MP Cabinet Oath : मध्य प्रदेश भाजपा में सिंधिया का दबदबा, मंत्रीमंडल में दिखा असर

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MP Cabinet Oath : कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए 12 विधायक अब तक मंत्री बने, कई दिग्गज चेहरों के हाथ लगी मायूसी

MP Cabinet Oath
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मंत्रियों को शपथ दिलाते हुए

भोपाल। मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (EX CM Kamal Nath) की सरकार गिरने के 100 दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार (MP Cabinet Oath) किया है। बहुप्रतीक्षित इस विस्तार को लेकर करीब एक पखवाड़े से मंथन चल रहा था। इस मंथन के बाद कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का दबदबा देखने को मिला। सिंधिया स्वयं राज्यसभा पहुंच चुके हैं। वहीं उनके 16 में से 11 विधायकों को मंत्री (MP Scindia Cabinet Minister) बनाया गया है। इस फैसले का असर प्रदेश के 24 सीटों पर होने वाले उप चुनाव (MP By Election) में देखने को मिल सकता है। दरअसल, भाजपा के कई बड़े चेहरों को मंत्रीमंडल से दूर कर दिया गया है।

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यह बनाए गए मंत्री

गुरुवार को मंत्री बनने वालों में शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया, हरसूद से विजय शाह, उज्जैन मोहन यादव, सुवासरा से हरदीप सिंह डंग, अनूपपुर बिसाहू लाल सिंह, बमोरी से महेन्द्र सिंह, भोपाल नरेला विश्वास सारंग, मल्हारगढ़ जगदीश देवड़ा, परसवाड़ा से राम किशोर, जावद से ओम प्रकाश सकलेचा, अंबेडकर नगर से उषा ठाकुर, शुजालपुर इंदर सिंह परमार, डबरा से इमरती देवी, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया, सांची से प्रभुराम चौधरी, बड़वानी से प्रेम सिंह पटेल, अटेर से अरविंद भदौरिया, पवई से बृजेन्द्र प्रताप सिंह, बदनावर से पूर्व विधायक राजवर्द्धन दतीगांव, सुमावली ऐंदल सिंह कंसाना, खुरई से भूपेन्द्र सिंह, ग्वालियर ग्रामीण भारत सिंह कुशवाहा, रहली गोपाल भार्गव, ग्वालियर प्रदुम्न सिंह तोमर, मुंगावली से बृजेन्द्र यादव, अमरपाटन से रामखिलावन पटेल, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया, पोहरी से सुरेश धाकड़ को बनाया गया है।

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यह है सिंधिया खेमे के चेहरे

मध्य प्रदेश में 33 मंत्री और एक मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह सारी संख्या पूरी हो गई है। पहले चरण में पांच मंत्री बनाए गए थे। उसमें सिंधिया खेमे से पहले चरण में तुलसीराम सिलावट और गोपाल सिंह राजपूत को बनाया गया था। दूसरे चरण में सिंधिया खेमे से जो मंत्री बने हैं उनमें गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, बृजेन्द्र सिंह यादव, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, प्रदुम्न सिंह तोमर, राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, महेन्द्र सिंह सिसोदिया और सुरेश धाकड़ हैं। इन चेहरों के साथ सिंधिया खेमे के कुल 11 मंत्री बनाए जा चुके हैं।

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इन चेहरों के कारण अटका था मामला

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मार्च, 2020 में भाजपा की सरकार बनी थी। यह तब संभव हो पाया था जब कांग्रेस के कद्दावर नेता ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थामा था। मंत्री मंडल विस्तार तीन चेहरों के कारण अटका हुआ था। इसमें से दो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक थे। जिसमें ऐदल सिंह कंसाना और बिसाहूलाल हैं। वहीं कांग्रेस नेता मीनाक्षी नटराजन के करीबी रहे हरदीप सिंह डंग को लेकर विवाद था। यह तीनों नामों पर ज्यातिरादित्य सिंधिया ने आपत्ति उठाई थी। उनका कहना था कि यह उनके खेमे के विधायक नहीं है। इसलिए इन तीनों नामों पर घमासान मचा था। आखिर यह किस खेमे से लिए जाए।

किसका दिखा दम

मंत्रीमंडल गठन में सभी को साधने की कोशिश की गई है। हालांकि दमदार रुप से कांग्रेस के बागी चेहरे हैं। दरअसल, प्रदेश में कुल 33 मंत्री बनाए जा चुके हैं। इसमें से बागी 22 में से 14 मंत्री बनाए गए हैं। यह मंत्री सीधे—सीधे भाजपा खेमे के कोटे से कम हुए। मंत्रीमंडल में ज्योतिरादित्या सिंधिया की लॉबी भारी पड़ी। अब भारतीय जनता पार्टी को अपने घर के नाराज कद्दावर नेताओं को मनाने की चुनौती है।

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इनका नाम नहीं

सूची (MP Cabinet Oath) में आदिवासी चेहरा होने का फायदा विजय शाह को मिला। गोपाल भार्गव, ओम प्रकाश सकलेचा, मोहन यादव को संगठन और संघ का साथ मिला। वहीं शिवराज के चेहरों में भूपेन्द्र सिंह, अरविंद भदौरिया जगह बनाने में कामयाब रहे। मंत्रीमंडल की सूची से बड़े नामों में अजय विश्नोई, गौरीशंकर बिसेन, राजेन्द्र शुक्ला, गिरीश गौतम, सीतासरन शर्मा, रमेश मेंदोला, संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी को जगह नहीं दी जा सकी। यह सारे चेहरे भाजपा में अपना वजूद रखते हैं।

डैमेज कंट्रोल चुनौती

मध्य प्रदेश में जल्द 24 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें 22 सीटे कांग्रेस के बागी विधायकों की है। इन सीटों पर नाम लगभग पुराने चेहरों के ही रहेंगे। यहां जीत के लिए भाजपा को संगठन की आवश्यकता है। यदि भीतरघात हुआ तो 22 चेहरे उप चुनाव के बाद पलट भी सकते हैं। मंडल, आयोग की कुर्सी भी नहीं दी सकती है। दरअसल, लाभ के पद का कानून लागू होने के चलते यह किया जाना भाजपा के लिए संभव नहीं हैं।

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