अखबार मालिक की मौत के बाद बेटे को बूढ़ी मां के साथ सरकार ने बेदखल किया, पत्रकारिता जगत में निंदा
भोपाल। सरकार किसी की भी रहे उसके निशाने पर पत्रकार हमेशा रहते हैं। ताजा मामला दैनिक नई दुनिया के मालिक के साथ जुड़ा है। इस समाचार पत्र का मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Journalism) की स्थापना से लेकर आजादी में बड़ा स्थान रहा है। अखबार मालिक के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (Freedom Fighter Family) भी रहे है। लेकिन, शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इन सारी संवेदनाओं को तिलांजली देकर परिवार को परेशान कर दिया। परिवार को सरकारी आवास से बेदखल (Bhopal Government Bunglow Issue) करके वह बंगला मंत्री को आवंटित कर दिया गया। इस घटना को लेकर पत्रकारिता जगत में काफी निंदा की जा रही है।
पिता की कोरोना से हुई थी मौत
मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में दैनिक नई दुनिया (MP Hindi News Paper) का अलग स्थान है। इस अखबार के संस्थापक सदस्यों में से एक नरेंद्र तिवारी (Narendra Tiwari) ने इसकी शुरुआत की थी। नरेन्द्र तिवारी स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter Narendra Tiwari) भी थे और कई बार आजादी के लिए जेल भी गए थे। नरेन्द्र तिवारी के निधन के पश्चात अखबार चलाने की जिम्मेदारी उनके सुपुत्र राजेन्द्र तिवारी (Rajendra Tiwari) के कंधों में आई थी। राजेन्द्र तिवारी कुछ महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। उपचार के दौरान चिरायु अस्पताल में उनका निधन हो गया था। इस निधन के बाद समाचार पत्र का संचालन बेटे अपूर्व तिवारी (Apurva Tiwari) संभाल रहे थे। पिता के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी संक्रमित हुए थे। इसलिए एक महीने तक परिवार संक्रमण मानकों के चलते कई तरह की बंदिशों में रहा।
बूढ़ी मां को देखकर भी दिल नहीं पसीजा
अपूर्व तिवारी ने बताया कि दो सितंबर को उन्हें संपदा संचालनालय से मकान खाली करने का नोटिस (Bhopal Government Bunglow Issue) दिया गया था। परिवार को तीन दिन की मोहलत दी गई थी। अपूर्व तिवारी ने सरकार से निवेदन किया था कि बंगला उनके नाम पर आवंटित कर दिया जाए। लेकिन, सरकार और संपदा संचालनालय ने कोई सुध नहीं ली। अपूर्व तिवारी 82 साल की माता की परवरिश की भी जिम्मेदारी है। संपदा के अफसरों ने पुलिस बुलाकर बंगले को जबरिया खाली करा दिया गया।
राजनीतिक गुटबाजी उजागर
सूत्रों के अनुसार सी—8 बंगले में राजेन्द्र तिवारी का परिवार लंबे अरसे से रहता आ रहा है। इस बंगले को शिवराज सरकार ने हाल ही में राज्य मंत्री बनाए गए सुरेश धाकड़ (Suresh Dhakad) को आवंटित करा दिया गया। धाकड़ भाजपा से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) खेमे से मंंत्री बनाए गए है। परिवार ने सिंधिया से भी निवेदन किया। इसके अलावा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narrottam Mishra) से भी गुहार लगाई गई। लेकिन, किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में सुध नहीं ली। सूत्रों ने बताया धाकड़ ने इस विवाद को देखते हुए मकान लेने में रुचि नहीं दिखाई।
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नेताओं ने जताया विरोध
इस घटना से जहां पत्रकारिता जगत (Bhopal Media House) में रोष है वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार को घेरा है। कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया (JP Dhanopiya) ने कहा कि प्रदेश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था ध्वस्त चल रही है। कोरोना संक्रमित मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही है। इन सबके बीच सरकार के मंत्रियों का बंगला प्रेम नहीं छूट पा रहा है। पूर्व मंत्रियों और मीडिया घरानों से जुड़े लोगों को डराने के लिए उनसे घरों को जबरिया खाली कराया जा रहा है। यह सरकार की निरंकुश छवि का उदाहरण है। इधर, मीडिया जगत का एक बड़ा वर्ग भी इस फैसले से काफी नाराज चल रहा है।
यह पुश्तैनी नहीं सरकारी मकान
इस मामले में संपदा संचालनालय के संचालक आरआर भौंसले (RR Bhounsale) से प्रतिक्रिया ली गई। भौंसले ने कहा कि आवास राजेन्द्र तिवारी को आवंटित था। यह आवास गृह विभाग की तरफ से मंत्री को आवंटित हुआ था। वह उसको खाली नहीं कर रहे थे। इसलिए बेदखली नियमों के तहत कार्रवाई की गई है। यह सरकारी आवास है यह पुश्तैनी मकान नहीं है। बेटे उसके लिए पात्र नहीं थे।
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