MP Police Gossip : भोपाल में रहे एक अफसर की पीड़ा
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal Police Gossip) में रहे एक अफसर का पिछले दिनों जिले में एसपी बतौर तबादला हुआ। इस तबादले के बाद उन्हें घर परिवार के साथ दोस्तों ने बधाई देना शुरु कर दिया। अभी वे बुके और मोबाइल पर बधाई स्वीकार ही रहे थे कि उनके अरमान चकनाचूर हो गए। उनका जिले में किया गया तबादला निरस्त कर दिया गया। साहब काफी कम बातचीत करते हैं और काफी शर्मीले होने की वजह से मीडिया से भी डरते हैं।
नेपोटिज्म की आड़ में हमला
पिछले दिनों बॉलीवुड कलाकार सुशांत सिंह ने सुसाइड (Sushant Singh Suicide Case) किया। सुशांत की मौत के बाद देश में नेपोटिज्म पर बहस छिड़ गई। नेपोटिज्म का मतलब है भाई—भतीजावाद। इसी विषय पर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमित सिंह ने लंबा—चोड़ा लेख फेसबुक पर लिख दिया। उन्होंने दावा किया कि यह नेपोटिज्म हर जगह है। हालांकि उन्होंने इसको विभाग से नहीं जोड़ा है। यह अधिकारी पहले जबलपुर में एसपी रहे। एक बार नहीं बल्कि दो बार। फिर आनन—फानन में हटाए गए थे।
एक ही थाली के चट्टे—बट्टे
सरकार किसी को भी हो लेकिन माफिया हर पार्टी में अपनी दखल बना ही लेते हैं। मामला ग्वालियर जिले का है। यहां एक सीएसपी ने वकील के घर पर दबिश दी। यह वकील सामान्य नहीं है जानते हुए दबिश दी। उनके खिलाफ फर्जी छेड़छाड़ का भी मुकदमा दर्ज करा दिया गया। भीतरखाने की खबर है कि यह सबकुछ उनके आधिपत्य में मौजूद करोड़ों रुपए की जमीन हथियाने के लिए किया गया है। इस मामले में एक मंत्री, कांग्रेस विधायक और डॉक्टरों की मिलीभगत है।
जुए ने दूसरे टीआई को भी लाइन में लगा दिया
भोपाल इन दिनों जुए के अड्डों के कारण चर्चा के केंद्र में हैं। इन अड्डों की वजह से एक सप्ताह के भीतर में दो थाना प्रभारियों की बलि चढ़ गई। लेकिन, नेटवर्क से जुड़े दूसरे अफसरों को छोड़ दिया गया। अब सवाल खड़ा इस बात का हो रहा है कि जब नेटवर्क एकमात्र निरीक्षक चला रहे थे तो सुपरविजन अफसर से लेकर बीट प्रभारी क्या कर रहे थे।
फिर लौटे टीआई से मुश्किलें
कोहेफिजा टीआई वापस उसी थाने में लौट आए हैं। पहले के जो टीआई थे वे उनकी जगह चले गए हैं। मतलब साफ है कि थाने में अपने पुराने आदमियों की पूछपरख ज्यादा होगी। इस खबर से थाना स्टाफ जितना खुश है उतना ही एक मामले का फरियादी परेशान चल रहा है। दरअसल, उसके करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। जब वह टीआई थे तब जांच को लटकाए रखा। उनके जाते ही मामले में तेजी आई थी। लेकिन, अब पुराने टीआई को कुर्सी पर देखकर एक मामले का फरियादी मायूस हो गया है।
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