MP Migrant Case Study: डिजीटल नीति केवल हवाई किला

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कोविड—19 महामारी के कारण भय और भूख की चिंता में घर पहुंचने की “तपस्या” में निकले प्रवासी मजदूरों ने खोली सरकारी नीतियों की कलई

MP Migrant Case Study
प्रवासी मजदूर जो लॉक डाउन के दौरान दूसरे राज्यों से प्रदेश आए

भोपाल। (MP Migrant Case Study Report) केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार के दूसरे कार्यकाल को एक साल पूरा हो गया है। उनके पहले कार्यकाल में डिजीटल नीतियों को लेकर प्रधानमंत्री का काफी फोकस रहा है। वे अपने कई भाषणों में पूर्व की सरकारों के उस उदाहरण को जरुर याद करते हैं। जिसमें कहा जाता था कि एक रुपया नीचे पहुंचने तक किस तरह से कम होता चला जाता था। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने दावा किया था कि इस परंपरा को उनकी सरकार ने तोड़ा है। यह कितना सच है उसकी हकीकत प्रवासी मजदूरों (MP Migrant Misery Report) ने खोलकर रख दी है। यह मजदूर पूरे देश में कार्य स्थल छोड़कर अपने घर की तरफ निकल पड़े हैं। अधिकांश पैदल निकले थे जो एक—एक करके हादसों का शिकार हो रहे थे। जिसको देखते हुए श्रमिक एक्सप्रेस और मजदूर बस चलाने के लिए सरकारों को मजबूर होना पड़ा। इन्हीं मजदूरों को लेकर अशासकीय संस्था विकास संवाद ने 10 जिलों के 310 मजदूरों की केस स्टडी (Vikas Samvad Migrant Case Study Report) बनाई। इसी स्टडी में सामने आया है कि उन्हें कभी भी डिजीटल भुगतान वेतन के रुप में किया ही नहीं गया।

देश में इन दिनों प्रवासी मजदूरों को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thhakare) हो या फिर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी आदित्य नाथ योगी (CM Yogi Aditya Nath Yogi)। दोनों राज्य पिछले एक पखवाड़े से मजदूरों के पलायन को लेकर सुर्खियों में हैं। इन्हीं मजदूरों को लेकर विकास संवाद ने मध्य प्रदेश के मजदूरों (MP Migranant Labour Report) पर स्टडी करने का निर्णय लिया। संस्था की तरफ से सचिन जैन (Sachin Jain) और राकेश मालवीय ने 10 जिलों का चयन किया। इन जिलों के 310 मजदूरों से बकायदा लंबी बातचीत की गई। इस बातचीत से यह साफ हो गया कि सरकारी सिस्टम में उन्हें डिजीटल नीतियों (India Digital Policy) का फायदा नहीं मिला। उन्हें सरकार दूसरे राज्यों में होने की वजह से सुविधाएं ही नहीं देती है।

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54 फीसदी नहीं जाएंगे वापस

इसी स्टडी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए मंगलवार को गूगल मीट (Vikas Samvad Google Meet) का आयोजन किया गया था। इसी मीट में यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन 310 प्रवासी मजदूरों से बातचीत (MP Migrant Labour Interview) की गई उनके 653 सदस्य है। इनमें से 328 लोग काम करते हैं। इन मजदूरों में से 169 लोगों ने अपनी मर्जी से पलायन किया था। इनमें से अधिकांश मजदूर आय से 60 फीसदी रकम अपने घर पहुंचाते हैं। सचिन जैन और राकेश मालवीय (Rakesh Malviya) ने बताया कि 54 फीसदी प्रवासी मजदूरों ने वापस रोजगार के लिए जाने से इनकार कर दिया है। वहीं 24 फीसदी से अधिक मजदूर अभी पसोपेश में हैं। मतलब साफ है कि लॉक डाउन खुलेगा तो मजदूर नहीं मिलने की समस्या जन्म लेगी।

श्रमिकों के सामने यह चुनौतियां

यह स्टडी मध्य प्रदेश के 10 जिलों में की गई। इसमें सतना, शिवपुरी, मंडला, विदिशा, छतरपुर, शहडोल, पन्ना, निवाडी, रीवा और उमरिया जिला शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा मजदूर गुजरात (Gujrat) फिर दिल्ली (Delhi) जाते है। फिर उत्तर प्रदेश (UP) और महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे शहरों का नंबर आता है। इनमें सर्वाधिक 50 फीसदी मजदूर निर्माण कार्य से जुड़े है। इसके बाद 21 फीसदी मजदूर व्यापारिक उपक्रमों जैसे मॉल, शोरुम में काम करते है। तीसरे नंबर पर कारखानों या छोटे कारखानों में काम करने वाले 17 फीसदी मजदूर थे। श्रमिकों की केस स्टडी (Migrant Labour Future Issue) में यह बात सामने आई है कि उन्हें भविष्य में बेरोजगारी, बीमारी, कर्ज, भूख की चिंता ज्यादा हावी होगी।

यह है सरकारी रिकॉर्ड

मध्य प्रदेश में 2011 जनगणना रिपोर्ट (MP Census Report) के अनुसार यहां के प्रवासी मजदूर भारत के 17 राज्यों में पलायन करके गए हैं। इनकी संख्या 30 लाख 29 हजार है। इसमें 10 लाख पुरुष तो 20 लाख महिलाएं हैं। महिलाओं की अधिकांश संख्या होने की वजह शादी को बताया गया है। मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने दावा किया है कि लॉक डाउन के बाद सरकारी प्रयासों से करीब 5 लाख 45 हजार प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हुई है। जबकि एक अनुमान के मुताबिक पैदल घर आने वालों की संख्या लगभग 10 लाख है। मंगलवार को ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narrottam Mishra) ने दावा किया है कि सरकार 23 लाख 64 हजार 964 लोगों को श्रम सिद्धि अभियान के तहत काम दिलाने जा रही है। गृहमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) 31 मई के बाद  किसी भी श्रमिक परिवार के बीच जा सकते हैं।

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