MP Jail News: आईएसओ जेल में चल रहा भ्रष्टाचार का बड़ा खेल

Share

MP Jail News: हर काम का पैसा तय, नशे का सामान पहले मुहैया कराओ फिर उसको पकड़कर जुर्माना वसूलो, नए बंदियों को अच्छा काम करने के लिए देना होती है मोटी रकम, जेल के अफसरों पर आरोप बंदियों की मदद से अवैध तरीके से पहाड़ का किया उत्खनन, जेल अधीक्षक की जाति प्रमाण पत्र भी विवादों में आई, दर्जनों ऐसे ही फर्जीवाड़े का आजीवन कारावास काटने के बाद बाहर निकले व्यक्ति ने एसीएस होम को पत्र भेजकर किया खुलासा

MP Jail News
मध्यप्रदेश जेल मुख्यालय

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की जेल को आईएसओ सर्टिफिकेट मिला है। यह प्रमाण पत्र जेल के भीतर अच्छे रखरखाव और काम के कारण मिला था। लेकिन, इस सर्टिफिकेट की आड़ में व्यवस्था में किस तरह से सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार ने सेंध लगा दी है। इसकी एक—एक कलई उजागर हो गई है। जेल के भीतर चप्पे—चप्पे पर चल रहे फर्जीवाड़े की सिलसिलेवार पोल खोली गई है। यह लिखित रुप में एसीएस गृह एसएन मिश्रा को दी गई हैं। ऐसा करने वाला आजीवन कारावास की सजा काटकर बाहर निकले जेल बंदी ने किया हैं। जेल (MP Jail News) में रहते हुए उसके पिता ने भी कई बार इन बातों की शिकायतें की थी। लेकिन, अब यह पत्र मीडिया के हाथ लग गया है। जिसके बाद अफसर यहां—वहां होने लगे हैं। हालांकि पत्र के साथ किसी चीज के ठोस सबूत नहीं हैं। यदि आरोप सही नहीं है तो इस विषय पर एमपी सरकार को अपनी तरफ से सफाई पेश करना चाहिए।

पांच रुपए वाला जर्दा तीन हजार रुपए में

दो पेज के पत्र में रिहा बंदी ने बकायदा नाम लिखकर पोल खोली है। उसने बताया है कि जेल के भीतर अष्टकोण सीओ संतोष के पास नशे का सामान उपलब्ध कराने का काम है। संतोष भी बंदी है जो जेल प्रबंधन की तरफ से दूसरे बंदियों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए तैनात किया गया है। संतोष के अधीन अन्य बंदी पवन, राजेश और गोदाम इंचार्ज अरूण जेल (Jail) के भीतर हर तरह के नशे का सामान उपलब्ध कराते हैं। पांच रुपए में मिलने वाला जर्दे के पैकेट के लिए तीन हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं 20 रुपए वाली बीड़ी का पैकेट दो हजार रुपए में मिलता है। यह सबकुछ सामान अष्टकोण सीओ संतोष (CO Santosh) पैसा लेकर मुहैया कराता है। लेकिन, उसके ही गुर्गे जिन लोगों ने नशे का सामान लिया है उन पर निगरानी रखते हैं। नशा करते हुए पकड़े जाने पर 20 से 25 हजार रुपए वसूलते हैं। ऐसा नहीं करने पर जेल ट्रांसफर या जेल माफी मिलने वाले रिकॉर्ड को बिगाड़ने की धमकी देते हैं। इस बात की शिकायतें लिखित रुप में प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पूर्व में की जा चुकी है। यह बात भी जेल से रिहा हुए बंदी ने अपने पिता के जरिए पहले बताई थी।

रात की ड्यूटी में महिलाओं को किया जाता है तैनात

जेल से रिहा हुए बंदी ने यह भी बताया है कि जेल कैंटीन बंदियों की सुविधा के लिए खोली गई है। लेकिन, यहां सुनियोजित तरीके से मुनाफा वसूला जा रहा है। ऐसा करने वाले जेल सिपाही संजय सिंह (Sanjay Singh) और विनीता सिंह (Vinita Singh) हैं। यहां हर सामान के तय कीमत से ज्यादा पैसा लिया जाता है। विरोध करने पर सामान नहीं मिलता है। इसके अलावा जेल का दूध जो बंदियों को मिलना चाहिए वह जेल विभाग के अफसरों के घरों पर पहुंचाया जाता है। इसके अलावा महिला जेल प्रहरियों को पुरुष बंदी गृह में तैनात किया जाता है। वह भी रात की पाली में उन्हें तैनात किया जाता है। इससे महिला बंदी की सुरक्षा को काफी खतरा रहता है।

जेल अधीक्षक बोले पैसा लेकर हुई है पोस्टिंग

MP Jail News
सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन टीसीआई।

जेल में अभी अधीक्षक राकेश भांगरे (Rakesh Bhangre) तैनात हैं। जेल से रिहा बंदी ने खुलासा किया है कि वे सजा मिलने पर दाखिल होने वाले बंदियों (MP Jail News) से काम कौन सा करना है उसके लिए पैसा वसूलते हैं। इसे वीआईपी ट्रीटमेंट बोला जाता है। दरअसल, जेल में बंदियों को वहां के चार्ट के अनुसार भीतर काम करना होता है। सबसे छोटा काम न करना पड़े उसके लिए ​पैसा वसूला जाता है। इसी तरह जेल अस्पताल में भर्ती होने के लिए पैसा लिया जाता है। इसके लिए भी काम किया जाता है। उन्होंने जेल के भीतर की बातें उजागर करने के बाद बंदियों को चेतावनी दी थी। तब कहा था कि वे 55 लाख रुपए देकर भोपाल की जेल में आए हैं। कागज की शिकायतों से कोई उनके खिलाफ कुछ नहीं कर सकता।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Fraud Case: एग्रीमेंट के बाद गुपचुप तरीके से बेच दी दूसरे को जमीन

सिवनी में रहते भोपाल में बना सर्टिफिकेट

जेल के सामने पहाड़ी को बंदियों से उत्खनन कराया गया है। ऐसा करने के लिए खनिज विभाग से किसी तरह की शासकीय अनुमति नहीं ली गई। इसी तरह जेल के सामने खोले गए पंप में लगे निर्माण सामग्री की खरीदी पर भारी अनियमितता की गई है। जेल में प्रहरियों के अटैचमेंट व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। इसके बावजूद भोपाल जेल (Bhopal Jail) में तैनात रहे कई अधिकारियों के बंगलों में आज भी कर्मचारी तैनात है। वहीं जेल बंदियों को गलत तरीके से अधिकारियों के बंगलों पर काम करने के लिए भेजा जाता है। भांगरे मूलत: सिवनी (Seoni) के रहने वाले हैं। इसके बावजूद उनकी जाति का प्रमाण पत्र 1993 में भोपाल में बना। इसको पत्र में फर्जी होने का दावा किया गया है। भांगरे ने फरवरी, 2024 में भागवत कथा कराई थी। इसमें सरकार की तरफ से किसी तरह का बजट नहीं दिया था। इतनी भारी—भरकम भागवत कथा का बजट भांगरे ने वहन किया था। इससे साफ है कि भांगरे के पास अकूत संपत्ति है।

सवालों से घिरे जेल के अधिकारी यह बोले

यह सारी बातें पत्र के जरिए बंदी ने एसीएस गृह को भेजी है। बंदी ने पत्र को उजागर न करने की भी मांग की है। इसलिए हम उसका नाम उजागर नहीं कर रहे हैं। पत्र को लेकर जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि पत्र को लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं हैं। उन्होंने अपनी जाति प्रमाण पत्र समेत अन्य विषयों को लेकर कोई बयान नहीं दिया। इधर, जेल मुख्यालय के भी अफसरों ने इस संबंध में आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। अफसरों का कहना है कि अभी तक इस तरह का कोई पत्र गृह विभाग से जेल को नहीं मिला है। द क्राइम इंफो के पास एसीएस को लिखे पत्र की प्रतिलिपि मौजूद हैं। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

खबर के लिए ऐसे जुड़े

MP Jail News
भरोसेमंद सटीक जानकारी देने वाली न्यूज वेबसाइट

हमारी कोशिश है कि शोध परक खबरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए कई विषयों पर कार्य जारी है। हम आपसे अपील करते हैं कि हमारी मुहिम को आवाज देने के लिए आपका साथ जरुरी है। हमारे www.thecrimeinfo.com के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे व्हाट्स एप्प न्यूज सेक्शन से जुड़ना चाहते हैं या फिर कोई घटना या समाचार की जानकारी देना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर 7898656291 पर संपर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें:   Bhopal News: बेटे की करतूत पर डपटने की बजाय मां ने किया घमासान
Don`t copy text!