कोर्ट से अनुमति लेकर हनी ट्रैप रैकेट में फंसे प्रदेश के बड़े अफसरों के दर्ज किए जाएंगे बयान, दी गई रकम का भी मांगा जाएगा हिसाब
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (MP Honey Trap Case) में उन अफसरों (Madhya Pradesh Bureaucrats) की मुश्किलें बढ़ने वाली है जिन्होंने रकम चुकाई थी। दरअसल, बैंक के लॉकर से मिले पांच पैन ड्राइव में अफसरों के खिलाफ सबूत मिले हैं। इनमें वह आपत्तिजनक हालत में भी दिखाई दे रहे हैं। यह सारी कवायद बेहद गोपनीय तरीके से की जा रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार श्वेता जैन और आरती दयाल की चिट्ठी में कुछ शब्द कोडिंग में लिखे हुए हैं। इन शब्दों को एसआईटी (SIT) ने डिकोड कर लिया है। इन नामों और पैन ड्राइव में दिख रहे अफसरों के चेहरों की कहानी की वास्तविक सच्चाई का पता लगाने का काम एसआईटी ने शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि इनमें से कुछ अफसरों ने विदेश की यात्राएं (Foreign Trip) भी की है जो श्वेता जैन के साथ की गई है। उन यात्राओं का भी ब्यौरा एसआईटी निकाल चुकी है। ऐसे अफसरों से विदेश यात्रा की अनुमति से लेकर उसके प्रयोजन की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग (GAD ) से एसआईटी ने बेहद गोपनीय तरीके से मांगी है। इस पूरी कार्रवाई के संबंध में प्रगति रिपोर्ट और अफसरों से जुड़ी जानकारियां मुख्यमंत्री निवास पहुंचा दी गई है। इनमें से कुछ अफसर मलाईदार पोस्ट पर जमे हैं। सरकार इन्हें लूप लाइन में बैठाकर फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की रणनीति पर काम कर रही है।
क्या है मामला
इंदौर (Indore) जिले के पलासिया थाने में 17 सितंबर को हरभजन (Harbhajan Singh) ने ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज कराया था। इसी मामले में श्वेता (Shweta Jain) विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, आरती दयाल, मोनिका यादव, बरखा सोनी भटनागर (Barkha Soni) और ओमप्रकाश कोरी को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जब श्वेता को गिरफ्तार किया था उस वक्त ही 13 लाख रुपए बरामद कर चुकी थी। अब तक बरामद रकम करीब 1 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है।
अब तक क्या
इस मामले में मीडिया में लगातार सरकार की किरकिरी होने के बाद डीजीपी (DGP) वीके सिंह (VK Singh) ने आईजी सीआईडी डी निवास वर्मा (D Srinivas Verma) को एसआईटी का चीफ बनाया था। अगले दिन आदेश को संशोधित करके एडीजी संजीव शमी (Sanjeev Shami) को जिम्मेदारी सौंपी थी। बार—बार एसआईटी चीफ बदलने और एटीएस को जांच देने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ (Chief Minister Kamalnath) ने आपत्ति जताई। जिसके बाद सरकार ने स्पेशल डीजी राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) को इसकी जिम्मेदारी दी। इससे पहले स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा (Puroshottam Sharma) ने एसआईटी बनाने को लेकर ही डीजीपी को घेर लिया था। हालांकि बाद में उन्हें मुखर होकर बोलने पर सायबर से हटाकर लूप लाइन में बैठा दिया। इस मामले में एसआईटी या सरकार किसी भी रसूखदार व्यक्ति का नाम उजागर नहीं कर सके हैं। जबकि खबर है कि यह हनी ट्रैप रैकेट (Honey Trap Racket) कई राजनीतिज्ञों और अफसरों को अपने शहद में फंसाकर करोड़ों रुपए कमा चुका था। मामले की जांच कर रही एसआईटी की टीम एक सप्ताह पहले पिपलानी में एचडीएफसी (HDFC) और प्रभात चौराहे के पास स्थित आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) के लॉकर को खंगाल चुकी है। इसमें करीब 47 लाख रुपए के अलावा सोने—चांदी के जेवर और पांच पैन ड्राइव भी एसआईटी को मिली हैं।