MP Vidhansabha Dispute: केंद्रीय संगठन की फटकार के बाद राजभवन पहुंचे भाजपा नेता

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विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ राज्यपाल से हुई शिकायत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता समेत दर्जनों विधायक थे शामिल

MP Vidhansabha Dispute
राजभवन के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता सीतासरन शर्मा

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में संवैधानिक अधिकारों (Constitution Right) को लेकर भाजपा—कांग्रेस (BJP-Congress) आमने—सामने आ गई है। मामला पवई से विधायक रहे प्रहलाद लोधी (Prahlad Lodhi) के निर्वाचन (Election) को शून्य करने से जुड़ा है। हालांकि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के केन्द्रीय संगठन की राज्य संगठन को जमकर फटकार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भाजपा विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल आनन—फानन में राज्यपाल (MP Governor House) से मुलाकात करने पहुंच गया।

पन्ना (Panna) जिले के पवई विधानसभा से विधायक प्रहलाद लोधी को जिला अदालत (Bhopal District Court) ने दो साल की सजा सुनाई है। इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति (MP Vidhansabha Chairmen NP Prajapati) ने विधायकी शून्य करने का ऐलान किया था। इस संबंध में बकायदा आदेश भी निकाल दिए गए हैं। इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक खामोश हो गए थे। लेकिन, केन्द्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के संगठन (Central Leader) को उनके अधिकारों की याद दिलाई। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former CM shivraj Singh Chouhan) को तलब कर लिया था। चौहान की दिल्ली में जेपी नड्डा से मुालाकात हुई थी। इसी मुलाकात के बाद भाजपा नेताओं का प्रतिनिधि मंडल राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन के पास पहुंच गया। यहां लोधी को लेकर लिए गए फैसलों पर शिकायत दर्ज कराई गई।

शिकायत दर्ज कराने के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता सीताशरण शर्मा (Former Chairmen Sitasaran Sharma) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस संवैधानिक अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने बताया कि संविधान की धारा 191 ई के तहत जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। धारा 191 संविधान की धारा है। इसका अधिकार सभी को है। लेकिन, सरकार ने उसका इस्तेमाल करके लोधी को हटा दिया। जबकि धारा 192 के तहत यह अधिकार राज्यपाल का होता है। उन्होंने मीडिया को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन शून्य करने का कहा है लेकिन, अधिकार किसको दिए हैं यह साफ नहीं हैं। प्रतिनिधि मंडल में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल समेत कई अन्य नेता शामिल थे।

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