हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग के अलावा प्रमुख सचिव विधि को किया तलब
जबलपुर। सरकार बनाने के पहले (Madhya Pradesh Corruption) भ्रष्टाचारियों के खिलाफ नेता और उनकी पार्टियां बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है। लेकिन, कुर्सी मिलते ही सांप सूंघ जाता है। मध्यप्रदेश में भी यही हालात हैं। तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार हो या फिर कमलनाथ सरकार, दोनों ही भ्रष्ट अफसरों के अभियोजन को मंजूरी नहीं दे रही है। हालांकि देरी पर हाईकोर्ट ने अपना हथौड़ा चला दिया है।
जानकारी के अनुसार (Madhya Pradesh Corruption) भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में दो एजेंसियां प्रदेश में काम करती है। यह एजेंसियां हैं आर्थिक प्रकोष्ठ विंग और लोकायुक्त संगठन। दोनों ही एजेंसियों के पास इस वक्त आईएएस, आईपीएस और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी सैंकड़ों शिकायतें लंबित हैं। जिनमें जांच और एफआईआर पूरी हो चुकी है उसमें अभियोजन मंजूरी सरकार की तरफ से नहीं दी जा रही। ऐसे मामलों की संख्या दोनों एजेंसियों के पास 348 हैं। इनमें से 309 मामले लोकायुक्त पुलिस संगठन से जुड़े हैं। जबकि 39 मामले अभियोजन मंजूरी के लिए ईओडब्ल्यू के पास लंबित हैं। दोनों जांच एजेंसियों ने कई बार सरकारों को यह सूची सौंप दी है।
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किन रसूखदारों के हैं नाम
दोनों एजेंसियों में (Madhya Pradesh Corruption) जिनके खिलाफ जांच लंबित हैं उसमें सारे हाई प्रोफाइल ब्यूरोके्रट हैं। यह सरकारों के बेहद करीबी होने के चलते लाभ मिलता रहा है। लोकायुक्त के पास जिनके अभियोजन के मामले अटके हैं उनमें से आईएएस रमेश थेटे, राज्य प्रशासनिक सेवा के विवेक सिंह, सहकारिता संयुक्त पंजीयक बीएस चौहान, उप पंजीयक बीएस चौहान, उप पंजीयक अशोक मिश्रा है। वहीं ईओडब्ल्यू में दर्ज मामलों में आईएएस अंजू सिंह बघेल, पूर्व राज्य सेवा के अफसर प्रकाश चंद्र गुप्ता, सहकारिता मंत्री के ओएसडी रहे अरविंद सेंगर शामिल है।
अभियोजन के नाम पर समिति
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गाइड लाइन बनी हुई है कि यदि सरकार तीन महीने में अभियोजन स्वीकृति नहीं देती है तो वह स्वत: ही मान्य होगी। यह मियाद पूरी हो चुकी है। लेकिन, इन आदेशों पर जांच एजेंसियां ज्यादा अमल में नहीं ला रही। इधर, सरकार की तरफ से कवायद के नाम पर समिति बना दी गई है। जानकारी के अनुसार (Madhya Pradesh Corruption) लंबित 348 मामलों के निराकरण के लिये कमलनाथ सरकार ने हाल ही में पांच मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति बनाई है। लेकिन, इस समिति की अब तक कोई भी बैठक नहीं हो सकी है।
हाईकोर्ट सख्त दिखाया आईना
इधर, सरकार और नेताओं की तरफ से की जा रही देरी के खिलाफ मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में सुनवाई का दौर चल रहा है। जिसमें अफसर बच रहे हैं। इस कारण हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए पिछले दिनों मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग ओर प्रमुख सचिव विधि विभाग को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 25 जून को हुई सुनवाई के बाद जारी हुआ। हाईकोर्ट (Madhya Pradesh Corruption) ने आदेश दिया है कि अगली तारीख में यह अफसर स्वयं अदालत में हाजिर रहें।