मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष को दिया था अविश्वास प्रस्ताव लाने का चैलेंज
भोपाल। कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश में सियासी भूचाल लाने की बात कह रहे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा सत्र (MP Assembly) के दौरान ही भाजपा के दो विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अब कांग्रेस के पास विधायकों की कुल संख्या 123 हो गई है। इनमें 4 निर्दलीय और 3 सपा-बसपा के विधायक शामिल हैं। सत्र (MP Assembly) के आखिरी दौर में हुए इस घटनाक्रम ने नेता प्रतिपक्ष झटका लगा हैं। बुधवार सुबह ही गोपाल भार्गव ने धमकी भरे अंदाज में कांग्रेस को चुनौती दी थी।
अविश्वास प्रस्ताव से पहले टूटी भाजपा
गोपाल भार्गव ने कहा था कि उनके ऊपर वाले नंबर 1 (पीएम मोदी) और नंबर 2 (अमित शाह) का इशारा हो जाएगा तो कांग्रेस सरकार 24 घंटे में ही गिर जाएगी। इस चुनौती का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि आपके ऊपर के दोनों लोग समझदार हैं। इसलिए आदेश नहीं दे रहे। आप चाहे तो अविश्वास प्रस्ताव ले आए। मुख्यमंत्री ने भी गोपाल भार्गव को चैलेंज कर दिया था।
फिर नारायण त्रिपाठी ने बदला दल
2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रत्याशी रहे अजय सिंह को करारी हार मिली थी। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी पर चुनाव हराने का आरोप लगाया था। जिसके बाद नारायण त्रिपाठी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। जिसके बाद उपचुनाव में वह भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते। 2018 में भी वे भाजपा से ही चुनाव जीते है। एक बार नारायण त्रिपाठी ने दल -बदल लिया है। वे कांग्रेस में वापस आ गए है। नारायण त्रिपाठी मैहर से विधायक हैं। वहीं शहडोल की ब्यौहारी विधानसभा से भाजपा विधायक शरद कौल ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
मत विभाजन में टूटी भाजपा
गोपाल भार्गव की धमकी पर सीएम कमलनाथ ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का चैलेंज दिया था। लेकिन उससे पहले ही भाजपा को करारा झटका लगा। एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान ही भाजपा के दोनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। दंड विधि विधेयक के समर्थन में 122 वोट मिले। कांग्रेस के पास 120 वोट थे, क्यों कि अध्यक्ष वोट नहीं डालते। सरकार के समर्थन में 122 वोट पड़ते ही भाजपा नेता चौंक गए। जिसके बाद नारायण त्रिपाठी और शरद कौल सीएम कमलनाथ के साथ हो लिए।
क्या हुआ सदन में –
दरअसल आज सदन में दंड संहिता संशोधन विधेयक के दौरान सत्ता पक्ष को समर्थन देने वाले बसपा विधायक संजीव सिंह ने मतदान की मांग कर दी है वहीं विपक्ष इस विधेयक को सर्वसम्मति से पास कराने पर अड़ा था लेकिन सत्ता पक्ष की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष ने मतदान कर दिया जिसमें विधेयक के समर्थन में 122 वोट पड़े जिसमें भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल भी शामिल थे।
ये घर वापसी हैं
मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ मीडिया के समाने आए भाजपा विधायक शरद कौल ने कहा कि यह हमारी घर वापसी हुई है और अपने क्षेत्र के विकास के लिए कमलनाथ सरकार के साथ आए है । वहीं मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि आज प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार बहुत अच्छी तरह से चल रही है इसलिए वह मैहर के विकास के लिए कमलनाथ सरकार को अपना समर्थन दे रहे है । वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद कहा कि यह विधेयक पर मतदान नहीं बहुमत परीक्षण है ।