MP Police Gossip: अपनी खोई साख को बचाने में जुटे इस ब्रांच के लोग
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक ब्रांच के किस्से रह—रहकर लीक हो ही जाते हैं। इस ब्रांच को उसकी हरकतों की वजह से कारस्तानी ब्रांच भी कहा जाता है। यहां पिछले दिनों भारी मात्रा में शराब की पेटियां पकड़ी गई। खबर मीडिया में लीक भी हो गई। अब डैमेज कंट्रोल भी किया जाना था। इसलिए तोड़ निकाला गया। तोड़ ऐसा कि काम भी हो जाए और काम भी चल जाए। हुआ भी ऐसा ही पूरी जानकारी सामने नहीं आई और मामले को हल्का कर दिया गया।
जालसाज ने आईएएस को ऐसे उलझाया
पिछले दिनों मिसरोद पुलिस ने जालसाज केपी सिंह को दबोचा। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस से ज्यादा एक आईएएस अफसर परेशान थे। दरअसल, वह नहीं चाहते थे कि उनके संबंध में या उनके बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक हो जाए। मीडिया में खबर मैनेज करने के लिए बकायदा एएसपी को लगाया गया। उन्होंने पूरी ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। दरअसल, केपी सिंह मध्य प्रदेश के एक आईएएस के बंगले में किराए से रहता था। हालांकि यह किरायानाम लंबे समय का नहीं था। लेकिन, उससे पहले वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
जमींदार बन रहे अफसर
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में संगठित गिरोह का खात्मा हो चुका है। लेकिन, अब ब्यूरोक्रेसी और माफिया का गठबंधन चल रहा है। इसमें कथित पत्रकार भी शामिल हो गए हैं। यह लोग जमीनों का खुला खेल कर रहे हैं। इसी खेल में एक पुलिस विभाग के अफसर पिछले दिनों फंस गए। वे जमीन देखने के लिए अपनी कार से चले गए। उनके साथ घर की महिला सदस्य भी थी। जब यह बात लोगों को पता चली तो उनकी कमाई का स्रोत पूछा जाने लगा। खबर मीडिया में भी पहुंची लेकिन, वह ऐसे मैनेज हुई कि आज तक उसका कोई खुलासा नहीं हो सका।
फोड़ते बड़ा बम लेकिन बाद में दे दना दन
राजधानी भोपाल के एक सुपर कॉप हैं। यह कॉप अपने काम की वजह से सुर्खियों में रहते है। इनकी नौकरी सिपाही से शुरु हुई थी। लेकिन, एनकाउंटर में प्रमोशन पाते—पाते निरीक्षक बन गए। साहब की खासियत यह है कि यह हमेशा फोड़ते बड़ा बम ही है। लेकिन, बाद में दे दना दन होता है। मतलब साफ है कि वे किसी भी प्रकरण को मुकाम तक नहीं पहुंचा पाते हैं।
थाने के प्रभारी नहीं करते भरोसा
राजधानी के एक थाना ऐसा है जहां प्रदेश के एक मंत्री का काफी होल्ड है। इस थाने के प्रभारी मंत्री के दरबान से सलाह मशविरा करते है। इसी मशवरे के कारण थाने के कुछ कर्मचारी ब्लैक लिस्टेड हो गए हैं। इसलिए उन कर्मचारियों का काम दूसरे से कराते हैं। जबकि जिसका काम है वह किसी तीसरे कर्मचारी से कराते हैं। हालांकि इसके पीछे वे ट्रांसपेरेंसी बताते हैं। हकीकत यह है कि वे किससे इंस्पायर हैं।
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