Bhopal Loot News: एफआईआर दर्ज कराने वाले पीड़ित की बताई कहानी से लेकर संदिग्धों से चल रही पूछताछ में कई जगह झोल
भोपाल। पुलिस बनकर 20 लाख रूपए की लूट कर ली गई। वारदात के दो सप्ताह बाद पीड़ित प्रकरण दर्ज कराने थाने पहुंचा। लूटी गई रकम गुजरात की एक फर्म के बताए जा रहे हैं। यह सनसनीखेज वारदात भोपाल (Bhopal Loot News) शहर के हबीबगंज थाना क्षेत्र की है। जिसमें एफआईआर के चौबीस घंटे बाद भी कई सवालों के जवाब पुलिस के पास नहीं हैंं। प्रकरण बेहद संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। इसमें कहानी को सुलझाने के लिए पुलिस फर्म संचालकों से भी पूछताछ कर रही है।
पुलिस की दर्ज एफआईआर में यह दावा किया गया
हबीबगंज (Habibganj) थाना पुलिस के अनुसार 31 मई की शाम को दर्ज की गई है। जबकि घटना 17 मई की शाम को हुई थी। पुलिस ने 303/23 धारा 394 मारपीट कर लूटपाट का प्रकरण दर्ज किया है। यह एफआईआर आवेदन के आधार पर दर्ज की गई है। लूटी गई रकम 20 लाख रूपए की है। घटना 1100 क्वार्टर स्थित इलाके में हुई है। जिसमें टीएस—07—जेएन—5340 वाहन पर सवार छह लोग आरोपी पुलिस ने बनाए हैं। मामले की जांच एएसआई मनोज यादव (ASI Manoj Yadav) कर रहे हैं। शिकायत किशन पटेल (Kishan Patel) पिता भरत भाई पटेल उम्र 27 साल ने दर्ज कराई है। वे पिपलानी थाना क्षेत्र स्थित छत्रसाल नगर (Chhatrasal Nagar) फेज—2 में फिलहाल रहते हैं। हालांकि वे गुजरात (Gujrat) के मेहसाणा जिले के विश नगर थाना क्षेत्र के ग्राम हसनपुर (Hasanpur) के रहने वाले हैं। किशन पटेल ने पुलिस को बताया है कि वह सूरत में स्थित डी नटवर फर्म (D Natwar Farm) में नौकरी करता है। घटना वाले दिन उसके साथ दोस्त मीत भी था। कंपनी भोपाल में कारोबारियों से पैसा कलेक्शन का काम करती है। यह पैसा कलेक्शन का काम वैध है कि नहीं साफ नहीं हो सका है। घटना वाले दिन ईदगाह हिल्स निवासी अजीत परमानी (Ajeet Parmani) ने व्हाट्स एप कॉल किया था।
कस्टमर के साथ नया नाम जुड़ गया
पुलिस के अनुसार अजीत परमानी ने उसको एक नंबर दिया था। जिससे कॉल आने की जानकारी एडवांस में दी गई थी। एफआईआर दर्ज कराने वाले किशन पटेल का दावा है कि अजीत परमानी उसकी फर्म के क्लाइंट है। उन्होंने 10 लाख रूपए उधार ले रखा है। जो नंबर दिया गया उससे फोन आया। उसने अपना परिचय नीलेश केे रूप में दिया। यह कॉल भी व्हाट्स एप पर आया था। उसने हनुमान मंदिर के पास 1100 क्वार्टर में बुलाया। वहां नीलेश (Neelesh) उस वाहन में अपने साथी के साथ मिला। उसको एक्टिवा एमपी—04—जेडएफ—0675 साइड में रखकर गाडी में बैठने के लिए बोला गया। कार में बैठते तभी दो अन्य व्यक्ति भी आ गए। उन्होंने अपना परिचय पुलिस के रूप में दिया और उसे तमाचा मार दिया। फिर उसके पास रखा स्कूल बैग छीन लिया। किशन पटेल का दावा है कि उसमें सेठ के 20 लाख रूपए रखे थे।
एफआईआर की देरी को लेकर पुलिस ने यह वजह बताई
चारों ने चुपचाप कार में बैठे रहने के लिए बोला। उससे कहा गया कि सेठ को पुलिस थाने लेकर आना और बैग ले जाना। फिर वाहन से दोनों को उतार दिया। कार से बाहर आने पर फिर दो अन्य साथी पहरा देते हुए दिखाई दिए। उन्होंने मोबाइल छीनकर सिम निकाली और सारे नंबर मिटा दिए। किशन पटेल का दावा है कि उन्हें असली पुलिस (Bhopal Loot News) समझकर वह डर गया था। इसलिए घर सीधे चला गया। वहां उसने अपने साथी पिंटू के फोन से सेठ पोपट लाल (Popat Lal) को कॉल करके पूरी घटना बताई। फर्म का मालिक गुजरात में व्यस्त था। इसलिए उसको आने में देरी हो गई। उनके आने के बाद वह थाने में मुकदमा दर्ज कराने पहुंचा। किशन पटेल ने बताया कि उससे पैसा छीनने वाले लोग दक्षिण भारतीय भाषा शैली में बातचीत कर रहे थे। इस मामले में किशन पटेल से प्रतिक्रिया के लिए फोन लगाया गया तो उन्होंने पूरे घटनाक्रम से अनजान बनते हुए किशन पटेल होने से ही इंकार कर दिया।
लूट की इस सनसनीखेज घटना जिसमें पुलिस की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है उसमें संवेदनशीलता बयानों से पता चलती है। हबीबगंज थाने के प्रभारी विवेक शर्मा (TI Vivek Sharma) ने कहा कि लूट की घटना हुई है। बाकी उनके पास कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने जांच अधिकारी एएसआई मनोज यादव का नंबर दे दिया। उन्होंने बताया कि जल्द काम हो जाए इसलिए पुलिस बनकर लूटपाट करने वाली बात लिखाई प्रतीत हो रही है। हमने दो संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। उनसे जब पूछा गया कि मुकदमे में अजीत परमानी भी संदेही है तो कोई जवाब वे नहीं दे सके। क्योंकि उनके ही कहने पर नीलेश ने फोन किया था। पूरे प्रकरण में कई जगह तकनीकी पेंच है जैसे जिस वाहन पर लुटेरे सवार थे वह असली है या नहीं। भीड़ भाड़ वाली जगह बुलाकर वारदात क्यों की गई।
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