MP Cop Gossip: राजधानी से किनारे लगेंगे डेढ़ दर्जन निरीक्षक

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MP Cop Gossip: खाकी को खदेड़ने वाले थे खादी वाले नेता, बेचारे उनसे पहले अपना तबादला दूसरे थाने करा लिया, एक ही मामले की दो बार इसलिए करनी पड़ी पत्रकार वार्ता, एक थाना प्रभारी का तीन थानों में जलजला, वीडियो कहां से हुआ लीक

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। इसमें बहुत सी बातें मीडिया के सामने आ जाती है लेकिन, कुछ फाइलों में ही दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। इसमें हमारी हरसंभव कोशिश होती है जिन व्यक्तियों से जुड़े यह विषय है उनके नाम उजागर न करें। हमारा मकसद कतई यह नहीं है कि व्यक्ति, पद अथवा संस्था की गरिमा को ठेस पहुंचे। कुछ ऐसे ही बातों का हमारी यह कड़ी आपको कैसी लगी यह जरुर बता सकते हैं।

एमपी पुलिस के वीडियो पर महाराष्ट्र की नेता ने ले लिए भाजपा के मजे

पिछले दिनों सिवनी जिले के कोतवाली थाने में तैनात कांस्टेबल धनराज बरकड़े (Con Dhanraj Barkade) को जिले के कमजोर अफसरों ने हटा दिया। हालांकि वह थाने में बकायदा ड्यूटी कर रहा था। दरअसल, वहां एक मुस्लिम लड़के को पकड़ा गया था। जिसको वहां भाजपा के नेता मयूर दुबे (Mayur Dubey) ने पहुंचकर उससके मुलाकात करने की जिद की। उसकी नीयत अच्छी नहीं थी इसलिए कांस्टेबल ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस सारे घटनाक्रम का वीडियो भी दोनों पक्षों ने बनाया। इसके बाद मयूर दुबे की तरफ से थाने के भीतर अभद्रता करने का वीडियो वायरल कर दिया गया। जिसके बाद कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया। इस कार्रवाई के बाद कांस्टेबल ने भी सोशल मीडिया में अपना पक्ष रखा। इन दोनों ही घटनाओं का कोलाज बनाकर महाराष्ट्र की नेता सुप्रिया सुनेत (Supriya Sunet) ने उसे सोशल मीडिया में यह बोलकर वायरल कर दिया कि भाजपा की कथनी और करनी में फर्क।

महंगा पड़ा होटल के सामने अफसर को ऐसा करना…

यह घटना शहडोल जिले की है। यहां जय सिंह नगर (Jai Singh Nagar) थाना है। जिसमें एएसआई दीपक सिंह परिहार (ASI Deepak Singh Parihar) तैनात हैं। वे पिछले दिनों नशे की हालत में अपना वीडियो बनवा बैठे। ऐसा करते वक्त वे वर्दी पर भी थे। उन्होंने काफी हंगामा भी मचाया। जिसके बाद वीडियो वायरल हुआ तो एसपी कुमार प्रतीक (SP Kumar Prateek) ने उन्हें लाइन का रास्ता दिखा दिया। दरअसल, एएसआई महोदय नशे की हालत में एक होटल के सामने लघुशंका कर रहे थे। उन्हें रोकते हुए कई बार टोका भी गया था। लेकिन, ऐसा करने पर वे अभद्रता कर रहे थे। जिस कारण किरकिरी होने पर उन्हें चलता किया गया।

घर का भेदी लंका……

यह मामला कटनी जीआरपी (Katni GRP) थाने का है। थाने के भीतर एक महिला और उसके नातिन को वहां तैनात महिला निरीक्षक अरुणा वाहने (TI Aruna Vahne) लाठी से पीट रही थी। यह वीडियो कहां से लीक हुआ इसमें रहस्य बना हुआ है। क्योंकि यह मारपीट एसएचओ के कमरे में की जा रही थी। इसलिए यह तो साफ है कि वीडियो (MP Cop Gossip)  लीक करने वाला घर का भेदी था। यह वीडियो को कांग्रेस और उनके बड़े नेताओं ने भी अपने सोशल मीडिया पर ट्रोल करना चालू कर दिया। मामले ने तब तूल और पकड़ लिया जब महिला के दलित होने की बात सामने आई। हालांकि बवाल दिल्ली तक पहुंच गया और एमपी पुलिस सोती रह गई। दिल्ली (Delhi) से जैसे ही फटकार लगी तो कड़वे सवाल पूछने वाली मीडिया से दूरी रखने वाले अधिकारियों ने सोशल मीडिया में सफाई पेश की। कहा गया कि वीडियो एक साल पुराना है। जिस महिला के साथ मारपीट हुई उसका बेटा आदतन चोर है। हालांकि यह सफाई सटीक नहीं बैठी तो निरीक्षक को लाइन अटैच कर दिया गया। उससे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य नेता कटनी जाने का दौरा कार्यक्रम बना चुके थे।

माननीय की गलतफहमी तीन स्टार लगाने वाले अफसर ने दूर कर दी

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पिछले साल शहर के एक थाने में निरीक्षक की तैनाती हुई। उनकी तैनाती से पूर्व उन्हें थाना पता था। वे एक विधायक के बहुत करीबी उस वक्त थे। उनका पट्ठा बताकर खूब प्रचार किया गया। विधायक महोदय काफी खड़ा और खरा बोलने के चक्कर में कट्टरपंथी सोच वाले लोगों के लिए आदर्श बन गए हैं। हालांकि संगठन में उनका जनाधार घट रहा है। यह जानते हुए तीन स्टार वाले अफसर ने पाला बदला और वे महकमे के हो गए। उसके बाद उन्होंने उनके खिलाफ कुछ सख्त एक्शन ले लिए। जिसके बाद उनका तबादला करने के लिए माननीय सक्रिय हो गए। खादी वाले नेता की यह बात खाकी तक पहुंच गई। फिर क्या उन्होंने खादी सक्रिय होती उससे पहले अपना गणित चलाया और दूसरे थाने शिफ्ट हो गए। वे जिस थाने गए हैं वहां के माननीय उनके चिर—परिचित प्रतिद्वंदी भी है और वे खड़ा और खरा बोलते हैं।

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राजधानी में पार्टी और संगठन वाले अफसर

राजधानी की कुर्सी पहले काबिलियत पर मिला करती थी। यानि जांच, खुलासा और मीडिया से ताल्लुकात के साथ—साथ जनता के बीच उपस्थिति। अब यह फॉर्मूला दकियानूसी हो गया है। शहर में अब एक ही फॉर्मूला है या तो पार्टी से जुड़कर जुगाड़ लगाओ या फिर पार्टी के अनुषांगिक संगठन से तार भिड़ाकर जम जाओ। इसी फॉर्मूले पर शहर के तीन थानों पर एक थाने में तैनात निरीक्षक की कमान हैं। वे एक संगठन में जुड़े बड़े पदाधिकारी के रिश्तेदार हैं और सरनेम उनसे मिलता जुलता भी है। उन्होंने अपने तीन अन्य खास अफसरों को भी अपने दम पर थानों की कमान भी दिलाई है। एक थाना तो एक महिला अधिकारी को निपटाकर दिलाया गया है। इन अधिकारी के चर्चे पुलिस मुख्यालय के गलियारों में चटकारे लेकर बताए जा रहे हैं।

दूसरी बार पत्रकार वार्ता में वह शब्द नहीं बोला

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पिछले दिनों एक आभूषण कारोबारी के यहां लूट की सनसनीखेज वारदात हुई। जब एफआईआर हुई तो मीडिया को 35 हजार रुपए नकदी और जेवरात चोरी जाना बताया। लेकिन, जब उसका खुलासा हुआ तो जेवरात ही 50 लाख रुपए के हो गए। उस वक्त मामले का खुलासा करने के लिए आयोजित पहली पत्रकार वार्ता (MP Cop Gossip) में एक शब्द अग्निवीर का कई बार इस्तेमाल हुआ। उस अग्निवीर शब्द के कारण वह समाचार प्रदेश ही नेशनल लेवर पर सुर्खियों में आ गया। फिर उसी मामले की दो दिन बाद फिर पत्रकार वार्ता हुई। लेकिन, उसमें अग्निवीर शब्द ही गायब था। अग्निवीर को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत कई विपक्ष के नेता मुखर है और सरकार को घेरते हैं। ऐसे में यह शब्द मीडिया में आने के बाद वह समाचार बहुत ज्यादा चर्चित हो गए। हालांकि कुछ घंटे बाद ही इस बात को लेकर काफी खींचतान पुलिस मुख्यालय से लेकर राजधानी में होने लगी। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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