MP Animal Husbandry Conclave: वेटरनरी इंटर्न वालों को भी एमबीबीएस छात्र की तरह मिलेगा स्टायपंड

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MP Animal Husbandry Conclave: पशुओं की जान बचाने वाले वेटरनरी डॉक्टरों ने कोविड के दौरान तीन—चार सौ कर्मचारियों ने अपनी जान गवाई, भीतर अच्छे काम और अनुशासन को लेकर चल रहा था चिंतन, बाहर मदहोश होकर पहुंचे वेटरनरी डॉक्टर के कारण किरकिरी होने से बच गई, पुलिस ने रोका तो दी जाने लगी धमकी, पदाधिकारियों की मदद से शांत हुआ मामला

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भोपाल। मध्यप्रदेश में इंटर्न कर रहे वेटरनरी डॉक्टरों को जल्द एमबीबीएस की तर्ज पर स्टायपंड दिया जाएगा। इस बात का ऐलान प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग गुलशन बामरा ने किया। वे मध्यप्रदेश राजपत्रित पशु चिकित्सक संघ के प्रांतीय अधिवेशन (MP Animal Husbandry Conclave) के दौरान संबोधित कर रहे थे। इस दौरान देशभर के वेटरनरी डॉक्टरों के काम और हालात को लेकर चिंतन किया गया। जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पहले प्रांतीय राजपत्रित पशु चिकित्सक संघ के चुनाव में अध्यक्ष डॉक्टर मनोज गौतम को चुन लिया गया।

उम्र बढ़ाने को राजी नहीं प्रदेश के वेटरनरी डॉक्टर

कार्यक्रम में लक्ष्मी श्रीनिवासन (Laxmi Shrinivasan) समेत कई अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। मनोज गौतम (Manoj Gautam) ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि सरकार ने हमें बहुत कुछ दिया। फिर भी जो समस्याएं होगी वह हम सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे। उन्होंने दूसरे प्रदेशों के मुकाबले एमपी वेटरनरी डॉक्टरों की स्थित बहुत अच्छी है। केरल में हमारे राज्य के मुकाबले दो स्केल पीछे वेटरनरी के डॉक्टर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बात जरूर है कि लगभग छह साल से वेटरनरी में प्रमोशन का काम जरूर पिछड़ गया है। जिसका समाधान सरकार जल्द निकाल लेगी। इसके बाद उन्होंने पूरे प्रदेश से आए वेटरनरी डॉक्टरों से पूछा कि रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 कराई जाए या नहीं। इस सवाल पर सभी ने एक सिरे से उसे अस्वीकार दिया। इसके बाद एनपीए लागू करने की बात बोली तो उसमें सभी एक सुर से सहमत हुए। इसी कार्यक्रम में बोलते हुए गुलशन बामरा ने कहा कि गौसेवक और मैत्री में काम करने की आवश्यकता है। यह वन हेल्थ कंसेप्ट की तरह काम करेगा।

देश में कमतर आंकने की राजनीति बंद होनी चाहिए

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कार्यक्रम में प्रदेश से पहुंचे वेटरनरी डॉक्टर।

कार्यक्रम में बोलते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने कहा कि अंग्रेंजों ने अपने मनमुताबिक इतिहासकारों की मदद से भारत को पिछड़ा घोषित करने का पूरा प्रयास किया। यदि भारत इतना गरीब या पिछड़ा देश होता तो उसे लूटने अंग्रेज भारत में क्यों आते। यह सोची—समझी धारणा बनाई गई और भारत के लोगों को गलत इतिहास पढ़ाया गया। अब इसे बदलने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है। उन्होंने कहा कि कृषि और पशुपालन (MP Animal Husbandry Conclave) को एक—दूसरे से जुदा नहीं किया जा सकता। किसान और पशुधन का सीधा नाता है। यह दोनों आगे बढ़ने के लिए एक—दूसरे के लिए बहुत जरूरी है। परमार ने कहा कि आने वाले वक्त में भारत दुनिया की पेट भरने वाला देश बन जाएगा। इस बात में मुझे किसी तरह की शंका नहीं लगती। लेकिन, इससे पहले अमेरिका हमें लाल गेहूं देता था। आज वह हमारे चावल पाने के लिए मोहताज है। इसी अवसर पर भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर उमेश चंद्र शर्मा (Dr Umesh Chandra Sharma) ने कहा कि देश में एनीमल हसबेंडरी विभाग के मंत्री को सजा के तौर पर माना जाता है। देश में इस सोच को बदलने की आवश्यकता है। जबकि देश के जीडीपी में वेटरनरी के कारण 10 फीसदी का योगदान हैं।

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पुलिस ने वेटरनरी डॉक्टर की मदद लेकर हंगामा होने से बचाया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (BJP Leader Vishnu Dutt Sharma) ने अपने छात्र जीवन में रहते हुए आंदोलन को लेकर याद किया। उन्होंने डॉक्टर उमेश चंद्र शर्मा के साथ महू में हुई मुलाकात का उल्लेख किया। इसी चिंतन मनन के दौरान एक वेटरनरी डॉक्टर मदहोशी की हालत में समन्वय भवन के सभागार में प्रवेश करना चाह रहे थे। बाहर सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकना चाहा तो वे धमकाने लगे। काफी देर तक बाहर हंगामा होता रहा। इसके बाद एएसआई कोमल राय (ASI Komal Rai) एक वेटरनरी डॉक्टर के पास पहुंचे। जब उन्हें बाहर लाया गया तो वे समन्वय भवन से बाहर जाने के लिए राजी हुए। यह वाक्या जब हो रहा था उस वक्त स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार भीतर सभा को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि अभी वैक्सीनेशन का काम चल रहा है। इस दौरान हुए प्रांतीय अधिवेशन आयोजित किया गया। इसके अलावा आयोजन में वेटरनरी संघ के दूसरे संगठन को कार्यक्रम में आमंत्रित ही नहीं किया गया। यह बात प्रमुख सचिव गुलशन बामरा (IAS Gulshan Bamra) ने भी उठाई। हालांकि वे यह नहीं जानते थे कि संघ के दो गुट है। दरअसल, बामरा ने मंच से पूछ लिया कि संघ का यह कैसा नाम। यह कुछ आईएमए यानि इंडियन मेडिकल काउंसिल की तरह होना था। जबकि हकीक​त यह है कि वैसा नाम वाला दूसरा संगठन था जिसके कई अधिकारी वहां नहीं थे।

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