Bhopal Remdesivir Injection: पूछताछ के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर रही पुलिस, मामला ठंडे बस्ते में डाला
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज कोरोना महामारी के काम आने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Bhopal Remdesivir Injection) की कालाबाजारी से जुड़ा है। कोलार थाने में जेके अस्पताल का आईटी मैनेजर आकाश दुबे रिमांड पर चल रहा है। वहीं शाहपुरा थाने में गिरफ्तार एमआर आलोक रंजन भी दो दिन की रिमांड पर है। इन दोनों आरोपियों की रिमांड अवधि शनिवार को समाप्त होने जा रही है। रिमांड के दौरान पुलिस दोनों आरोपियों से कोई ठोस तथ्य बरामद नहीं कर सकी है।
प्रबंधन से नोटिस मामले में चुप्पी
आकाश दुबे ने मंगलवार 25 मई को आत्मसमर्पण किया था। वह 13 मई को दर्ज प्रकरण के बाद से फरार चल रहा था। अगले दिन यानि 26 मई को उसे कोर्ट में पेश करके तीन दिन की रिमांड पर लिया गया। इस दौरान पुलिस की जांच केवल उन जरुरतमंदों तक सीमित रही जिन्हें आकाश दुबे ने रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए थे। पुलिस का दावा है कि एक महीने में आकाश दुबे के खाते में पांच लाख रुपए आए थे। यदि आकाश दुबे (Akash Dubey) ने इसके आधे यानि ढ़ाई लाख रुपए के भी 25 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन बेचे होंगे तो उसकी संख्या महज 10 इंजेक्शन तक होगी। मतलब साफ है कि पुलिस ने जेके अस्पताल प्रबंधन को बचा लिया है।
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नर्स से नहीं किया मिलान
यदि आकाश दुबे कालाबाजारी में शामिल था तो प्रबंधन खामोश कैसे रहा। इस बात की पड़ताल पुलिस ने करने की जेहमत ही नहीं उठाई। जबकि जेके अस्पताल की ही नर्स शालिनी वर्मा (Shalini Verma) और उसका कथित प्रेमी मेल नर्स झलकन सिंह मीणा (Jhalkan Singh Meena) रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में गिरफ्तार किए गए थे। वह इंजेक्शन भी जेके अस्पता से ही बाहर काला बाजारी के आए थे। इन दोनों केस को पुलिस अलग—अलग जांच करके भी जेके अस्पताल प्रबंधन को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि पुलिस केे अफसरों ने जेके अस्पताल प्रबंधन से रेमडेसिविर इंजेक्शन का रिकॉर्ड मांगा है। यह रिकॉर्ड भी कागजों में आता—जाता दिखाई दे रहा है।
केमिस्ट मुकरे हमने कोई इंजेक्शन नहीं दिया
इधर, शाहपुरा थाना क्षेत्र में पुष्पांजलि अस्पताल के नजदीक से गिरफ्तार एमआर आलोक रंजन (Alok Ranjan) का रिमांड शनिवार को खत्म हो रहा है। उसके कब्जे से पांच रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए थे। उसने बताया था कि यह इंजेक्शन उसने सीहोर केमिस्ट केे मालिक मुफद्दल राजा (Mufddal Raja) से तीन और भारत फार्मा के मालिक आशिष (Ashish Jain) जैन से दो खरीदना बताए थे। इन दोनों संदेहियों ने पुलिस को बताया है कि वह दवा कंपनी का एमआर है, इसलिए उसे जानते हैं। अब पुलिस जांच की दिशा नए सिरे से तय करेगी। आलोक रंजन मूलत: बिहार के पटना (Patna) जिले का रहने वाला है। वह अयोध्या नगर इलाके में रहता है। उसे पुलिस ने 26 मई को गिरफ्तार किया था।