EOW कर रही माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में आर्थिक अनियमितता की जांच
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में हुई आर्थिक अनियमितता और नियुक्ति फर्जीवाड़े (MCU Scam) के मामले में एनएसयूआई ने शनिवार को प्रदर्शन किया। मामले में आरोपी बनाए गए प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को 7 वें वेतनमान का लाभ न दिए जाने की मांग की। एनएसयूआई के प्रवक्ता और विवि प्रभारी सुहृद तिवारी समेत अन्य कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में कुलपति के नाम प्रभारी रजिस्ट्रार को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से तिवारी ने कुलपति महोदय से अनुरोध किया है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो(EOW) द्वारा दर्ज प्राथमिकी(FIR) में नामित अधिकारी/कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ न दिया जाए।
तिवारी ने विश्वविद्यालय के पत्र क्रमांक/अकादमिक/2019/1856 दिनांक 26/09/2019 का संदर्भ देते हुए कहा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो(EOW) मध्यप्रदेश ने FIR क्रमांक 2019 प्र.सू.प.क्र. 14/19 दिनांक-14/04/2019 को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर ब्रजकिशोर कुठियाला समेत 19 लोगों पर आर्थिक और प्रशाषनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
यह प्राथमिकी माखन लाल विश्वविद्यालय के 20 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है जो सन 2003 से 2018 तक की नियुक्तियों और वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर राज्य शासन द्वारा बनाई गई 3 सदस्यीय कमेटी की अनुशंसा के बाद दर्ज की गई थी। इसमे पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला, पूर्व रजिस्ट्रार संजय द्विवेदी, डॉ.अनुराग सीठा, डॉ.पी शशिकला, डॉ.पवित्र श्रीवास्तव, डॉ.अरुण कुमार भगत, रजनी नागपाल, डॉ.अविनाश वाजपेयी, डॉ.कंचन भाटिया, डॉ.मनोज पचारिया डॉ.आरती सारंग, रंजन सिंह, सुरेन्द्र पॉल, डॉ.सौरभ मालवीय, सूर्य प्रकाश, प्रदीप डेहरिया, सतेंद्र डेहरिया, गजेंद्र सिंह अवास्या, डॉ.कपिल राज चंदौरिया, डॉ.मोनिका वर्मा के नाम शामिल हैं।
इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409,420,120 बी के अंतर्गत EOW ने प्रकरण दर्ज करते हुए आरोपी माना है। तिवारी ने कहा कि पूर्व कुलपति कुठियाला से EOW वित्तीय अनियमितता और नियम विरुद्ध भर्तियों के खिलाफ लगातार पूछताछ भी कर रही है ऐसे में इन 20 दोषी अधिकारियों को 7वें वेतनमान का लाभ देना गलत है। जबकि पूर्व तत्कालीन कुलपति ब्रजकिशोर कुठियाला ने वी.वी.ने जिन कर्मचारियों वा अधिकारियों पर कानूनी प्रकरण दर्ज थे उन्हें 7 वें वेतनमान का लाभ नही दिया गया था, फिर इन दोषी अधिकारियों पर मेहरबानी किस नियम से जा रही है?
तिवारी ने ज्ञापन के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि EOW की FIR में नामित 20 लोगों को 7वें वेतनमान का लाभ न दिया जाए अन्यथा वे कोर्ट केस और उग्र प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।