Jana Small Finance Bank News: थाने ने पहले बैरंग लौटाया, फिर अदालत के आदेश पर एफआईआर

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Jana Small Finance Bank News: तकनीकी पेंच में फंसा जना स्माल फायनेंस बैंक के भीतर हुआ यह फर्जीवाड़ा

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ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। जना स्माल फायनेंस बैंक (Jana Small Finance Bank News) का एक फर्जीवाड़ा इन दिनों सुर्खियों में हैं। यह मामला पहले थाने भी गया था। लेकिन, पुलिस ने शुरुआती जांच में उसको एफआईआर योग्य नहीं माना। जिसके बाद इस संबंध में परिवाद अदालत में लगाया गया। यह प्रकरण भोपाल सिटी में स्थित कोलार रोड थाना क्षेत्र का है। तकनीकी पेंच में यह मामला इसलिए उलझा है क्योंकि जिन हितग्राहियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ है उन्होंने बैंक को पैसा जमा करा दिया था। अब पुलिस का दावा है कि इन प्रकरणों की नए सिरे से जांच की जाएगी।

बैंक को 12 लाख का नुकसान

कोलार थाना पुलिस के अनुसार 27 जनवरी की दोपहर लगभग तीन बजे 81/22 धारा 420 (जालसाजी) का मुकदमा दर्ज किया गया। जिसकी शिकायत सोनू जैन (Sonu Jain) ने दर्ज कराई है। वह दानिश नगर स्थित जना बैंक में मैनेजर हैं। इस मामले में आरोपी मिलिंद मोहन पवार, अनिल कुमार, रजनी बाघडकर, आशीष, ओम प्रकाश सोनी, राहुल मित्तल, आशीष अग्निहोत्री, अक्षत मंगल, अतुल अग्निहोत्री (Atul Agnihotri), महेश हरगोपाल, सत्यम अग्निहोत्री (Satyam Agnihotri), शैलेश परिहार (Shailesh Parihar) और शेखर हैं। आरोपियों ने 12,01,784 रुपए का फर्जीवाड़ा किया था। यह मुकदमा अदालत के आदेश पर दर्ज किया गया है। जिसमें नकली सोना जमा करके बैंक से लोन लिया गया था। ऐसा नहीं है कि यह मामला पुलिस के पास नहीं पहुंचा था।

ऐसे सामने आई आरोपियों की भूमिका

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कोलार थाना, जिला भोपाल—फाइल फोटो

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह प्रकरण जब थाने पहुंचा था तब यह बोलकर सोनू जैन को चलता कर दिया था कि सोने का आडिट पुलिस नहीं कर सकती है। आरोपी मिलिंद मोहन पवार (Milind Mohan Pavar) और अनिल कुमार (Anil Kumar) बैंक को आब्जर्वर उपलब्ध कराने का काम मिला था। दोनों की प्रायवेट फर्म है जो बैंकों को अपनी सेवाएं देती है। जिन्होंने राहुल मित्तल (Rahul Mittal) और आशीष सोनी (Ashish Soni) को इसकी जिम्मेदारी दी थी। बाकी आरोपियों से नकली सोना जमा कराने के बाद जना बैंक से पैसा लिया गया था। इसमें लोन लेने वाले कई आरोपी रिश्तेदार भी हैं। यह फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब सोना हितग्राहियों ने उसको उठाने नहीं आए। थाने में जब आवेदन दिया गया था तब पुलिस ने कार्रवाई नहीं की थी। जिसके बाद प्रबंधन ने अदालत जाने का निर्णय लिया गया।

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