नागपुर में इलाज के दौरान हुई मौत
बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल में जिला अदालत के न्यायाधीश और उनके पुत्र की ‘फूड पॉइजनिंग’ के इलाज के दौरान नागपुर के एक अस्पताल में मौत हो गई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रद्धा जोशी ने बताया कि बैतूल के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र त्रिपाठी (Mahendra Kumar Tripathi 56) की रविवार सुबह मृत्यु हुई जबकि उनके बेटे अभियानराज (33) की शनिवार रात को अस्पताल में मौत हो गई थी। एएसपी ने बताया कि न्यायाधीश और उनके बेटे ने 20 जुलाई को परिवार के साथ घर में भोजन किया। भोजन में त्रिपाठी और उनके पुत्र ने चपाती खायीं जबकि त्रिपाठी की पत्नी ने सिर्फ चावल खाये। न्यायाधीश और उनके बेटे को 23 जुलाई को बीमार होने के बाद स्थानीय पाढ़र अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार को उनकी हालत अधिक खराब होने पर दोनों को नागपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आटे की होगी जांच
जोशी ने बताया कि जिस आटे से रोटियां बनाई गयीं थीं उस आटे का नमूना जांच के लिये भेजा जाएगा। विसरा की भी जांच की जायेगी। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम नागपुर में किया जाएगा तथा शवों को गृहनगर कटनी भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
वहीं सवाल उठ रहे है कि न्यायाधीश त्रिपाठी तो डायबिटीज और बीपी के मरीज थे लेकिन उनका बड़ा पुत्र किसी बाडी बिल्डर से कम नहीं था। ऐसे में सिर्फ फुड प्वाजनिंग से उसकी मौत किसी के गले नहीं उतर रही। एक तथ्य यह भी है कि मौत से पहले दोनों करीब ढाई दिन पाढ़र अस्पताल में उपचाररत रहे। इतने लंबे समय में फुड प्वाजनिंग जैसी बीमारी आमतौर पर कंट्रोल में आ जाती है। लेकिन इलाज के बाद भी स्थिति बिगड़ी और पाढ़र अस्पताल से जाने के कुछ घंटों के अंदर ही बाप-बेटे की मौत हो गई।
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