MP Lock Down : सीएम ने कहा था जिले के हालात पर कलेक्टर लेंगे फैसला, नई—नई तारीखें वे खुद बता रहे
भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना का संक्रमण फैले हुए लगभग एक महीना बीत चुका है। आज भी कई शहरों के शमशान सरकार के चेहरे को बेनकाब कर रहे है। अस्पतालों में लूट—खसोट जारी है। जिसको रोकने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। इधर, पूरे प्रदेश में आवश्यक चीजों जैसे शक्कर, चायपत्ती, तेल समेत अन्य सामानों की कालाबाजारी और उसमें मुनाफाखोरी शुरु हो गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ताजा आदेश लॉक डाउन (MP Lock Down) को लेकर दिया है। इसकी तारीख और उसके प्रावधान अभी तक साफ नहीं है। यह पहला मौका नहीं जब इस तरह की परिस्थितियां बनी हो।
यह हैं जिलों के हालात
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना कर्फ्यू शब्द का इस्तेमाल करके कलेक्टर अविनाश लवानिया ने उसकी तारीख 10 मई की सुबह 6 बजे तक लॉक डाउन आदेश दिया है। इसी तरह जबलपुर में कलेक्टर ने 17 मई तक लॉक डाउन लगाया है। वहीं इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह ने 10 मई तक के लिए लॉक डाउन लगाया है। यहां आपको बता दे कि इन तारीखों के बीच सरकार का दो दिनी फॉर्मूला भी लागू है। वह अभी समाप्त नहीं हुआ है। इस फॉर्मूले के तहत शुक्रवार रात 10 बजे के बाद शनिवार और रविवार के साथ सोमवार सुबह 6 बजे तक लॉक डाउन रहता है।
कई परिवारों के हैं बुरे हालात
सरकार एक तरफ कोरोना महामारी को लेकर एक महीन से अलग—अलग आदेशों को जारी करके पाबंदियां लगा रही है। भीड़ न लगाने का बोलकर सरकार ही उसको जमा करने का आदेश दे रही है। दरअसल, सरकार सरकारी राशन बांटने वाली है। इसको लेने के लिए दुकानों में जो अव्यवस्था होगी उसकी रणनीति सरकार ने नहीं बनाई है। यदि राशन दुकानों से संक्रमण फैला तो शहरों में क्या होगा यह तय नहीं है। इधर, कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास राशनकार्ड नहीं है। उनको लेकर भी सरकार कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं कर सकी है। लॉक डाउन उर्फ कोरोना कर्फ्यू एक महीने से जारी है। इस कारण कई कामगार घरों में भी बैठे हुए हैं। उनके सामने घर चलाने का भय अब सताने लगा है।
अस्पतालों के बाद बाजार में लूटामारी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 मई तक लॉक डाउन लगाया है। अगले दिन रविवार है यानि उस दिन भी बंद रहेगा। कई शहरों में रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन की कमी की खबरें आ रही है। इस बीच नई तारीखों से जनता के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल, बड़ी—बड़ी दुकानें बंद है। छोटी दुकानों से माल चोरी—छुपे बेचा जा रहा है। यह दुकानें गरीब बस्तियों के भीतर चल रही है। यहां मिलने वाले आटा, दाल, चावल, शक्कर से लेकर तमाम आवश्यक वस्तुओं के दाम में वृद्धि हो गई है। इन बातों से निपटने के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है। दुकानें जो नियमानुसार बंद होनी चाहिए वह चल तो रही है उसमें भी मुनाफाखोरी की जा रही है।