Exclusive News: डेढ़ महीने तक नाबालिग को कुख्यात अपराधियों की जेल में डाला 

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Exclusive News: एमपी में बाल अधिकारों को लेकर बने कानूनों की मैदानी सच्चाई, पॉक्सो अ​दालत में पद खाली, पुलिस ने मुस्लिम नाबालिग को बालिग बताकर बड़े लोगों की जेल में दाखिल कर दिया, पीड़ित परिवार 45 दिन बाद पुलिस लापरवाही से निजात पा सका, अभी भी इस प्रकरण में जांच करने वाले अधिकारी ने तमाम मर्यादाओं को ताक पर रख दिया….

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। प्रदेश में पॉक्सो एक्ट को लेकर पुलिस विभाग कितना गंभीर है यह इस घटना से पता चलता है। मामला विदिशा (Exclusive News) जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र का है। यहां एक हत्या के प्रयास का मामला हुआ था। जिसमें एक नाबालिग को बालिग बताकर उसे बड़े लोगों की जेल में डाल दिया गया। जबकि पीड़ित परिवार जो मुस्लिम समुदाय से आता है वह गिड़गिड़ाता रहा कि उसके साथ ऐसा न किया जाए। लेकिन, पुलिस ने जांच करने की बजाय उसे विदिशा में स्थित जेल डाल दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ परिवार कोर्ट पहुंचा तो जांच के बाद विधि विरोधी बालक को भोपाल में स्थित बाल संप्रक्षेण गृह भेजने के आदेश हुए।

दोहरे बर्ताव का लगाया आरोप

जानकारी के अनुसार जानलेवा हमले की वारदात 01 जनवरी की रात को हुई थी। जिसमें कोतवाली विदिशा (Kotwali Vidisha) थाने ने 02 जनवरी को हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज किया। इस प्रकरण में हिंदू—मुस्लिम दोनों ही समुदाय से जुड़े आरोपी थे। प्रकरण में एक हिंदू लड़के को नाबालिग बताकर उसे विधि विरोधी बालक की तरह ट्रीट किया गया। जबकि दूसरा विधि विरोधी बालक होने के बावजूद उसके साथ पुलिस का दोहरा मापदंड रहा। यह आरोपी विधि विरोधी बालक के भाई ने लगाए हैं। विधि विरोधी बालक का परिवार विदिशा में चिकन—मटन की दुकान चलाता है। परिवार इस दोहरे बर्ताव को लेकर विदिशा कोर्ट में पहुंचा। यहां भी केस डायरी इधर—उधर भटकती रही। क्योंकि पॉक्सो एक्ट मामले में कोर्ट में पद खाली था। इसलिए केस डायरी दूसरी अदालत में भेजी गई। ऐसा करने और जांच रिपोर्ट में तथ्य सामने आने के बाद अब विधि विरोधी बालक को बाल संप्रेक्षण गृह (Child Protection Home) भेजने के आदेश दिए गए।

आरोपों में घिरे जांच अधिकारी यह बोलें

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन— टीसीआई

विधि विरोधी बालक 03 जनवरी से 20 फरवरी तक संगीन मामलों के अपराधियों की जेल में रहा। वहां जेल प्रबंधन ने भी उसके साथ वही रवैया अपनाया। इस प्रकरण की जांच एसआई रणवीर सिंह (SI Ranveer Singh) कर रहे थे। उनसे जब प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा हमें विधि विरोधी बालक का आधार कार्ड मिला था। उसमें वह बालिग था। जब उनसे प्रकरण में अन्य आरोपियों के उम्र को लेकर उनकी संख्या को लेकर सवाल पूछा तो वे कहने लगे कि इस संबंध में थाने आने पर ही प्रतिक्रिया दे सकेंगे। इधर, पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी (SP Rohit Kashwani) ने बताया कि यह प्रकरण मेरे संज्ञान में आपके जरिए प्राप्त हुआ है। अदालत ने जजमेंट में किसी तरह की कोई बात बोली होगी तो जरुर उसका पालन होगा। थाना पुलिस की तरफ से प्राथमिक दस्तावेज जो मिले होंगे उसके आधार कार्रवाई करके निर्णय लिया होगा। जबकि पीड़ित परिवार का कहना था कि जिन दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया गया है वही थाना पुलिस को भी दिखा रहे थे।

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