नेता और अफसरों के राज पर रहस्य बरकरार, हाईकोर्ट से सरकार को पहले ही लग चुकी हैं फटकार
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (MP Honey Trap Case) में विशेष जांच दल (SIT) अब वह कर रही है जो उसे तुरंत करना चाहिए था। ऐसा करने की मुख्य वजह हाईकोर्ट (High Court Bench) का वह आदेश जिसमें सरकार (MP Government) को फटकार पड़ी है। एसआईटी ने हनी ट्रैप गिरोह (Honey Trap Racket) की एक महिला का बैंक लॉकर (Bank Locker) खोला है। इस लॉकर में से नेताओं (Politician) और अफसरों (Bureaucrats) की काली कमाई (Black Money) निकलकर बाहर आ गई है। एसआईटी इस संबंध में आरोपियों से पूछताछ करेगी।
इंदौर बैंच ने एसआईटी (SIT) को काम करने की चाबी एक पखवाड़े पहले भरी थी। जिसके बाद एसआईटी हरकत में आ गई। दरअसल, इंदौर बैंच ने अदालत की तरफ से अवधेश गोस्वामी (Avdhesh Goswami) को ओआईसी बनाकर बैठा दिया है। वह पुलिस और अदालत के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। इसी दौरान एसआईटी से कहा गया कि वह श्वेता जैन (Shweta Jain) के लॉकर को खंगाले। जिसके बाद एसआईटी की टीम दो दिन पहले भोपाल आई। उसने श्वेता के आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) का लॉकर खोला। यह बैंक प्रभात चौराहे (Prabhat Square) के नजदीक हैं। लॉकर से पुलिस को 47 लाख रुपए से अधिक नकदी बरामद हुई है। इसके अलावा पांच पैन ड्राइव (Pen Drive) भी मिली हैं। इसमें कुछ वीडियो होने की संभावना जताई जा रही है।
इससे पहले श्वेता जैन के एक अन्य लॉकर को पुलिस ने खोला था। यह लॉकर पिपलानी में एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) में था। इसमें एसआईटी को 13 लाख रुपए से अधिक की रकम मिली थी। एसआईटी आरती दयाल (Arti Dayal) के लॉकर को भी पहले खोल चुकी हैं। एसआईटी की टीम इस पूरी रिकवरी को अदालत (Indore Court) के समक्ष पेश करने के बाद अगली कार्रवाई करेगी। इससे पहले एसआईटी आरोपियों के हैंड राइटिंग और आवाज के नमूने (Voice Sample) को ले चुकी है। जिन्हें जांच के लिए पहले मध्यप्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) की लैब में भेजा गया था। जिस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति उठाते हुए उसे हैदराबाद भेजने के आदेश दिए थे।
क्या है मामला
इंदौर (Indore) जिले के पलासिया थाने में 17 सितंबर को हरभजन (Harbhajan Singh) ने ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज कराया था। इसी मामले में श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, आरती दयाल, मोनिका यादव, बरखा सोनी भटनागर और ओमप्रकाश कोरी को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जब श्वेता को गिरफ्तार किया था उस वक्त ही 13 लाख रुपए बरामद कर चुकी थी। अब तक बरामद रकम करीब 1 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है।
अब तक क्या
इस मामले में मीडिया में लगातार सरकार की किरकिरी होने के बाद डीजीपी (DGP) वीके सिंह (VK Singh) ने आईजी सीआईडी डी निवास वर्मा (D Srinivas Verma) को एसआईटी का चीफ बनाया था। अगले दिन आदेश को संशोधित करके एडीजी संजीव शमी (Sanjeev Shami) को जिम्मेदारी सौंपी थी। बार—बार एसआईटी चीफ बदलने और एटीएस को जांच देने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ (Chief Minister Kamalnath) ने आपत्ति जताई। जिसके बाद सरकार ने स्पेशल डीजी राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) को इसकी जिम्मेदारी दी। इससे पहले स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा (Puroshottam Sharma) ने एसआईटी बनाने को लेकर ही डीजीपी को घेर लिया था। हालांकि बाद में उन्हें मुखर होकर बोलने पर सायबर से हटाकर लूप लाइन में बैठा दिया। इस मामले में एसआईटी या सरकार किसी भी रसूखदार व्यक्ति का नाम उजागर नहीं कर सके हैं। जबकि खबर है कि यह हनी ट्रैप रैकेट (Honey Trap Racket) कई राजनीतिज्ञों और अफसरों को अपने शहद में फंसाकर करोड़ों रुपए कमा चुका था।