BDA Property Encroachment: भोपाल विकास प्राधिकरण की करोड़ों रुपए की जमीन पर अवैध कब्जा, सीईओ से लेकर जनसंपर्क अधिकारी ने सिस्टम को यह बयान देकर महकमे को व्यंग्य बनाया
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी जमीनों पर भूमाफियाओं के कब्जे हैं। ऐसा ही एक कब्जा शाहपुरा स्थित ईश्वर नगर में शुरु किए गए भोपाल विकास प्राधिकरण (BDA Property Encroachment) के प्रोजेक्ट में किया गया है। यहां टीएंडसीपी के आधिकारिक नक्शे में ओपन स्पेस है। जिसमें पार्क का निर्माण प्रस्तावित है। लेकिन, करोड़ों रुपए के इस जमीन पर एक कथित माफिया ने अपने रेत—गिट्टी का सामान बेचने वाले ट्रेडर्स की दुकान खोल ली है। इसकी शिकायत रहवासी तीन महीने से कर रहे हैं। हमने भी हकीकत पता लगाई और बीडीए के सीईओ से लेकर जनसंपर्क अधिकारी से आधिकारिक बयान मांगा। उन्होंने सिस्टम को व्यंग्य पर आधारित बने सीरियल ‘आफिस—आफिस’ को साबित कर दिया।
कौन सा और क्या है प्रोजेक्ट
भोपाल विकास प्राधिकरण (BDA) ने अपना प्रोजेक्ट ईश्वर नगर में लांच किया था। इस प्रोजेक्ट के एक हिस्से पर विवाद की स्थिति बनी थी। यह विवाद बीडीए बनाम दूरसंचार कॉलोनी के बीच हुआ था। दोनों पक्ष न्यायालय में गए थे। जहां से बीडीए अपना कब्जा साबित करने में कामयाब रहा। जिसके बाद पिछले साल बीडीए ने यहां के तीन भूखंडों को नए सिरे से नीलाम किया था। जिन्हें नीलाम किया गया था उनके नक्शे में ओपन स्पेस दर्शाया गया था। लेकिन, जब वहां लोग पहुंचे तो कब्जे में दुकान थी। इस बात को लेकर सितंबर, 2021 से लगातार शिकायतें रहवासियों ने बीडीए से की थी। यह शिकायतें भोपाल संभागायुक्त, नगर निगम कमिश्नर, कलेक्टर से लेकर बीडीए के सीईओ बुद्धेश कुमार वैद्य तक पहुंची थी। इसमें आधा दर्जन से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। इन्हीं शिकायतों को लेकर पीड़ितों ने हमसे संपर्क किया। जब हमने हकीकत मालूम की तो हम सिस्टम के रवैये और उनकी संवेदनशीलता जानकार हैरान रह गए।
जनसंपर्क अधिकारी को नहीं थी नियमों की जानकारी
इस मामले में सबसे पहले अतिक्रमण अधिकारी टीसी दास से संपर्क किया गया। टीसी दास यहां लगभग एक दशक से अतिक्रमण अधिकारी हैं। उनसे सबसे पहले यह प्रश्न पूछा गया कि अतिक्रमण हटाने के लिए किन नियमों के तहत कार्रवाई की जाती है। वे कोई जवाब नहीं दे सके। उन्होंने आन रिकॉर्ड कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। अतिक्रमण अधिकारी के जिम्मेदार पद पर होने का हवाला देकर फिर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा मेरी अफसर बीडीए में जनसंपर्क अधिकारी विभा शर्मा है। विभा शर्मा के पास पहुंचने पर उन्होंने बताया कि जमीन बीडीए कि है अथवा नहीं यह पता करने का काम टेक्निकल विंग करती है। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद अतिक्रमण हटाया जाता है। हालांकि यह जानकारी विभा शर्मा ने गलत दी है यह आगे हम आपको बताएंगे। उन्हें भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी।
यकीन ही नहीं हुआ, ऐसा सीईओ बोल रहे हैं
टेक्निकल विंग में ईई पीसी चौधरी के कैबिन में हम पहुंचे तो उनकी चुनाव ड्यूटी में होने की जानकारी बाहर बैठे कर्मचारियों ने दी। इसके बाद बीडीए सीईओ बुद्धेश कुमार वैद्य के कैबिन में संपर्क करने का प्रयास किया गया। यहां बताया गया कि वे आवश्यक मीटिंग में दूसरी जगह गए हुए हैं। इसके बाद अगले दिन सीईओ से खबर की प्रतिक्रिया को लेकर संपर्क किया गया। उन्होंने रिपोर्टर से शिकायतों के आवेदन की फोटो कॉपी ले ली। यह बोलकर कि हम टेक्निकल विंग से पड़ताल कराकर कार्रवाई करेंगे। हालांकि उन्होंने भी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया (BDA Property Encroachment) नहीं दी। इस संबंध में द क्राइम इंफो ने उनके मोबाइल नंबर पर एसएमएस करके भी प्रतिक्रिया मांगी थी। जिसका कोई जवाब नहीं आया।
राजधानी में सीएम भी ऐसा नहीं चाहेंगे
जिस जमीन पर कब्जा है वहां पवन ट्रेडर्स नाम से दुकान चल रही है। उसके मालिक राजेन्द्र सिंह राजपूत और पवन सिंह राजपूत हैं। पवन सिंह राजपूत के पिता भगत सिंह राजपूत है। हमने तीनों से संपर्क किया था। वे भी जवाब नहीं दे सके। रिपोर्टर के आने का पता चलने पर वे दुकान में ही नहीं आए। जबकि दुकान में उन्होंने निगरानी के लिए एक नहीं दो—दो कैमरे लगा रखे हैं। खबर है कि उनके एक राजनीतिक पार्टी से करीबी रिश्ते है। जिसका चुनाव चिन्ह अपने कब्जे वाली दुकान के शटर पर बना रखा है। जिसके चलते बीडीए के सीईओ से लेकर निचले कर्मचारी तक कोई कार्रवाई करना तो छोड़िए बातचीत करना नहीं चाहते। यह हालत वहां है जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Rajput) से लेकर पूरा मंत्रीमंडल निवास करता है। हालांकि हमें पूरा यकीन है कि मुख्यमंत्री भी सरकारी संपत्ति पर माफिया का कब्जा नहीं चाहेंगे। आशा है बीडीए के सीईओ को इस समाचार के बाद अपने हक और कार्य क्षेत्र का बोध हो और अतिक्रमण को जमींदोज करके जनता के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराएंगे।
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बीडीए के कारनामों की फेहरिस्त में आगे पढ़िए जिन्हें अतिक्रमण हटाना था उन्हें सीईओ ने हमारी स्टोरी प्रकाशित होने से पहले क्यों हटाया…यह संयोग या फिर