JK Hospital Latest News: पुलिस के रिकॉर्ड में फरार चल रहे आकाश दुबे को पांच दिन बाद भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज जेके अस्पताल (JK Hospital Latest News) से मिल रही है। यह अस्पताल पिछले एक महीनों से सुर्खियों में हैं। अस्पताल के कर्मचारी कोरोना के काम आने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर इंजेक्शन की काला बाजारी कर रहे थे। इस काम का मास्टर माइंड अस्पताल में तैनात आईटी मैनेजर है। वह पांच दिन से फरार चल रहा है। हालांकि वह अपना सोशल अकाउंट चला रहा था। जिसको उसने 17 मई को ब्लॉक कर दिया। पुलिस इस बात की जानकारी से बेखबर होने का दावा कर रही है।
पूरा अस्पताल है मेहरबान
जेके अस्पताल में आईटी मैनेजर आकाश दुबे (Akash Dubey Latest News) को अभी भी नौकरी से नहीं निकाला गया है। इतना ही नहीं उसका मोबाइल आखिरी बार जेके अस्पताल में ही बंद हुआ था। उसके फेसबुक अकाउंट में इस कांड के खुलासा होने के बाद कई लोगों ने उसको गालियां दी थी। जिसको पढ़ने के बाद अचानक उसका अकाउंट ब्लॉक हो गया। इसी अकाउंट में उसकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ की तस्वीरें थी। यह तस्वीरें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीटर पर टैग करके कार्रवाई की मांग की थी। इधर, उसके खिलाफ जिला प्रशासन ने रासुका की कार्रवाई की तैयारी की है। लेकिन, यह सारी कवायदें काफी धीमी रफ्तार में चल रही है। आकाश दुबे पेशेवर अपराधी नहीं है। उसके पिता पुलिस के रिटायर्ड अफसर है। इसके बावजूद पुलिस के अफसर उसको गिरफ्तार नहीं कर पा रहे हैं।
यह है मामला
कोलार थाना पुलिस ने 13 मई की रात को सिग्नैचर सिटी के पास से इंदौर सीट कवर हाउस के संचालक दिलप्रीत सलूजा, उसके चचेरे भाई अंकित सलूजा और होम्योपैथिक डॉक्टर आकर्ष सक्सेना को गिरफ्तार किया था। तीनों के कब्जे से पुलिस को पांच रेमडेसिविर इंजेक्शन मिले थे। यह इंजेक्शन जेके अस्पताल के आईटी मैनेजर आकाश दुबे ने बेचे थे। आकर्ष सक्सेना छह नंबर बस स्टाप पर क्लीनिक भी चलाता है। आरोपियों ने फोनपे से इंजेक्शन का भुगतान किया था। आरोपियों ने एक महीने में करीब 15 इंजेक्शन खरीदे थे। इसी मामले में उसकी तलाश है।
सरकार दे रही मोहलत
इसी प्रकरण में क्राइम ब्रांच के दो एसआई एमडी अहिरवार और हरिशंकर वर्मा सस्पेंड हुए है। दोनों ने ढ़ाई लाख रुपए लेकर आकर्ष सक्सेना को छोड़ दिया था। जेके अस्पताल के दो कर्मचारी झलकन सिंह मीणा और नर्स शीला वर्मा के खिलाफ भी रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का मामला सामने आया था। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में इंजेक्शन पांच—पांच हजार रुपए में भी बेचे जा रहे थे। इन सारे आरोपों के बावजूद आज तक जिला प्रशासन और सीएमएचओ ने चुप्पी साध रखी है। खबर है कि ड्रग इंस्पेक्टर भी अस्पताल के मामले में खामोश हो गए है। जबकि भोपाल पुलिस ने अस्पताल से इंजेक्शन का रिकॉर्ड मांगा है।