अदालत से सीआईडी ने पूछताछ के लिए पांच दिन की रिमांड पर लिया, मानव तस्करी का दर्ज मामले में होनी है पूछताछ
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (MP Honey Trap Case) फिर जिंदा हो गया है। दरअसल, मामले में पांच आरोपियों में से दो को सीआईडी (CID) ने पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। यह जानकारी लगते ही प्रदेश के उन अफसरों की फिर सांसे थम गई है जो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इस गिरोह को जानते थे। अब तक की जांच में विशेष जांच दल (SIT) आधा दर्जन से अधिक पैन ड्राइव और लगभग एक करोड़ रुपए से अधिक की रकम जब्त कर चुका है।
जानकारी के अनुसार अदालत से रिमांड पर लेने की कार्रवाई सीआईडी ने बेहद गुपचुप तरीके से की थी। आरोपियों को न्यायाधीश पुष्पक पाठक (Justice Pushpak Pathak) की अदालत में पेश किया गया था। सीआईडी ने बताया कि हनी ट्रैप (MP Honey Trap Case) मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मानव तस्करी का एक मुकदमा दर्ज है। इस मामले में दो आरोपियों आरती दयाल और श्वेता विजय जैन से पूछताछ की जाना है। अदालत ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरती दयाल और श्वेता विजय जैन 5 नवंबर तक के लिए रिमांड पर सौंप दिया। इधर, यह खबर जंगल में आग की तरह फैली। जिसके बाद उन अफसरों की सांस थम गई जिनके नाम को लेकर ब्यूरोक्रेसी में बाजार गर्म है। खबर है कि एसआईटी इस मामले से जुड़े अफसरों से जल्द पूछताछ करने जा रही है। यह पूछताछ छुट्टी वाले दिन गोपनीय जगह पर बुलाकर की जाएगी। इस कार्रवाई की भनक मीडिया को न लगे इसके लिए नोटिस तामील कराने से उसे बनाने का जिम्मा पीएचक्यू के एक आला अधिकारी को सौंपा गया हैं।
यह है मामला
इंदौर के निलंबित इंजीनियर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) की शिकायत पर पलासिया थाने में ब्लैकमेलिंग की एफआईआर सितंबर, 2019 में दर्ज हुई थी। इस मामले में आरोपी श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, बरखा भटनागर, आरती दयाल, मोनिका और ओम प्रकाश कोरी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि यह महिलाएं अफसरों और राजनेताओं को ब्लैकमेल करते थे। हालांकि शुरूआत में जांच हरभजन तक सीमित रखा गया। लेकिन, मीडिया में इस मामले ने तूल पकड़ा तो एसआईटी बना दी गई। इस एसआईटी बनाने पर भी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। इस कारण मुख्यमंत्री कमलनाथ को दखल देना पड़ा था।