MP High court News:आदेश में कहा भयावह हालात पर हम मूकदर्शक नहीं रह सकते
भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार एक तरफ जहां लोगों के गुस्से का शिकार हो रही है वहीं अब हाईकोर्ट (MP High court News:) ने भी तल्खी दिखाई है। प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रफीक अहमद और न्यायाधीश अतुल श्रीधरण की डबल बैंच ने सोमवार को सुनवाई के बाद सरकार को स्वस्थय व्यवस्था सुधारने के लिए पंद्रह दिन का मौेका दिया है। न्यायाधीश की डबल बैंच कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य विवेक तनखा की पत्र याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। इसके अलावा कोरोना टेस्ट को लेकर भी आवश्यक दिशा—निर्देश जारी किए हैं।
रिटायर कर्मियों को नौकरी में रखने के आदेश
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में 15 दिन के अंदर प्रदेश की मेडीकल व्यवस्था में सुधार लाया जाए। हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देशित किया हैं कि रेमडिसिवर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित की जाए। तल्ख टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात भयावह है। ऐसे हालात में हाईकोर्ट मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती। हाईकोर्ट ने 2-3 साल में रिटायर मेडीकल स्टॉफ को सेवा में लेने के निर्देश दिये है। मामले की अगली सुनवाई १० मई को की जायेगी। कोर्ट ने अगली सुनवाई में प्रदेश सरकार को एक्शन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
आधा दर्जन जनहित याचिका में आदेश
इलाज में बदइतंज़ामियों के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना सुरक्षित रखा था। करीब 49 पन्नों में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा की पत्र याचिका सहित 6 अन्य जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत दिशा निर्देश दिए है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को दखल देने का आदेश दिया है और ये सुनिश्चित करने कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीज़न और रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कमी न होने पाए। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि वो उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीज़न, अस्पतालों में पहुंचाए और देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़वाने का प्रयास करे।
एक घंटे में इंजेक्शन मिले
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि अगर जरुरत पड़े तो सरकार विदेशों से रेमडेसिविर का आयात भी करवाए। सबसे बड़ा निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी ज़रुरतमंद कोरोना मरीज को 1 घण्टे के भीतर रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो ज़रूरत हो तो रेमडिसिवर इंजेक्शन का का आयात करवाएं। निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली ना कर पाएं। इसके लिए सरकार इलाज की दर को फिक्स करे। प्रदेश के सभी कोविड केयर सेंटर्स को फिर प्रदेश सरकार चालू करे। कोरोना का फैलाव रोकने प्रदेश में कोरोना की जांच बढ़ाई जाए।
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शमशान में सुधार की सलाह
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों, मैरिज हॉल, होटल, स्टेडियम को अस्थाई अस्पतालों के लिए अधिग्रहित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति की जाए। आदेश में कहा है कि 9 अक्टूबर 2020 की स्थिति में प्रदेश में प्रारंभ किए गए 262 हॉस्पिटल के कोविड-19 सेंटर 62 डेडीकेटेड कोविड-19 केयर सेंटर और 16 डेडीकेटेड कोविड-19 होस्पिटल को पुनः प्रारंभ किया जाए।कलेक्टर एवं सीएमएचओ निजी सरकारी अस्पतालों पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रतिनिधियों से समय-समय पर मीटिंग आयोजित करते रहे। जिससे अन्य आवश्यकताओं की भी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।