MP Corrupt Officer: करोड़पति निकला परिवार, हैरान हो जाएंगे जानकार संपत्ति

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MP Corrupt Officer: कांग्रेस सरकार में 16 रूपए रोज मिलती थी सैलरी, भाजपा के आते ही सोसायटी का सेल्समेन बन गया लखपति, तीन साल के भीतर चार अफसरों ने की जांच, अभी तो मामला दर्ज हुआ है वह भी अधूरे तथ्यों के साथ

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन टीसीआई।

सागर/भोपाल। मध्यप्रदेश का नाम घोटालों और घपलों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है। व्यापमं में हुए नियुक्ति घोटाले से लेकर कई स्कैम में प्रदेश का नाम सामने आ चुका है। अब एक हैरान कर देने वाला परिवार एक्सपोज हुआ है। यह घटना का केंद्र बिंदु छतरपुर जिला है। जिसकी जांच सागर आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (MP Corrupt Officer) ने की थी। इस जांच को पूरा करने में तीन साल का वक्त लग गया। इस दौरान जांच करने वाले तीन अधिकारियों के भी तबादले हो गए। अब चौथे अधिकारी ने संपत्तियों और वाहनों के विवरण के साथ मामले का खुलासा किया है। आरोपों में छतरपुर जिले के बडामलहरा स्थित सेंधवा में तैनात समिति के दो कर्मचारी फंसे हैं। आरोपी पिता—पुत्र हैं जिन्होंने महज 25 साल में कुनबे की संपत्ति को लाखों रूपए में पहुंचा दिया। जबकि पिता की कांग्रेस सरकार के दौरान महज 16 रूपए रोज की तनख्वाह पर सैलरी बनती थी।

इन्हें बनाया गया है आरोपी

ईओडब्ल्यू (EOW) के अनुसार इस मामले 102/22 धारा 109/120—बी/13—1—बी/13—2— के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच पहले निरीक्षक सौरभ त्रिपाठी, एसआई दीपेंद्र सिंह कुशवाहा, चंद्रजीत यादव ने की थी। अभी ताजा एफआईआर करने का निर्णय निरीक्षक उमा नवल (TI Uma Nawal) आर्य ने लिया है। इस मामले में आरोपियों की संख्या सात है। यह आरोपी पिता—पुत्र के अलावा बहू हैं। ईओडब्ल्यू के अनुसार आरोपी जाहर सिंह घोशी, उनकी पत्नी गुड्डी बाई घोशी (Guddu Bai Ghoshi) , बेटे अजय सिंह, अभय प्रताप सिंह, कृष्ण प्रताप सिंह, यादवेंद्र सिंह और जाहर सिंह घोशी की बहू अंजना सिंह (Anjana Singh) को बनाया गया है। इस भ्रष्टाचारी परिवार के खिलाफ शिकायत छतरपुर के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अयोध्या प्रसाद बाजपेयी (Ayodhya Prasad Bajpai) ने की थी। खबर है कि यह जांच जून, 2019 से शुरू हुई थी। मामले की जांच कर रहे अफसरों ने एफआईआर में देरी की वजह को लेकर कोई ठोस खुलासा नहीं किया है।

राजधानी से लेकर छतरपुर में अकूत संपत्ति

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भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

ईओडब्ल्यू को पड़ताल में मालूम हुआ कि आरोपी जाहर सिंह (Jahar Singh) की अगस्त, 1997 में सहकारी समिति में विक्रेता के पद नौकरी लगी थी। उस वक्त 16 रूपए रोज के हिसाब से प्रतिमाह 480 रूपए की सैलरी मिलती थी। इसी तरह उसके बेटे यादवेंद्र सिंह (Yadvendra Singh) की नौकरी फरवरी, 2010 में लगी थी। पिता को मार्च, 2021 तक करीब सवा तेरह लाख रूपए (MP Corrupt Officer) का वेतन मिला। इसी तरह बेटे यादवेंद्र सिंह को 2019 तक करीब आठ लाख रूपए का वेतन मिला था। इसके बावजूद पत्नी गुड्डी बाई समेत बाकी अन्य बेटों के दो पहिया और चार पहिया वाहन चौदह खरीदे गए थे। ईओडब्ल्यू ने इन वाहनों की सूची भी निकाली है। इन वाहनों की कीमत करीब 62 लाख रूपए हैं। इसके अलावा पत्नी गुड्डी बाई के नाम पर चार जमीन, बेटे यादवेंद्र सिंह चंदेल के नाम पर 10 जमीन के दस्तावेज मिले। वहीं बहू अंजना सिंह और जाहर सिंह के नाम पर तीन जमीन के दस्तावेज मिले। इसके अलावा बेटे अभय प्रताप सिंह (Abhay Pratap Singh) के नाम पर चार जमीन के दस्तावेज हासिल हुए।

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पौने दो करोड़ रूपए की संपत्ति पता चली

आर्थिक प्रकोष्ठ विंग यह पता लगाने में नाकाम है कि इतनी संपत्ति के मालिक यह परिवार कैसे हुआ। जांच अभी भी जारी है। अभय प्रताप सिंह चंदेल के नाम पर न्यू मीनाल रेसीडेंसी में करीब 54 लाख रूपए का मकान पता चला है। इसके अलावा पिस्टल और रायफल के गन लायसेंस भी मिले हैं। ईओडब्ल्यू का दावा है कि अभी घर के जेवरात, बैंकों में जमा धन, बीमा पॉलिसी और निवेश से संबंधित विषयों की पड़ताल की जाना बाकी है। हालांकि जांच में अब तक सामने करीब पौने दो करोड़ रूपए की संपत्ति पति—पत्नी के अलावा चार बेटों और एक बहू के नाम पर मिल गई है।

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