले ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा (Custodial Remand) में जेल भेज दिया गया।
सीएम की तल्खी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के कमरों में सोमवार दोपहर से असर दिखाई देने लगा था। मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा की यह क्या मामला है और यह क्या चल रहा है। यह सुनने के बाद अफसर खामोश हो गए। मुख्यमंत्री ने एटीएस की निगरानी में जांच करने पर भी सवाल खड़े किए। इससे पहले मामले की जांच कर रही एसआईटी ने आरोपियों श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, मोनिका यादव, बरखा सोनी और आरती को अदालत में पेश किया। यहां पुलिस और आरोपी पक्ष के वकीलों की दलील सुनने के बाद आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा (Custodial Remand) में जेल भेज दिया गया। यह सभी आरोपी 1 अक्टूबर तक रिमांड पर थे। लेकिन, पुलिस ने 1 दिन पहले ही अदालत में पेश कर दिया।
एक दिन पहले ही अदालत में आरोपियों को पेश करने को लेकर श्वेता विजय जैन के वकील धर्मेद्र गूर्जर ने आरोप लगाया कि पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। इस कारण पुलिस रिमांड भी नहीं ले पाई। पांचों आरोपी एक दूसरे को नहीं जानते। यह झूठी कहानी हैं, हम इस मामले का सामना करने को तैयार है। मामले के फरियादी हरभजन ने 2 आरोपियों के नाम लिए थे। मैंने मेंटल ट्रॉमा का और पुलिस प्रताड़ना की जानकारी अदालत को दी हैं। वकील ने मानव तस्करी के आरोपों पर कहा कि यह मुकदमा (MP Honey Trap Case) पुलिस अभिरक्षा में दर्ज किया गया है। इससे साफ है कि आरोपियों पर दबाव बनाने के लिए यह एफआईआर की गई है। उल्लेखनीय है कि यह मामला सीआईडी ने दर्ज किया है। जिसमें आरोपियों की गिरफ्तारी होना बाकी हैं।