जांच छोड़कर रिकवरी में जुटे अफसर के चर्चे थाने से निकलकर गलियारों में पहुंचे
भोपाल। कुछ बताने के पहले मैं आपको बता दूं कि यह खबर नहीं है। यह भीतर खाने की चर्चा है जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। मतलब सबकुछ पर्दे के पीछे। पर्दे के पीछे चल रही यह कहानी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एक थाने की है। कहानी बेहद रोचक है जिसको बारीकी से समझेंगे तो आपको सबकुछ पता चल जाएगा। मामला एक गिरोह से चल रही रिकवरी से जुड़ा है। रिकवरी आप समझ ही गए होंगे। जमकर चल रही इस रिकवरी की भी बड़ी वजह है।
कहानी कुछ इस तरह है कि भोपाल के एक थाने ने अंरराज्यीय गिरोह का खुलासा करने का दावा किया था। यह गिरोह नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों को ऐंठता था। इस गिरोह के एक सदस्य को रिमांड पर लेकर रखा गया था। उससे दूसरे नेटवर्क का पता चल रहा था। इसी बीच प्रभारी महोदय का तबादला आदेश आ गया। यह सुनकर उन्हें बड़ा अफसोस हुआ। इस अफसोस का उन्होंने हल निकाला। हल ऐसा कि वह एमपी पुलिस गॉसिप का हिस्सा बन गया। सुना है कि साहब ने आदेश के बावजूद कुर्सी नहीं संभाली है। वह रात—दिन एक करके आरोपी से पूछताछ करके संबंधितों को थाने में तलब करके हकीकत का पता लगा रहे हैं। यह हिकमतअमली की चर्चा अब पुलिस गलियारों में जमकर चर्चा बटोर रही है।
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