जिसका जो रहा प्रिय उसका नाम व्हाट्स एप्प पर चला दिया
भोपाल। (MP Police Gossip) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपने ही अंदाज के कारण जुदा है। इस खूबी के कारण कई अफसरों ने एक—दूसरे से जुदाई ले ली है। मतलब बातचीत नहीं कर रहे है। कई नेता अफसर से तो कई अफसर अपने ही सुपर सीनियर से किनारे कर रहे हैं। दरअसल, इसकी वजह यह है कि एक सप्ताह पहले सूची व्हाट्स एप्प में वायरल होने लगी थी। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर से लेकर कई जिलों के अफसरों को यहां वहां किया जाने लगा था। कई लोगों ने तो भोपाल के आईजी का भी नाम उछाल दिया। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और जिनके क्रीम वाले पद के लिए नाम चल रहे थे वे मायूस हो गए। अब उनके सामने व्यक्ति आता है जिसने नाम उछाला था और बधाईयां भी दे डाली थी उसको चलता करने के लिए बहुत जल्दी करते हैं।
नेता के निशाने पर थानेदार
पिछले दिनों एक व्यक्ति को पेड़ से बांधकर जमकर पीटा गया। इस घटना की जानकारी थानेदार के पास भी पहुंची। थानेदार कई तरह के परोपकार के चलते उस व्यक्ति के सामने बंधे हुए थे। इसलिए उन्हें पेड़ में बांधकर पीटे गए व्यक्ति के दर्द की आवाज कम सुनाई दी। लेकिन, थानेदार दूसरे पक्ष की खबर ही नहीं रखते थे। दूसरा पक्ष सीधे सत्तारुढ़ पार्टी के एक नेता से जुड़ा था। उन नेता ने फोन थानेदार को घनघना दिया। जिसके बाद थानेदार ने मामला दर्ज किया। मामले को सामान्य बनाने की कोशिश की गई। लेकिन, जब बात नहीं बनी तो बलवा समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। थानेदार ने फिर परोपकार का कर्ज चुकाने का फैसला लिया। उन्होंने उसी तर्ज पर दूसरे पक्ष की तरफ से भी मामला दर्ज कर लिया। मतलब दोनों तरफ दबाव बना रहे। इस घटना में अभी राजनीतिक दांव—पेंच जारी है। खबर है कि थानेदार के खिलाफ राजनीति के अलावा महिला आयोग समेत कई अन्य दरवाजों पर पुख्ता सबूत के साथ शिकायतें होने वाली है।
आपदा में भी अवसर
पुलिस महकमा ऐसा विभाग है जहां हर कोई कानून से जुड़ा होता है। लेकिन, इस कानून का सहारा लेकर कई अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। शहर में कोरोना वायरस को लेकर हर कोई अपने हिसाब से आदेश दे रहा है। अभी तक कोई ठोस नियम सामने नहीं है। इसलिए जहां जैसा आदेश लागू हो जाए उससे काम चला रहा है। कई अपने विभागीय टारगेट पूरा कर रहे हैं तो कई अपने टारगेट पर लगे हैं। ऐसा ही एक आदेश है एक वाहन पर दो लोगों के बैठने का। शहर के कई इलाकों में वाहन चालकों को रोका जा रहा है। फिर सारे कानून और भय के सपने दिखाकर उस व्यक्ति पर दबाव बनाया जाता है। इतना ही नहीं स्वयं को कोरोना वॉरियर्स बताकर उन पर बरसने वाले फूलों की कहानी और तस्वीरों की याद दिलाई जाती है। बस क्या इतने में व्यक्ति समझ जाता है और वह जेब ढ़ीली करके चल देता है।
आने के पहले व्हाट्स ग्रुप में सेंध
राजधानी भोपाल में सबकुछ बदलने वाला है। ऐसे संकेत लंबे अरसे से मिल रहे हैं। लेकिन, यह शहर सभी लोगों का है। इसलिए सबका ख्याल रखे जाने वाले लोगों का चयन किया जाता है। कुछ ऐसे ही फॉर्मूले पर रणनीति बनाई जा रही है। इसमें कई पहले ही अपना बोरियां बिस्तर बांध चुके हैं। जिन्हें इस शहर में आना है उनके संकेत भी हो चुके है। खबर है कि उन्हें पिछले दिनों महकमे के एक सरकारी ग्रुप में जोड़ लिया गया। जबकि साहब दूसरे जिले में तैनात है। अब लोगों के मन में शंका इसी बात को लेकर है कि कहीं शहर के कोच वह न बन बैठे। उनके नाम को लेकर कई लोग अपने—अपने गणित अभी से बैठाने लगे हैं। वह चाहे विभाग के हो या फिर दूसरे व्यक्ति। देखना यह है कि उन्हें लाने वाली सूची जारी कब होती है।
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