Fake Epic Card: चुनाव आयोग की चेतावनी के बाद सनसनीखेज खुलासा 

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Fake Epic Card: सचिन तेंदुलकर का नकली इपिक कार्ड बनाकर पुलिस ने देखा, मीडिया को सरल तरीके से समझाने के लिए पुलिस का प्रयोग, बिहार के चंपारण जिले से युवक को हिरासत में लिया, उसने ही सिखाई थी पुलिस को यह तकनीक

Fake Epic Card
एडीजी सायबर क्राइम योगेश देशमुख पत्रकारों को फर्जी वेबसाइट के गिरोह की जानकारी देते हुए।

भोपाल। भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरु होने जा रहे हैं। उससे पहले एमपी की सायबर क्राइम हेडक्वार्टर (Fake Epic Card) ने सनसनीखेज खुलासा किया है। पुलिस ने दावा किया है कि एक शातिर जालसाज नकली निर्वाचन आयोग वेबसाइट के जरिए चला रहा था। यह तकनीक उसने यू—ट्यूब के जरिए सीखी थी। ऐसा करने के लिए उसने डार्कनेट में जाकर फर्जी तरीके से खरीददारी भी की थी। इस संबंध में चेतावनी निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों की जांच एजेंसियों को दी थी।

महज 20 रुपए में बन जाता था कार्ड

यह जानकारी देते हुए एडीजी सायबर क्राइम योगेश देशमुख (ADG Yogesh Deshmukh) ने पत्रकारों को बताया कि निर्वाचन आयोग ने 27 मार्च, 2024 को अलर्ट जारी किया था। जिसके बाद एमपी सायबर पुलिस मुख्यालय की टीम ने इस गंभीर विषय पर पड़ताल की थी। आरोपी बिहार के पूर्वी चंपारण में रहने वाला रंजन चौबे पिता अशोक चौबे उम 20 साल है। वह हरसिद्धि थाना क्षेत्र स्थित सोनवर्षा इलाके में रहता है। रंजन चौबे पहले कियोस्क में जॉब करता था। तभी उसके पास यू—ट्यूब पर घर बैठे 50 हजार रुपए महीना कमाने की लिंक प्राप्त हुई थी। जिसके जरिए उसको फर्जी वेबसाइट खोलने की तरकीब सूझी थी। आरोपी वेबसाइट के जरिए वोटर, आधार के अलावा नकली पैन कार्ड बना देता था। प्रिंट होने वाला नकली पहचान पत्र हूबहू असली जैसा दिखता है। आरोपी ने वेबसाइट पर क्यूआर कोड भी बनाया था। जिसमें प्रिंट की कमांड तभी जनरेट होती थी जब उसमें 20 रुपए का भुगतान किया जाता था। अभी तक की तफ्तीश में पता चला है कि वेबसाइट पर अभी तक 28 हजार लोगों ने आकर उसे चैक किया है। इसके अलावा आरोपी के खाते में तीन लाख रुपए भी बरामद हुए हैं।

समझाने के लिए प्रिंट कराया गया कार्ड

एडीजी योगेश देशमुख ने बताया कि आरोपी रंजन चौबे (Ranjan Chaubey) ने वेबसाइट डोमेन यूएस की एक कंपनी से खरीदा था। ऐसा करने के लिए उसने डार्कवेब में जाकर फर्जी क्रेडिट कार्ड भी लिया था। उसी फर्जी क्रेडिट कार्ड के जरिए उसने वेबसाइट डिजाइन से लेकर उसको बनाने वालों को भुगतान किए। आरोपी ने अपने दोस्त के मोबाइल का नंबर इस्तेमाल करके क्यूआर कोड बनाया था। आरोपी ने डाटा हॉस्टिंग राजा नाम के सर्वर से खरीदा था। यह काम वह नवंबर, 2023 से अभी तक कर रहा था। आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश कर उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। एडीजी ने यह भी बताया कि अभी यह प्राथमिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं वह साझा किए गए हैं। इस मामले में अभी कई अन्य लोगों की भूमिका का पता लगाया जा रहा है।

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