MP Police Gossip: मध्य प्रदेश पुलिस सेवा के एक अफसर की तरफ से स्पेशल टारगेट पर थे कर्मचारी
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का एक भूमाफिया रमाकांत विजयवर्गीय (Bhopal Land Mafia Ramakant Vijaywargiya) की अचानक बहुत सरगर्मी से तलाश शुरु की गई। इस संबंध में भारतीय पुलिस सेवा के एक अफसर का विशेष टारगेट मैदानी कर्मचारियों को दिया गया था। आलम यह था कि रमाकांत विजयवर्गीय के ननिहाल में पिछले दिनों एक गमी (MP Police Gossip) हो गई थी। उस गमी में वह आएगाा ऐसी सूचना कर्मचारियों को थी। जिसकी वजह से उस गमी में शामिल होने कर्मचारी भी भोपाल से वहां पहुंचे थे। लेकिन, पुलिस के काम आया एक व्हाट्स एप्प ग्रुप जिसको रमाकांत विजयवर्गीय का बेटा चला रहा था।
सतना में हुई पूछताछ करंट भोपाल में लगा
पिछले दिनों सतना पुलिस ने मोस्ट वांटेड अनूप जैसवाल (Most Wanted Anoop Jaisawal) को गिरफ्तार किया गया। सतना पुलिस ने भी अपने बयान में यह बताया था कि जब उसको पकड़ा गया तब वह भोपाल से आ रहा था। वह भी तब जब शहर में लॉक डाउन था। इसलिए उससे पूछताछ हुई तो उसका करंट सीधे भोपाल में आकर लगा। पता चला कि अनूप जैसवाल को छोड़ने में बड़ा लेन—देन हुआ। लेकिन, यह किसने किया यह राज रह गया। हालांकि इस लापरवाही में बागसेवनिया थाने के 7 अधिकारी और कर्मचारियों को लाइन में जाना पड़ा।
बचाने में बागड़ तक पहुंच गई आग
पिछले दिनों अवधपुरी थाना पुलिस ने एक महिला के घर दबिश दी। जिसके बाद मामले ने तूल (MP Police Gossip) पकड़ा। महिला के घर से पुलिस ने डीवीआर भी जब्त की। जिसकी शिकायत भी हुई। मामला जालसाजी से जुड़ा है लेकिन पुलिस जांच को बारीकी से नहीं करना चाह रही। दरअसल, जांच का दायरा बढ़ाया तो उसके सिर पर राजनीतिक दबाव आएगा। जिसकी वजह से विभाग के एक अफसर तक यह चिंगारी पहुंच सकती है। इसलिए मामले को ठंडा करके मौका आने का इंतजार किया जा रहा है।
टीआई पर अफसर मेहरबान
बैरागढ़ थाने में एक ही परिवार की दो अलग—अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। पहली बार जब एफआईआर हुई तो मामला मारपीट का बनाया गया। लेकिन, जब थाना प्रभारी की किरकिरी हुई तो उन्होंने आनन—फानन में नाबालिग की शिकायत पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज कर लिया। अब सवाल यह खड़ा होता है कि या तो पहले वाली एफआईआर गलत थी या फिर दूसरी वाली। पर इन दोनों एफआईआर पर बरती गई लापरवाही पर बोलेगा कौन।
दिन, महीने, साल सुधरते नहीं हालात
भोपाल पुलिस इन दिनों एक संकट से जूझ रही है। काफी मशक्कत के बाद उसकी सरकार और अफसरों से पटरी बैठती है। लेकिन, यह बनती हुई पटरी की बात बेपटरी हो जाती है। यकीन नहीं हो रहा है तो आपको दो मामले बताते हैं। भोपाल में तीन थाने हैं जिनकी जमीन लगभग अलॉट है। लेकिन, थाना बनता ही नहीं। कोई न कोई रुकावट सामने आ जाती है। अरेरा हिल्स थाने का लगभग उदघाटन तय था। लेकिन, राज्यपाल लालजी टंडन के कारण वह टल गया। इससे पहले ऐशबाग थाने की जमीन आवंटित हो गई। पर वह भी नहीं बन सका। इसी तरह अवधपुरी थाने की जमीन मिल गई है तो वह स्टाफ को पसंद नहीं आ रही।
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